जानें राज काज में क्या है खास
तीन तिगाड़ा, काम बिगाड़ा
इन दिनों राज के रत्न के गुस्से को लेकर भगवा वाले भाई लोगों में काफी चर्चा है।
साहब का गुस्सा या खीझ :
इन दिनों राज के रत्न के गुस्से को लेकर भगवा वाले भाई लोगों में काफी चर्चा है। रत्न भी न तो वक्त देखते हैं और नहीं स्थान, अपने खास वर्कर्स पर भी खीझ निकालने में कोई कंजूसी नहीं बरत रहे। सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा वाले के ठिकाने को सालों से ढोकते आ रहे बुजुर्ग भाई साहब ने अपने तजुर्बे के आधार पर खुलासा किया तो, दूसरे भाई लोगों की भी समझ में आ गया। भाई साहब ने बताया कि जब राज के रत्न के साथ साये की तरह लगे रहोगे, तो उनको गुस्सा आना लाजिमी है। अब देखो न गुरुवार को सूर्यनगरी में एमपी वाले मेहमानों से होटल में मिलने गए भाई साहब को अकेले में बात करने तक का मौका ही नहीं मिला। कभी राठौड़ साहब, तो कभी चौधरी जी और जोशी जी में से कोई न कोई साये की तरह चिपका ही रहा। एकबारगी तो राज के रत्न का माथा ठनक भी गया था, मगर वक्त की नजाकत को देखते हुए चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी।
अग्नि परीक्षा राज की :
सूबे के पंडितों का भी कोई मुकाबला नहीं। न समय देखते हैं और न माहौल। जहां मर्जी हो पंचांग खोलकर बिना पूछे ही सामने वालों का भाग्य बताना शुरू कर देते हैं। अब देखो न पिछले दिनों लालकोठी श्मशान घाट में परिचित की अंतिम यात्रा में शामिल होने आए राज के एक रत्न का भविष्य बताकर माथे पर पसीना ला दिया। हद तो उस समय हो गई, जब तीये की बैठक में भी राज के रत्न का सामना उसी पंडितजी से हो गया। राज के रत्न ने भी कन्नी काटने में ही अपनी भलाई समझी। पंडितजी ने भविष्यवाणी की है कि मरु प्रदेश की जन्मपत्री के अनुसार राज को इकॉनॉमी एण्ड हेल्थ की दृष्टि से अग्नि परीक्षा से गुजरना है।
तलाश अदद टीम की :
सूबे में राज को एक ऐसी टीम की तलाश है, जो अदब के साथ काज करने में माहिर हो। चर्चा है कि इसके लिए पुराने घोड़ों की तलाश कर उनका मन भी टटोला जा रहा है। कुछेक ने ना में गर्दन हिलाई तो दो-चार ने वक्त की नजाकत को भांप दो हफ्ते का वक्त मांग लिया। इस काम में जुटी टीम के लीडर की सोच भी बड़ी गजब की है। उनकी राय है कि नालायक बट काबिल हो तो चलेगा, केवल ईमानदारी के तमगे से सुस्ती से कतई पार पड़ने वाली नहीं है। उनके तर्क से हम भी सौ फीसदी सहमत हैं।
ब्यूरोक्रेसी वेट एण्ड वाच मोड पर :
जब से पड़ोसी सूबे मध्यप्रदेश में पॉलिटिकल उथल-पुथल मची है, तभी से सूबे के ब्यूरोक्रेट्स भी कुछ अलग ही मोड पर हैं। आधे से ज्यादा अफसर वेट एण्ड वाच मोड पर चल रहे हैं। राज का काज करने वाले लंच केबिनों में अपने हिसाब से जोड़-बाकी में जुटे हैं। कुछ बड़े साहब लोग ज्यादा ही समझदार हैं, जो राज के दोनों ठिकानों से सौ कदम दूरी बना कर रखने में ही अपनी भलाई समझते हैं। बॉडी लैंग्वेज से फ्यूचर बताने में माहिर नॉर्थ इंडिया की धरती के एक लाल ने तो बड़े ठिकाने पर हाजिरी लगा कर मैसेज भी दे दिया कि बजट घोषणाओं को पूरा करने में माथा लगाओ, फालतू की बातों में कुछ नहीं रखा। अब वेट एण्ड वाच करने वाले साहब लोगों को कौन समझाए कि राजा कोई भी हो, उनको तो कारिन्दों के रूप में ही काम करना है।
चर्चा खाने पीने की :
चर्चा तो चर्चा ही होती है, कब और कहां, किस सब्जेक्ट को लेकर हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। अब देखो न पंचायत की बैठक के पहले दिन ही बातों ही बातों में खाने-पीने तक की चर्चा हो गई। मेल मिलाप और रामा श्यामा के बीच नेता ने भाई साहब को देखते ही पूछ लिया कि कल आपकी झलक तो दिखाई दी थी, पर खाने-पीने के वक्त नजर नहीं आए। भाई साहब भी कहां चूकने वाले थे, सो अपने ही अंदाज में बोले पड़े कि खाने-पीने वाला ही होता, तो आपके साथ ही होता। अब अगल-बगल वालों के सामने एक-दूसरे का मुंह देखने के सिवाय कोई चारा भी नहीं था, चूंकि मामला उनकी समझ के बाहर था। लेकिन समझने वाले समझ गए, ना समझे वो अनाड़ी है।
तीन तिगाड़ा, काम बिगाड़ा :
कहते हैं कि जहां तिगड़ी बैठती है, काम के बिगड़ने के चांस कुछ ज्यादा ही होते हैं। सूबे की तिगड़ी भी आजकल चर्चा में है। राज की कड़ी से कड़ी जोड़ने के दावे में रोड़ा बनी इस तिगड़ी के किरदार भी जोरदार हैं। एक दिल्ली में है, तो दूसरा सूबे के दरबार में। तीसरे भाई साहब पड़ोसी सूबे में डेपुटेशन पर हैं। तीनों के सुर और दिशाएं अलग-अलग होने के साथ मन में फेर भी है। तिगड़ी से कइयों का जायका बिगड़ा हुआ है। इससे राज भी चिंतित है। कारण भी साफ है कि रात दिन एक करने के बाद भी भाई साहबों की वजह से विकास का मैसेज नहीं जा पा रहा है।
- एल. एल. शर्मा
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
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