क्या भावनाएं भी पढ़ सकता है एआई ?

एआई का भविष्य 

क्या भावनाएं भी पढ़ सकता है एआई ?

इन दिनों आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई का बहुत बोलबाला है।

इन दिनों आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई का बहुत बोलबाला है। आए दिन एआई को लेकर कुछ ना कुछ सामने आ रहा है। कभी वीडियो को लेकर तो कभी अनुवाद और लेखन के संदर्भ में कुछ ना कुछ पढ़ने और देखने को मिल जाता है। कहा जा रहा है कि एआई सब कुछ करने में समर्थ है। एक नया शब्द सामने आया है भावनात्मक एआई और उसका भविष्य। रिसर्च कहते हैं कि भावनात्मक एआई का भविष्य उज्ज्वल है। उनका मानना है कि जैसे-जैसे यह तकनीक बेहतर होती जाएगी, हम देखेंगे कि एआई हमारे साथ और अधिक सहज तरीकों से बातचीत करेगा। एआई न केवल बुनियादी भावनाओं को, बल्कि उन गहरी और जटिल भावनाओं को भी ग्रहण करेगा, जो हमारे अनुभवों को आकार देती हैं। कहा यह भी जा रहा है कि एआई की यह तकनीक मशीनों को मानवीय भावनाओं की व्याख्या करने और उन पर प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाती है।

एक्सपर्ट का मानना है :

आज यह वाणी, टेक्स्ट और चेहरे के भावों में भावनात्मक संकेतों को समझने के लिए विकसित हो रहा है, जिससे बातचीत ज्यादा मानवीय लगने लगी है। भावनाएं हमारे हर काम को आकार देती हैं, हमारे द्वारा चुने गए विकल्पों से लेकर दूसरों के साथ हमारे जुड़ाव तक। एआई को भावनाओं को पहचानना और उन पर प्रतिक्रिया देना सिखाकर हम ग्राहक सेवा और मानसिक स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में व्यक्तिगत और सहानुभूतिपूर्ण अनुभव बना सकते हैं। ऐसा मैं नहीं कह रहा हूं, बल्कि एआई एक्सपर्ट मानते हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि एआई के विकास में जटिल भावनाओं को समझने की क्षमता भी विकसित हुई। मशीन लर्निंग और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण में हुई प्रगति की बदौलत एआई अब साधारण भावनाओं की पहचान से आगे बढ़ गया है। यह निराशा, व्यंग्य और सहानुभूति जैसे सूक्ष्म संकेतों को पहचान सकता है। आज एआई मानवीय भावनाओं के सूक्ष्म विवरणों को बेहतर ढंग से समझने में सक्षम होता जा रहा है।

एआई तकनीक :

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एआई अब आवाज, चेहरे के भावों और यहां तक कि वाणी की लय में भावनात्मक बदलावों को भी पहचान सकता है। इससे उसे किसी व्यक्ति की भावनाओं को और गहराई से समझने में मदद मिलती है। बुनियादी भावना पहचान से लेकर संदर्भ और जागरूक व्याख्या तक कि इस छलांग ने एआई के साथ हमारी बातचीत को किसी दूसरे व्यक्ति से बात करने जैसा बना दिया है। भावनात्मक एआई तकनीक के साथ हमारी बातचीत के तरीके में क्रांति ला रहा है। जहां तक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र की बात है, तो इसमें भावनात्मक एआई मानसिक स्वास्थ्य सहायता के क्षेत्र में बदलाव ला रहा है। आभासी साथी रोगियों को अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करते हैं और टेलीमेडिसिन सत्रों के दौरान स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के लिए बहुमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं। वहीं मनोरंजन और गेमिंग उद्योग भी इसका लाभ उठा रहे हैं। खेलों और फिल्मों में एआई चालित पात्र खिलाड़ियों या दर्शकों की भावनाओं के अनुकूल ढल सकते हैं, जिससे अधिक आकर्षक और यथार्थवादी अनुभव बनते हैं।

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महत्वपूर्ण चुनौतियां :

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भावनात्मक एआई हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बनता जा रहा है, यह महत्वपूर्ण चुनौतियां और नैतिक प्रश्न भी उठा रहा है। एक बड़ी चिंता एआई द्वारा भावनाओं की गलत व्याख्या करने का जोखिम है। मानवीय भावनाएं जटिल होती हैं। जब एआई गलत व्याख्या करता है, तो इससे निराशाजनक या हानिकारक अनुभव भी हो सकते हैं, जिससे उपयोगकर्ताओं को गलत समझे जाने का अहसास होता है। इसमें निजता भी एक बड़ी चिंता का विषय है। भावनाओं और व्यक्तिगत डाटा पर नजर रखने की संवेदनशील प्रकृति का मतलब है कि मजबूत सुरक्षा के बिना इस जानकारी का दुरुपयोग हो सकता है। एक और चुनौती एआई प्रणालियों में पूर्वाग्रह की है। ये अक्सर विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और व्यक्तिगत अनुभवों में भावनाओं की सटीक व्याख्या नहीं कर पाते, जिसके परिणामस्वरूप गलत व्याख्या हो जाती हैं।

तमाम संभावनाएं :

सर्वोत्तम हितों के अनुरूप न हों। इससे गंभीर नैतिक चिंताएं पैदा होती हैं। खासकर जब एआई का इस्तेमाल पारदर्शिता या निष्पक्षता के बिना व्यवहार को प्रभावित करने के लिए किया जाता है। जैसे-जैसे हम भावनात्मक एआई को अपनाते हैं, इन चुनौतियों का सावधानीपूर्वक सामना करना महत्वपूर्ण हो जाता है। साथ ही यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक हो जाता है कि यह नैतिक सीमाओं को पार किए बिना हमारे जीवन को बेहतर बनाए। एआई में तकनीक से जुड़ने के हमारे तरीके को बदलने की क्षमता है, जिससे हमें और अधिक व्यक्तिगत अनुभव प्राप्त होंगे। अपनी तमाम संभावनाओं के साथ एआई की अपनी चुनौतियां भी हैं।

एआई का भविष्य :

भावनाओं को गलत समझने, निजता की चिंता, पूर्वाग्रह और दुरुपयोग के प्रलोभन का जोखिम है। ये वास्तविक नैतिक बाधाएं हैं, जिन पर हमें इस तकनीक के विकास के साथ ध्यान देने की आवश्यकता है। एआई का भविष्य संतुलन पर आधारित है। यह केवल भावनात्मक रूप से बुद्धिमान प्रणालियां बनाने के बारे में नहीं है। बड़ा सवाल यह है कि क्या एआई भावनाओं को पढ़ और समझ सकता है। वास्तव में एआई इंसानी कमांड पर निर्भर है। जहां तक लेखन और संपादन की बात है, तो एआई भी भरपूर गलतियां करता है। इस बात को हमें समझना होगा। आखिर में मेरा यही कहना है कि एआई इंसानी भावनाओं को नहीं पढ़ सकता और ना ही वह इन्हें शब्द दे सकता है। तकनीक का प्रयोग अच्छी बात है, लेकिन उस पर पूरी तरह निर्भर होना ठीक नहीं है। तकनीक कभी भी इंसान से आगे नहीं जा सकती। तकनीक कितनी भी समुन्नत क्यों न हो जाएं, आदमी के दिमाग को पीछे नहीं छोड़ सकती, क्योंकि तकनीक को इंसान ने बनाया है। यह बात हमें समय रहते समझनी होगी।

-अमित बैजनाथ गर्ग
यह लेखक के अपने विचार हैं।

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