बौखलाए पुतिन

कई शहरों पर जो ताबड़तोड़ हमले

बौखलाए पुतिन

इस बात की आशंका खड़ी हो गई है कि कहीं यह युद्ध व्यापक दायरे में न फैले और उसका खामियाजा यूक्रेन के साथ-साथ दूसरे देशों को भी न भुगतना पड़े। वैसे वैश्विक मंचों पर और अलग-अलग देशों की ओर से ऐसे कूटनीतिक प्रयास और वार्ताएं चल रही थीं कि कैसे भी यह युद्ध खत्म हो जाए।

रुस ने यूक्रेन की राजधानी कीव समेत कई शहरों पर जो ताबड़तोड़ हमले किए हैं, उससे पुतिन की बौखलाहट ही जाहिर होती है। लंबी दूरी की मिसाइली हमलों से यूक्रेन के शहर थर्रा गए हैं और भारी संख्या में लोगों के हताहत होने की जानकारी मिली है। गौरतलब है कि शनिवार को क्रीमिया के एक पुल के एक हिस्से को उड़ा दिया गया था, जिसके लिए रूस ने यूक्रेन को जिम्मेदार बताया। माना जा रहा है कि रूस की ओर से दिया गया ताजा हमला उसी का जवाब है। इससे एक बार फिर इस बात की आशंका खड़ी हो गई है कि कहीं यह युद्ध व्यापक दायरे में न फैले और उसका खामियाजा यूक्रेन के साथ-साथ दूसरे देशों को भी न भुगतना पड़े। वैसे वैश्विक मंचों पर और अलग-अलग देशों की ओर से ऐसे कूटनीतिक प्रयास और वार्ताएं चल रही थीं कि कैसे भी यह युद्ध खत्म हो जाए।

भारत ने भी अलग-अलग मौकोर्न पर दोनों देशों को सलाह दी कि युद्ध किसी के हित में नहीं है, आपसी बातचीत ही उचित समाधान है। लेकिन लगता है कि दोनों पर किसी भी तरह के शांति के प्रयासों का कोई असर नहीं हो रहा है। युद्ध के लिए दुनिया में रूस की आलोचना हो रही और यूक्रेन भी अपनी हार स्वीकारने को तैयार नहीं है। दोनों देश एक-दूसरे पर हमले जारी किए हुए हैं। युद्ध काफी लंबा खिंचने के बाद अब यह सवाल सबके सामने है कि क्या अमेरिका और उसके सहयोगी देश राष्ट्रपति पुतिन को झुका पाएंगे। अमेरिका समेत लगभग पचास देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। पश्चिमी देशों का यह पैंतरा कोई नया नहीं है। वह ऐसे प्रतिबंध थोप कर या थोपने की चेतावनी देकर अन्य देशों को डराने की कोशिश करते हैं।

रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने से ये देश खुद ही मुश्किल में पड़ गए हैं। कच्चे तेल की आपूर्ति का संकट खड़ा हो गया है और खाद्य संकट भी गहरा गया है। अब प्रतिबंध लगाने वाले देशों के लोग ही संकटों का सामना कर रहे हैं। लोग महंगाई और बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं। ये देश मान रहे थे कि प्रतिबंधों से रूस संकट में पड़ जाएगा और युद्ध को बंद कर देगा, लेकिन इसके विपरीत रहा है। दुनिया को इस समय शांति की जरूरत है। युद्ध अपने चरम पर पहुंच रहा है, जिससे भविष्य संकट में पड़ सकता है। युद्ध के परिणाम तो रूस और यूक्रेन भी भुगतेंगे ही, लेकिन पश्चिमी देश भी संकट में पड़ सकते हैं। बेहतर यही है कि शांति के प्रयास तेज किए जाएं। 

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