ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए लगी देशों की कतार : इसी साल होने जा रही एक मेगा डील, तीनों फोर्स के लिए काफी कारगर 

बातचीत अंतिम दौर में पहुंच चुकी है

ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए लगी देशों की कतार : इसी साल होने जा रही एक मेगा डील, तीनों फोर्स के लिए काफी कारगर 

एक रिपोर्ट में डिफेंस सेक्टर से जुड़े सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अभी उस देश का नाम गुप्त रखा गया है जिसके साथ बातचीत अंतिम दौर में पहुंच चुकी है।

नई दिल्ली। भारत की ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल का जादू तमाम देशों के सिर चढ़कर बोल रहा है। यूएई, सऊदी अरब, वियतनाम, मिस्र और इंडोनेशिया जैसे देश इसे खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं। फिलीपींस तो पहले ही ब्रह्मोस खरीद का करार कर चुका है और पिछले साल ही उसे इन मिसाइलों की डिलिवरी भी शुरू हो चुकी है। 

ध्वनि से 3 गुना तेज रफ्तार वाली दुनिया की इकलौती सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को खरीदने के लिए इंडोनेशिया की बातचीत तो अभी शुरूआती दौर में है, लेकिन एक अन्य देश के साथ बातचीत अंतिम दौर में है। एक रिपोर्ट में डिफेंस सेक्टर से जुड़े सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अभी उस देश का नाम गुप्त रखा गया है जिसके साथ बातचीत अंतिम दौर में पहुंच चुकी है।

ब्रह्मोस खरीदने के लिए कई देश कर रहे हैं बातचीत
यूएई, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, मिस्र और वियतनाम भी ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए बातचीत कर रहे हैं। मिडल ईस्ट के देश मिसाइल के लैंड वर्जन में काफी दिलचस्पी ले रहे हैं। सूत्रों के हवाले से बताया है कि इंडोनेशिया के साथ एकदम शुरूआती चरण में है। गणतंत्र दिवस पर जब इंडोनेशियाई राष्ट्रपति मुख्य अतिथि के तौर पर आए थे तब माना जा रहा था कि ब्रह्मोस मिसाइल डील को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत रफ्तार पकड़ेगी।

पिछले साल फिलीपींस को शुरू हुई थी ब्रह्मोस की डिलीवरी
भारत ने पिछले साल फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइलों की डिलीवरी शुरू की थी। फिलीपींस इस मिसाइल का पहला अंतरराष्ट्रीय ग्राहक है। यह सौदा एंटी-शिप क्रूज मिसाइल के तटीय संस्करण के लिए था, जिसकी रेंज 290 किमी है।

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खासियत जो ब्रह्मोस मिसाइल को बनाती है खतरनाक
ब्रह्मोस मिसाइल को भारत ने रूस के साथ मिलकर बनाया है। ये ध्वनि की गति से तीन गुना तेज रफ्तार से दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने में सक्षम है। ये मिसाइल नेवी, आर्मी और एयर फोर्स तीनों के लिए काफी कारगर है। भारत के पास ब्रह्मोस मिसाइल की सतह, समुद्र और हवा वाले तीनों ही वर्जन हैं। यह जहाजों पर भी हमला कर सकती है। इसका निर्माण भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मिशीनोस्ट्रोयेनिया के जॉइंट वेंचर के तहत होता है। इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदियों के नामों को मिलाकर रखा गया है। ये मिसाइल दुश्मन के रेडारों को चकमा देने में सक्षम है। रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रह्मोस बिक्री की ये डील काफी बड़ी और अहम होगी जो रक्षा निर्यात के क्षेत्र में भारत को एक अहम खिलाड़ी के तौर पर स्थापित रखने की कुव्वत रखती है। रिपोर्ट के मुताबिक ब्रह्मोस मिसाइल के जिस वर्जन के लिए डील बातचीत के अंतिम चरण में है, वो लैंड वर्जन है।

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रेंज बढ़ाकर 1500 किलोमीटर करने की दिशा में काम
ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज की बात करें तो इसका एयर वर्जन 400 से 500 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है। लैंड और सी वर्जन की मिसाइलों की रेंज 800 से 900 किलोमीटर है। भारत अब इसकी रेंज बढ़ाकर 1500 किलोमीटर करने की दिशा में काम कर रहा है। ब्रह्मोस मिसाइल सतह से न्यूनतम 10 मीटर और अधिकतम 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ान भरते हुए हमले कर सकती है।

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