हक के लिए किसान को लड़ना होगा, नहीं लडेगा तो मारा जाएगा : मलिक
हलैना में किसान महापंचायत
देश की रीढ़ में किसान, किसान की अवेहलना देश की रीढ़ की अवेहलना
हलैना। भरतपुर जिले के हलैना कस्बे मेंं हुए किसान सम्मेलन में जम्मू-कश्मीर और मेघालय के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक कहा कि आज किसान का बहुत बुरा हाल है, उसकी कोई सुनने वाला नहीं है। 13 माह में 700 किसानों की शहादत हुई हैं लेकिन वे आन्दोलन के मोर्च पर डटे रहे हैं, उन्होंने लड़ना सीख लिया है, अपने हक के लिए लड़ना पड़ेगा, अगर नहीं लड़ेगा तो मारा जाएगा। राजनीति का रास्ता खेत से निकलना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की रीढ़ में किसान है। किसान की अवहेलना देश की रीढ़ की अवहेलना है, लेकिन सरकारें जानबूझकर ऐसा कर रही हैं। उन्होंने अपनी स्मृतियों को ताजा करते कहा कि किसान आंदोलन के समय मैं मेघालय का राज्यपाल था। 10 दिनों तक सोचता रहा। राज्यपाल पद की मर्यादा की बेड़ियां मेरे पैरों और जुबां पर पड़ी थीं, लेकिन मेरा जमीर नहीं माना और मैं अपनी जेब में इस्तीफा लेकर दिल्ली आ पहुंचा। प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि किसान आंदोलन पर बैठे हैं उनसे बात कर लो तो उन्होंने कहा कि नहीं करेंगे, किसान थक हार कर चले जाएंगे, मुझे बुरा लगा।
मलिक ने कि भरतपुर के किसान के सामने सबसे बड़ी चुनौती पानी है। मैंने सुना है कि पांचना का बहुत बड़ा बांध है। अगर ऐसा है तो कानून रूप से उसका बंटवारा होना चाहिए। इसके साथ ही क्षेत्र की नदियों को आपस में जोड़ना चाहिए। उन्होंने नवज्योति से विशेष वार्ता में कहा कि विकास केवल सड़क पुल व कारखाने बनाना ही नहीं विकास का मतलब अपने प्राकृतिक संसाधनों का बराबर सम्वर्द्धन भी होना चाहिए। इस मौंके पर कालिया बचाओ संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने पौराणिक महत्व के कालिया पहाड़ को खनन से नष्ट होने से बचाने तथा 26 दिनों से भौंडागांव पर अनशन पर बैठे किसान व पशुपालकों ने भी उनकी मांगे सरकार व प्रशासन की ओर से स्वीकार करने के लिए ज्ञापन सौंपा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वयोवृद्ध नेता पूर्व सांसद पंडित रामकिशन ने भरतपुर की रियासत कालीन सिंचाई व्यवस्था व अपने संघर्ष के बारे में जानकारी दी।
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