वक्फ विधेयक पर संयुक्त समिति की रिपोर्ट पर राज्यसभा में हंगामा : विपक्ष ने अपनी जगह खड़े होकर किया विरोध, विपक्ष का वॉकआउट
शांति बनाये रखने का अनुरोध किया
विपक्षी सदस्य सदन में जोर -जोर से बोल रहे थे हालांकि शोरगुल में कुछ स्पष्ट नहीं सुनाई दिया कि उनका क्या कहना था।
नई दिल्ली। विपक्षी सदस्यों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 संबंधी संयुक्त समिति की रिपोर्ट को राज्यसभा में पेश किये जाने पर जोरदार हंगामा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही 11 बजकर 20 मिनट तक के लिए स्थगित कर दी गयी। डॉ. मेधा विश्राम कुलकर्णी ने जैसे ही यह रिपोर्ट पेश की विपक्षी सदस्यों ने अपनी जगह से खड़े होकर इसका विरोध किया । विपक्षी सदस्य सदन में जोर -जोर से बोल रहे थे हालांकि शोरगुल में कुछ स्पष्ट नहीं सुनाई दिया कि उनका क्या कहना था। इसके बाद जब सभापति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति का एक संदेश पढ़ना चाहा, तो भी विपक्षी सदस्य शांत नहीं हुए। धनखड़ ने कहा कि यह राष्ट्रपति का अपमान है और वह इसकी अनुमति नहीं देंगे। उन्होंने सदस्यों से अपनी जगहों पर बैठने तथा शांति बनाये रखने का अनुरोध किया, लेकिन विपक्ष ने इसे अनसुना कर दिया, जिस पर सभापति ने कार्यवाही 11 बजकर 20 मिनट तक स्थगित कर दी।
वक्फ संशोधन विधेयक से संबंधित संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट को लेकर राज्यसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर चला, जहां विपक्ष ने आरोप लगाया कि रिपोर्ट से सदस्यों के असहमति नोट हटाये गये हैं वहीं सत्ता पक्ष ने कहा कि सदन में पेश की गयी रिपोर्ट से असहमति नोट तथा सदस्यों की बातें नहीं हटायी गयी हैं। भारतीय जनता पार्टी की डॉ. मेधा विश्राम कुलकर्णी ने जैसे ही यह रिपोर्ट पेश की, विपक्षी सदस्यों ने अपनी जगह से खड़े होकर इसका विरोध किया। सभापति ने हंगामे के कारण कुछ देर के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित भी की। स्थगन के बाद जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने एक दूसरे पर आरोप लगाये। बाद में विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।
नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि वक्फ विधेयक से संबंधित संयुक्त समिति की रिपोर्ट से सदस्यों के असहमति के नोट हटाया जाना उचित नहीं है और वह इसकी ङ्क्षनदा करते हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया तथा लोकतंत्र का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में बाहरी लोगों के सुझाव लिए गये हैं, यह बड़ी हैरानी की बात है। उन्होंने कहा कि असहमति के नोट के साथ रिपोर्ट दी जानी चाहिए, इनके बिना विपक्ष इस रिपोर्ट को नहीं मानेगा। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में यदि असहमति के पत्र नहीं हैं तो उसे वापस भेजें और फिर सदन में पेश करें।
उन्होंने कहा कि सदस्य समाज के साथ हो रहे अन्याय का विरोध कर रहे हैं। हम देश में समावेशी विकास चाहते हैं। लेकिन सरकार यदि संविधान के खिलाफ कार्य करती है तो विपक्ष विरोध करेगा। इस रिपोर्ट को समिति को दोबारा भेजें और इसकी समीक्षा के बाद दोबारा पेश किया जाये। द्रमुक के तिरूचि शिवा ने नियम 274 का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी रिपोर्ट असहमति नोट के साथ ही सदन में पेश की जा सकती है। आम आदमी पार्टी के संजय ङ्क्षसह ने कहा कि मैं समिति का सदस्य हूं आप हमारी बात से सहमत या असहमत हो सकते हैं लेकिन हमारी बात को रिपोर्ट से बाहर कैसे निकाल सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी के भूपेन्द्र यादव ने कहा कि नियम 274 स्थायी समिति की रिपोर्ट के लिए होता है। प्रवर समिति की प्रक्रिया नियम 72 से 94 में उल्लेखित है और इसमें सभापति को अधिकार दिया गया है कि यदि सभापति को लगता है कि असहमति के नोट नियमों के विरूद्ध हैं तो उन्हें हटाया जा सकता है।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि रिपोर्ट से कुछ भी नहीं हटाया गया है और सदन को भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है। रिपोर्ट को बनाने में किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है। सभी असहमति नोट रिपोर्ट में हैं और सदन को गलत जानकारी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि जब रिपोर्ट पेश की जाती है तो उस पर चर्चा बाद में होती है। उन्होंने कहा, च्च् मैंने समिति के अध्यक्ष से बात की है और रिपोर्ट में से बिना कोई हिस्सा हटाये उसे पेश किया गया है। आज चर्चा का मौका नहीं है। सभापति ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री ने साफ कर दिया है कि किसी भी सदस्य की किसी भी बात को रिपोर्ट से नहीं हटाया गया है और विपक्ष का रवैया गैर जिम्मेदाराना है।
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