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राजस्थान  जयपुर 

किसानों के लिए खुशखबरी : रबी फसल सिंचाई के लिए 15 अक्टूबर से खुलेंगी नहरें, किसानों में उत्साह

किसानों के लिए खुशखबरी : रबी फसल सिंचाई के लिए 15 अक्टूबर से खुलेंगी नहरें, किसानों में उत्साह रबी फसल की सिंचाई के लिए 15 अक्टूबर से नहरें खोलने की तैयारी शुरू। कलेक्टर की अध्यक्षता में नहरों के संचालन की तारीख तय। किसानों में उत्साह का माहौल। राज्य के प्रमुख बांधों में पानी की पर्याप्त आवक। रबी सीजन में सिंचाई की स्थिति बेहतर रहने की उम्मीद।
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राजस्थान  जयपुर 

बरसात से कटाई के बाद रखी फसल खराब होने पर मिलेगा बीमा क्लेम, 72 घंटे में देनी होगी सूचना

बरसात से कटाई के बाद रखी फसल खराब होने पर मिलेगा बीमा क्लेम, 72 घंटे में देनी होगी सूचना रखी फसल खराब होने पर किसानों को पीएम फसल बीमा योजना के तहत मुआवजा। 72 घंटे के भीतर पोर्टल, हेल्पलाइन 14447, ऐप या कृषि कार्यालय में सूचना देना जरूरी। विभाग ने शिविर लगाकर किसानों से सूचना लेकर बीमा कंपनी को तुरंत भेजने के दिए निर्देश।
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राजस्थान  बूंदी 

असर खबर का- मूण्डली माइनर में पहुंचा नहरी पानी, किसानों को अब मिली राहत

असर खबर का- मूण्डली माइनर में पहुंचा नहरी पानी, किसानों को अब मिली राहत दैनिक नवज्योति की शुक्रवार को प्रकाशित समाचार के लिए सराहना भी की है, जो समय रहते उनकी समस्या का जल्द निराकरण हुआ है।
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राजस्थान  बूंदी 

नहरी पानी नहीं मिलने से मुरझा रही फसलें, किसानों ने जताया आक्रोश

नहरी पानी नहीं मिलने से मुरझा रही फसलें, किसानों ने जताया आक्रोश दिन में निकलने वाली तेज धूप से फसलें धीरे-धीरे बर्बाद होने की कगार पर चल रही है। जल्द नहर द्वारा खेतों में नहरी पानी नही पहुंचा तो मजबूरन सड़क पर उतरना पड़ेगा।
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राजस्थान  कोटा 

बिजली उत्पादन से खेतों में हो रही सिंचाई

बिजली उत्पादन से खेतों में हो रही सिंचाई कोटा, बारां, बूंदी व मध्यप्रदेश के किसानों की मांग आने के बाद दायीं व बायीं नहर में लगातार जलप्रवाह किया जा रहा है। इसके लिए राणाप्रताप सागर और जवाहर सागर बांध से विद्युत उत्पादन कर नहरों के लिए पानी छोड़ा जा रहा है।
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राजस्थान  कोटा 

धनिये से मोहभंग, गेहूं व सरसों पर भरोसा कायम

धनिये से मोहभंग, गेहूं व सरसों पर भरोसा कायम जिले सहित पूरे हाड़ौती क्षेत्र में कुछ सालों पहले धनिया फसल की प्रमुखता से बुवाई होती थी। इसका रकबा हाड़ौती में लाखों हैक्टेयर में होता था। पर्याप्त पानी और उपजाऊ जमीन होने के कारण धनिया का उत्पादन भी बम्पर होता था। पिछले कुछ सालों से इसका रकबा लगातार घटता ही जा रहा है। इस साल कोटा जिले में धनिया का रकबा 8 हजार हैक्टेयर ही रह गया है, जो काफी कम है।
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