बदलाव की आस में थम गया वक्त : आज भी मूलभूत सुविधा पानी के लिए तरस रही पीथपुर ग्राम पंचायत, हर चेहरे पर एक ही सवाल कब मिलेगा पानी,

आंखों में पीड़ा- आज भी पेयजल जैसी मूलभूत जरूरत को तरस रहे पीथपुरवासी

बदलाव की आस में थम गया वक्त : आज भी मूलभूत सुविधा पानी के लिए तरस रही पीथपुर ग्राम पंचायत, हर चेहरे पर एक ही सवाल कब मिलेगा पानी,

गांव की हालत इतनी बदतर है कि यहां की महिलाएं आज भी मीलों पैदल चलकर, सिर पर मटके उठाए कुएं से पानी लाने को मजबूर हैं

छीपाबड़ौद। एक ओर सरकार हर घर नल से जल का दावा कर रही है। वहीं छीपाबड़ौद तहसील की पीथपुर ग्राम पंचायत आज भी मूलभूत सुविधा पानी के लिए तरस रही है। गांव की हालत इतनी बदतर है कि यहां की महिलाएं आज भी मीलों पैदल चलकर, सिर पर मटके उठाए कुएं से पानी लाने को मजबूर हैं। ये मटके केवल पानी नहीं, बल्कि वर्षों से झेली जा रही उपेक्षा और पीड़ा का भार ढो रहे हैं। पूरे पंचायत क्षेत्र में न तो एक भी हैडपंप है, न ही जल संग्रहण टंकी। गर्मी के मौसम में जब कुएं भी सूखने लगते हैं, तब हालात और भी भयावह हो जाते हैं। महिलाएं सूरज चढ़ने से पहले ही निकल पड़ती हैं ताकि दिन के लिए थोड़ा बहुत पानी मिल सके। बच्चों की प्यास, बुजुर्गों की बेबसी और महिलाओं की थकान इस गांव की रोजमर्रा की कहानी बन गई है। धूप में तपती धरती, सर पर पानी के मटके उठाए महिलाएं, और हर चेहरे पर एक ही सवाल कब मिलेगा पानी। 

अब तो उम्मीद करना भी छोड़ दिया 
गांववासियों ने बताया कि वे कई बार पंचायत और अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं। लेकिन अभी तक सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं। ग्रामीण महिला कमला बाई ने कहा कि हमने तो अब उम्मीद करना भी छोड़ दिया है, बस जी रहे हैं जैसे तैसे। 

सरकार और प्रशासन से गुहार
अब गांववाले एक बार फिर उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद उनकी इस आवाज को कोई सुने, और जल जैसी बुनियादी जरूरत के लिए कोई स्थायी समाधान निकले। 

हम रोज दो किलोमीटर दूर कुएं से पानी लाने जाते हैं। कभी-कभी तो दो-तीन चक्कर लगाने पड़ते हैं, तब जाकर घर का काम चलता है। शरीर थक जाता है, लेकिन कोई उपाय नहीं है। कई बार हाथ-पैर छिल जाते हैं, पर कोई देखने वाला नहीं। अब तो पानी के लिए जीना भी बोझ लगने लगा है। 
-रामप्यारी, ग्रामीण महिला

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हमने पंचायत में कई बार आवेदन दिए। अधिकारियों से गुहार लगाई। लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। गांव में न हैंडपंप है, और न ही कोई टंकी। बरसों से हालात ऐसे ही हैं। गर्मियों में तो हालात और बिगड़ जाते हैं। अब हमें समझ नहीं आता कि कहां जाएं, किससे उम्मीद करें।       
 -घासीलाल, ग्रामीण

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पेयजल समस्या हमारे गांव की गंभीर समस्या है। हम इसे लेकर कई बार संबंधित विभागों को अवगत करा चुके हैं। पर इस ओर सरकार ने आजतक ध्यान नहीं दिया है। हम खुद चाहते हैं कि गांव की महिलाएं और बच्चे इस संकट से बाहर आएं। मैं प्रशासन से निवेदन करता हूं कि प्राथमिकता के आधार पर पीथपुर की पेयजल योजना को पूर्ण कराया जाए। 
-कौशल किशोर, सरपंच, पीथपुर ग्राम पंचायत

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इस समस्या पर ध्यान दिया जाएगा। गांव में निरीक्षण कर सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
-रवि गुप्ता, सहायक अभियंता, जलदाय विभाग, छीपाबड़ौद

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