सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 लोकसभा में पेश, दोषियों को मिलेगी कड़ी सजा

सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 लोकसभा में पेश, दोषियों को मिलेगी कड़ी सजा

राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि हमारे आपके बच्चों को इस तरह की परिस्थिति से बचाया जाए जहां संगठित अपराध करने वाले दुष्ट लोगों को हमारी भावी पीढ़ी के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

नई दिल्ली (एजेंसी)। देश में सरकारी सेवाओं के लिए भर्ती के लिए होने वाली परीक्षाओं में अनुचित साधनों का प्रयोग किए जाने के विरुद्ध कठोर दंडात्मक प्रावधानों वाले सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 को आज लोकसभा में पेश किया गया।

कार्मिक, जनशिकायत एवं पेंशन मामलों के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने सदन में यह विधेयक पेश करने के बाद कहा कि देश में एक नई परिस्थिति ने जन्म लिया है। पेपर लीक होने, प्रश्नपत्र बाहर हल किये जाने, नकल किये जाने आदि प्रकार की शिकायतें एकाएक बढ़ गयीं हैं। राजस्थान में 2018 से ऐसे 12 घोटाले हुए। इसका परिणाम परिश्रम करने वाले बच्चों को भुगतना पड़ता है। उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ होता है। कई बच्चे भावुकता में अतिवादी कदम उठा लेते हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में कोटा में एक बच्ची ने आत्महत्या कर ली और उसकी चिट्ठी पढ़ कर सारे देश में लोगों की आंखें नम हो गई थीं।

डॉ. सिंह ने कहा कि हमारे आपके बच्चों को इस तरह की परिस्थिति से बचाया जाए जहां संगठित अपराध करने वाले दुष्ट लोगों को हमारी भावी पीढ़ी के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। यही भावी पीढ़ी 2047 के विकसित भारत के मिशन के वाहक बनेगी। उन्होंने कहा कि हम भले ही किसी भी राजनीतिक दल के हों लेकिन बच्चे हमारे सबके साझा हैं। हमारी विरासत उनके हाथ में जानी है। इसलिए उनकी सुरक्षा जरूरी है।

इस विधेयक का उद्देश्य पांच सार्वजनिक परीक्षाओं - संघ लोकसेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, रेल भर्ती बोर्ड, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी, बैंक कार्मिक चयन संस्थान तथा केन्द्र सरकार के विभागों एवं उनसे संबद्ध कार्यालयों में भर्ती की परीक्षाओं में अनुचित साधनों के उपयोग को रोकना है। 

केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित इन परीक्षाओं में प्रश्न पत्र या उत्तर कुंजी की अनधिकृत पहुंच या लीक होना, सार्वजनिक परीक्षा के दौरान उम्मीदवार की सहायता करना, कंप्यूटर नेटवर्क या संसाधनों के साथ छेड़छाड़, योग्यता सूची या रैंक को शॉर्टलिस्ट करने या अंतिम रूप देने के लिए दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़, और फर्जी परीक्षा आयोजित करना, फर्जी प्रवेश पत्र जारी करना या नकल करने या पैसा कमाने के लिए प्रस्ताव पत्र जारी करने के साथ साथ समय से पहले परीक्षा से संबंधित गोपनीय जानकारी का खुलासा करना और व्यवधान पैदा करने के लिए अनधिकृत लोगों को परीक्षा केंद्रों में प्रवेश करने पर रोक लगाता है। इन अपराधों पर तीन से पांच साल तक की कैद और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।

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विधेयक में कहा गया है कि सेवा प्रदाताओं को पुलिस और संबंधित परीक्षा प्राधिकारी को रिपोर्ट करना होगा। सेवा प्रदाता एक ऐसा संगठन है जो सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण को कंप्यूटर संसाधन या कोई अन्य सहायता प्रदान करता है। ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट न करना अपराध होगा। यदि सेवा प्रदाता स्वयं कोई अपराध करता है, तो परीक्षा प्राधिकारी को इसकी सूचना पुलिस को देनी होगी। विधेयक सेवा प्रदाताओं को परीक्षा प्राधिकरण की अनुमति के बिना परीक्षा केंद्र स्थानांतरित करने से रोकता है। सेवा प्रदाता द्वारा किए गए अपराध पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। ऐसे सेवा प्रदाता से जांच की आनुपातिक लागत भी वसूल की जाएगी। इसके अलावा, उन्हें चार साल तक सार्वजनिक परीक्षा आयोजित करने से भी रोक दिया जाएगा। इसी तरह से यदि यह स्थापित हो जाता है कि सेवा प्रदाताओं से जुड़े अपराध किसी निदेशक, वरिष्ठ प्रबंधन, या सेवा प्रदाताओं के प्रभारी व्यक्तियों की सहमति या मिलीभगत से किए गए थे, तो ऐसे व्यक्तियों को व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी ठहराया जाएगा। इन्हें तीन साल से लेकर 10 साल तक की कैद और एक करोड़ रुपये जुर्माने की सजा होगी।

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उक्त विधेयक में संगठित अपराधों के लिए उच्च स•ाा के प्रावधान हैं। एक संगठित अपराध को सार्वजनिक परीक्षाओं के संबंध में गलत लाभ के लिए साझा हित को आगे बढ़ाने के लिए किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा किए गए गैरकानूनी कृत्य के रूप में परिभाषित किया गया है। संगठित अपराध करने वाले व्यक्तियों को पांच साल से 10 साल तक की सजा और कम से कम एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यदि किसी संस्था को संगठित अपराध करने का दोषी ठहराया जाता है, तो उसकी संपत्ति कुर्क और जब्त कर ली जाएगी, और परीक्षा की आनुपातिक लागत भी उससे वसूल की जाएगी।

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विधेयक के तहत सभी अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-शमनयोग्य होंगे। यदि यह साबित हो जाए कि आरोपी ने नियमानुसार उचित कार्य किया था, तब कोई भी कार्रवाई अपराध नहीं मानी जाएगी। उपाधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त रैंक से नीचे का अधिकारी अधिनियम के तहत अपराधों की जांच नहीं करेगा। केंद्र सरकार जांच को किसी भी केंद्रीय जांच एजेंसी को स्थानांतरित कर सकती है।

विधेयक पर चर्चा शुरू करते हुए कांग्रेस के के सुरेश ने कहा कि वह इस बात से सहमत है कि सभी बच्चे हमारे साझा हैं। इसलिए वह विधेयक का समर्थन करते हैं। भाजपा की ओर से डॉ. सत्यपाल ङ्क्षसह, द्रमुक के डी एम कथीर आनंद, वाईआरएस कांग्रेस की अनुराधा, शिवसेना के राहुल शेवाले, बीजू जनता दल के अच्युतानंद सामंत और बहुजन समाज पार्टी केे मलूक नागर ने भी विधेयक का समर्थन किया।

सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित निवारण) विधयक 2024 पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा के प्रताप चंद सारंगी ने कहा कि अनुचित साधन का परीक्षा में इस्तेमाल की कई घटनाएं ओडिशा में हुई है। उनका कहना था कि अनुचित साधनों पर रोक लगाना राष्ट्रीय हित में है और इसे रोकने के लिए सभी को काम करना चाहिए। परीक्षा में अनुचित काम पर रोक लगाने के लिए जो प्रावधान बने उसमें सख्त सजा की व्यवस्था होनी चाहिए। बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को सजा मिलनी चाहिए और उन्हें बक्शा नहीं जाना चाहिए।

तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि जो लोग अपराध करते हैं उन्हें दण्डित किया जाना चाहिए और उन्हें अपराध की सजा अवश्य मिलनी चाहिए। उनका कहना था की हर अपराध के साथ न्याय होना चाहिए, लेकिन न्याय के लिए जो भी प्रक्रिया अपनाई जाए उसमें ठोस सबूत का आधार होना बहुत जरूरी है। बिना ठोस सबूत के कोई न्याय नहीं होता। अपराधी गतिविधि को किसी भी हाल में रोकने का काम सबको करना है।

आईयूएमएल के टी मोहम्मद बसीर ने कहा कि प्रश्न हमारे सिस्टम की साख का है और उसे बनाए रखने की जिम्मेदारी हमारी है। देश में 1000 से ज्यादा विश्वविद्यालय हैं दूसरे कॉलेज और अन्य कई बड़े प्रतिष्ठित संस्थान है। इन सबकी साख बनी रहनी चाहिए है।

बहुजन समाज पार्टी के कुंवर दानिश अली लोक परीक्षा (अनुचित निवारण) विधेयक 2024 पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि देश में इस बड़ी बीमारी को ठीक करने के लिए यह विधेयक लाया गया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह नक़ल माफिया सक्रिय हैं उसे देखकर ऐसा लगता है कि उनको राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने कहा कि पेपर रद्द होने के कारण छात्रों का सालों साल $खराब हुआ और इसके तनाव में आकर ह•ाारों छात्रों ने $खुदकुशी की है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में माफिया इस प्रकार सक्रिय हैं कि उसके करतूतों को उजागर करने वालों को ही जेल जाना पड़ा है।

कांग्रेस के डॉक्टर के जयकुमार ने कहा कि यह बहुत अच्छा विधेयक है परंतु इसे देर से लाया गया है। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में क्या चल रहा है उससे किस प्रकार युवा प्रभावित है यह बात किसी से छिपी नहीं है। पेपर लीक करवाने वाले माफ़यिाओं की वजह से युवाओं को बड़ी क़ुर्बानियाँ देनी पड़ रही है। पेपर लीक मामले में जिम्मेदारी तय कर उनके खिलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिए।

भाजपा के सुमेधानंद सरस्वती ने कहा कि यह विधेयक बहुत पहले ही आ जाना चाहिए था ताकि छात्रों को जिन परेशानियों से गुजरना पड़ा वह नहीं हो पाता। राजस्थान में पिछले पाँच साल में सत्रह पेपर लीक हुए हैं। उस राज्य में तो इस मामले में एसआईटी भी गठित की गई है और अब तक बीस लोग गिरफ़्तार किए गए हैं। राज्य सरकारों को भी इस प्रकार का विधेयक लाना चाहिए ताकि ईमानदार छात्रों को इसका लाभ मिल सके।

समाजवादी पार्टी के एस टी हसन ने कहा कि इस विधेयक की अति आवश्यकता थी। इसका मक़सद योग्य छात्रों को इंसाफ़ दिलाना और माफियाओं के ऊपर नकेल कसना है। उन्होंने कहा कई बार छात्रों को अपने शिक्षकों या प्रबंधन से भी अनबन होने पर $खामिया•ाा भुगतना पड़ता है इसलिए साक्षात्कार की भी वीडियोग्राफी की जानी चाहिए।

एआईएमआईएम के इम्तियाज जलील ने विधायक का समर्थन करते हुए कहा कि देर आए दुरुस्त आए। उन्होंने कहा कि परीक्षा संचालित करने वाली राज्य सरकार की भी एजेंसियों को इसके दायरे में लाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक छात्रों को इंसाफ़ मिल सके।

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