रक्षा खरीद की समयसीमा हुई कम, हथियारों की खरीद में बचेगा समय
रक्षा खरीद की प्रक्रिया में 69 सप्ताह का समय बचेगा
सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र ऑर्डर के लिए प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे। एएमसीए प्रोजेक्ट में पहले ही ये बदलाव कर दिए गए हैं।
नई दिल्ली। रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने रक्षा खरीद की समयसीमा को काफी कम किया है, जिससे सैन्य उपकरणों की खरीद में अच्छा खासा समय बचेगा। रक्षा सचिव ने बताया कि रक्षा खरीद में व्यापक सुधारों और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के उद्देश्य से ये सुधार किए गए हैं। राजधानी दिल्ली में एक रक्षा सम्मेलन में बोलते हुए रक्षा सचिव ने कहा कि इस पूरे सुधार से रक्षा खरीद की प्रक्रिया में 69 सप्ताह का समय बचेगा। रक्षा सचिव ने कहा कि रक्षा खरीद प्रक्रिया 2020 में बदलाव किए जा रहे हैं, जिनके मुताबिक पारंपरिक नामांकन-आधारित लागत-प्लस खरीद से प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण मॉडल में स्थानांतरित किया जा रहा है, जहां सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र ऑर्डर के लिए प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे। एएमसीए प्रोजेक्ट में पहले ही ये बदलाव कर दिए गए हैं।
रणनीतिक स्वायत्तता के लिए आत्मनिर्भरता जरूरी
रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को 32 खरब डॉलर बनाने के लिए भी रणनीतिक स्वायत्ता के लिए आत्मनिर्भरता जरूरी है। उन्होंने कहा कि बीते दशक में रक्षा क्षेत्र में शुरू हुए स्वदेशीकरण के चलते साल 2015 में जहां भारत हथियारों का सबसे बड़ा आयातक था, तो आज हमारा देश शीर्ष 25 निर्यातकों में शामिल हो गया है। 100 से ज्यादा भारतीय कंपनियां 100 से ज्यादा देशों को सैन्य उपकरण निर्यात कर रही हैं। सैन्य उपकरणों में ब्रह्मोस मिसाइल, रॉकेट लॉन्चर पिनाका, सिमुलेटर आर्मर्ड व्हीकल आदि शामिल हैं। सिंह ने कहा कि बीते साल हमने 23,622 करोड़ रुपये के हथियार निर्यात किए। घरेलू खरीद जहां साल 2014 में 43,746 थी, वो 2023-24 में 1,27,000 करोड़ रही।

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