सौर ऊर्जा के क्षेत्र में राजस्थान भारत में नम्बर वन
आधुनिक समय में ऊर्जा का हमारे जीवन में अत्यंत महत्व है
हमारे प्रतिदिन के जीवन में घरों में उपयोग की जाने वाली विद्युत से लेकर विशाल फैक्ट्रीज एवं ऑटोमोबाइल से लेकर वृहद् प्रोजेक्ट के लिए ऊर्जा का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती, मानस, चून। बहुत पहले रहीम का दोहा पढ़ा था तो मस्तिष्क में पानी का महत्व स्थापित हो गया परंतु मौजूदा दौर में बिन पानी सब सून वाली अवधारणा उतनी प्रासंगिक नहींं रही। उसका स्थान अब बिन बिजली सब सून अवधारणा ने लिया है। आधुनिक दौर में बिना बिजली अर्थात ऊर्जा के जीवन के गतिमान होने की कल्पना तक नहींं की जा सकती है। सदियों तक पानी के सबसे प्रमुख स्रोत माने जाते रहे कुओं के प्राणांत के बाद भारत की अधिकांश आबादी जीवन रूपी जल के नलकूपों पर निर्भर हो चुकी है। ऐसे में यदि दो दिन के लिए भी विद्युत आपूर्ति ठप हो जाए तो देशभर में बिन पानी मानव और अन्य जीवों की मौतों के बारे में कल्पना मात्र से ही जिस्म में सिहरन पैदा हो जाती है।
आधुनिक समय में ऊर्जा का हमारे जीवन में अत्यंत महत्व है। हमारे प्रतिदिन के जीवन में घरों में उपयोग की जाने वाली विद्युत से लेकर विशाल फैक्ट्रीज एवं ऑटोमोबाइल से लेकर वृहद् प्रोजेक्ट के लिए ऊर्जा का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। हम प्रतिदिन के जीवन में विभिन्न रूपों में ऊर्जा का उपयोग करते है। अत: भविष्य में ऊर्जा की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इसका संरक्षण आवश्यक है। भारत सरकार द्वारा भी देश को नागरिको को ऊर्जा संरक्षण के बारे में जागरूक करने के लिए प्रति वर्ष ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है। जिससे की देश के नागरिक भी ऊर्जा संरक्षण में सक्रिय योगदान दे सके।
प्रतिदिन के जीवन में विभिन्न कार्यों के संचालन के लिए ऊर्जा अत्यंत महत्वपूर्ण साधन है। वर्तमान समय में दुनिया की अर्थव्यवस्था को संचालित करने के लिए ऊर्जा सबसे प्रमुख साधन है। इसके माध्यम से विभिन्न उद्योगों, ऑटोमोबाइल, फैक्ट्रीज, गैजेट, मशीनें, घरेलू उपयोग की वस्तुएं एवं विभिन्न प्रोजेक्ट का संचालन किया जाता है। दुनिया की अर्थव्यवस्था में वृद्धि के साथ-साथ प्रति वर्ष ऊर्जा की मांग भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में ऊर्जा का संरक्षण आवश्यक है। साथ ही भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भी ऊर्जा का संरक्षण आवश्यक है। भारत सरकार द्वारा देश में ऊर्जा संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने एवं देश के नागरिकों को ऊर्जा संरक्षण में सक्रिय भूमिका को बढ़ावा देने के लिए प्रति वर्ष राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है।
ऊर्जा संरक्षण से तात्पर्य विभिन्न उपायों के माध्यम से ऊर्जा का संरक्षण करना है। जिसमें ऊर्जा का इस प्रकार से उपभोग किया जाता है ताकि ऊर्जा का विवेकपूर्ण तरीके से संरक्षण किया जा सके। ऊर्जा संरक्षण के अंतर्गत विभिन्न कार्यों के माध्यम से ऊर्जा का उपयोग इस प्रकार किया जाता है। जिससे कि वर्तमान आवश्यता की पूर्ति के साथ भविष्य की जरूरतें भी पूरी हो सकें।
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस का आयोजन प्रति वर्ष 14 दिसंबर को किया जाता है। राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस को भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत एक संवैधानिक निकाय ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के अंतर्गत संचालित किया जाता है, जिसका उद्देश्य ऊर्जा संरक्षण के कार्यक्रमों के साथ भारत सरकार द्वारा ऊर्जा संरक्षण के लिए योजनाओं एवं देश की उपलब्धियों को प्रस्तुत करना है। राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस को ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 के पश्चात प्रति वर्ष 14 दिसंबर को मनाया जाता है। ऊर्जा संरक्षण से तात्पर्य ऊर्जा का विवेकपूर्ण उपयोग है। इसका अर्थ है ऊर्जा का अनावश्यक उपयोग ना करना एवं कम से कम ऊर्जा का उपयोग करते हुए कार्य को करना। अनावश्यक बिजली का बल्ब ना जलाना, लाईट, पंखे, एसी एवं अन्य विद्युत के उपकरणों को प्रयोग ना होने पर बंद करना, छोटी दूरियों के लिए पैदल दूरी तय करना या निजी वाहन की जगह सार्वजनिक वाहन का उपयोग तथा इसी प्रकार के अन्य कार्यों के माध्यम से ऊर्जा का दुरूपयोग एवं अनावश्यक प्रयोग रोकना ही ऊर्जा संरक्षण के अंतर्गत आता है।
ऊर्जा संरक्षण दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा का विवेकपूर्ण उपयोग एवं भविष्य की जरुरतों को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा का उपयोग करना है। ऊर्जा संरक्षण दिवस के माध्यम से नागरिकों को ऊर्जा संरक्षण के बारे में जागरूक किया जाता है एवं ऊर्जा की भविष्य की आवश्यकता के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है। साथ ही इस दिवस के माध्यम से ऊर्जा संरक्षण के लिए नागरिकों को विभिन्न उपायों की जानकारी के माध्यम से सहभागिता द्वारा ऊर्जा संरक्षण में वृहद् लक्ष्य प्राप्त करने का प्रयास भी किया जाता है। ऊर्जा संरक्षण वास्तव में देश के आम नागरिकों की सहभागिता से ही संभव है। एक जागरूक नागरिक होने के नाते प्रतिदिन के जीवन में छोटे-छोटे कार्यों के माध्यम से हम ऊर्जा संरक्षण में अपना अहम योगदान दे सकते हैं एवं ऊर्जा संरक्षण के आंदोलन को सफल बनाने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं। प्रतिदिन के जीवन में अनावश्यक जल रहे बिजली के बल्ब, ए.सी., पंखे एवं बिजली को अन्य उपकरणों को बंद करके हम ऊर्जा संरक्षण में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
-प्रकाश चंद्र शर्मा
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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