मां बाड़ी डे केयर सेंटरों पर जर्जर हालत में सुविधाघर

पीने के पानी के नहीं इंतजाम, छात्र परेशान

मां बाड़ी डे केयर सेंटरों पर जर्जर हालत में सुविधाघर

जिम्मेदार इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं ।

राजपुर। सहरिया क्षेत्र में अधिकांश सहरिया जनजाति के लोग निवास करते हैं। उनके बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सहरिया परियोजना विभाग द्वारा स्वच्छ परियोजना के माध्यम से 329 मां बाड़ी डे केयर सेंटरों का संचालन वर्षों से किया जा रहा है। इन डे केयर सेंटरो पर एनटीपीसी के माध्यम से आधुनिक शौचालय का निर्माण कराया था। जिसमें लाखों करोड़ों रुपए का बजट खर्च हुआ था लेकिन यह अब देखरेख की अभाव में जर्जर हो चुके हैं। इनमें पानी की व्यवस्था भी नहीं है ऐसे में यह शौचालय गंदगी से अटे पड़े हैं। इस गंदगी से छात्र-छात्राओं में संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। जिम्मेदार इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। 

टॉयलेट की साफ-सफाई कराने की मांग
छात्र-छात्राओं को पीने के पानी के साथ-साथ शौच आदि के लिए भी खुले में जाना पड़ता है। ऐसे में इन बच्चों को हमेशा कोई अनहोनी घटना घटित होने का भी डर बना रहता है। साथ ही खुले में शौच आदि जाने से स्वच्छ भारत मिशन की साफ तौर पर धज्जियां उड़ती दिखाई देती हैं। लोगों ने शौचालयों की साफ-सफाई कर मरम्मत करवानी और अपनी व्यवस्था करवाने की मांग की है क्योंकि अब गर्मी का मौसम शुरू होने वाला है। ऐसे में पानी की समस्या हर तरफ बनी हुई है। ऐसे में मां बाड़ी डे केयर सेंटरो पर समस्या रहने से छात्र-छात्राओं को परेशानी हो रही है।

लंबे समय से बनी है पानी की समस्या
मां बाड़ी डे केयर सेंटरों पर लंबे समय से पानी की समस्या बनी हुई है। इस मामले को लेकर कई बार छात्र-छात्राओं के अभिभावको ने स्वच्छ परियोजना विभाग के उच्च अधिकारियों को अवगत कराया लेकिन मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया इसका खामियांजा मां बाड़ी डे केयर सेंटरों पर पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को झेलना पड़ता है। मां बाड़ी डे केयर सेंटरो पर लगे शिक्षा सहयोगियों ने बताया कि समस्याओं को लेकर हर बार बैठक में उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जाता है लेकिन मामले को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। ऐसे में बच्चों को परेशानी झेलने पड़ रही है।

शौचालय गंदगी से अटे पड़े हैं। गंदगी के चलते छात्र-छात्रों में संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। मामले को विभाग अधिकारियों को गंभीरता से लेना चाहिए।
- भारत सिंह, अभिभावक।

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एनटीपीसी के माध्यम से बनाए गए शौचालय क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। यह अनुपयोगी साबित हो रहे हैं। पानी की कमी सेंटरों पर बनी रहती है। बच्चे परेशान रहते हैं।
- केशव सहरिया, ग्रामीण।

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एनटीपीसी के प्रोजेक्ट के द्वारा शौचालय का निर्माण बरसों पहले मां बाड़ी डे केयर सेंटरो पर कराया गया था। उन्हीं के प्रोजेक्ट में पानी व्यवस्था का भी प्रावधान था। पानी नहीं होने के कारण अब यह अनुपयोगी साबित हो रहे हैं। पानी की समस्या को लेकर उच्च अधिकारियों से बात की जाएगी।
- इंद्रजीत सोलंकी, स्वच्छ परियोजना अधिकारी, शाहाबाद।

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मैं मामले को लेकर बात करूंगा और जल्दी ही समस्या के समाधान के लिए प्रयास किए जाएगें। 
- जब्बर सिंह, सहरिया परियोजना अधिकारी, शाहाबाद। 

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