खानुआ में युद्ध स्मारक स्थल पर महाराणा सांगा के वंशजों का सम्मान
आने वाली पीढ़ियों को शौर्य स्थलों से मिलती रहे राष्ट्र सुरक्षा की प्रेरणा
उन्होंने कहा कि रा य सरकार राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों के संरक्षण के लिए लगातार कार्य कर रही है जिससे आने वाली पीढ़ियों को ऐसे शौर्य स्थलों से देश की सुरक्षा की प्रेरणा मिलती रहे।
भरतपुर। जिले के खानुआ स्थित युद्ध स्मारक स्थल पर राजस्थान धरोहर प्राधिकरण संरक्षण की ओर से शहीदों को श्रद्धांजलि एवं महाराणा सांगा और बाबर के मघ्य युद्ध में शहीद हुए राजा-महाराजा के वंशजों का सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें देशभर से शहीदों के वंशज उपस्थित हुए। गृह राज्य मंत्री ने समारोह को संबोधित करते कहा कि महाराणा सांगा ने देश, धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए भारत के राजा-महाराजाओं को एक कर खानुआ के युद्ध में अदम्य साहस एवं शौर्य का प्रदर्शन किया था। महारणा सांगा ने 100 युद्ध लडेÞ जिनमें से 99 में विजय प्राप्त की एवं खातौली, बयाना के युद्धों में विदेशी आक्रांताओं को धूल चटाने का कार्य किया। महाराणा सांगा आज भी भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। आने वाली पीढ़ियां पूरे आदरभाव के साथ खानुआ युद्ध में भाग लेने वाले शहीदों की ऋणी रहेंगी।
उन्होंने कहा कि सरकार ने खानुआ युद्ध स्मारक के विकास के लिए 3 करोड़ की अतिरिक्त स्वीकृति जारी की है इससे सम्पूर्ण क्षेत्र का विकास कर डिजीटल तकनीकी के साथ युवाओं को प्रेरणादायक जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। राजस्थान धरोहर प्राधिकरण संरक्षण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने कहा कि महाराणा सांगा के वैचारिक एवं शारीरिक वंशज आज भी जीवित हैं। कोई भी देश को गुलाम नहीं कर सकता, हमारी विशेषता रही है कि संकट की स्थिति में एक साथ खडे होते हैं।
उन्होंने कहा कि रा य सरकार राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों के संरक्षण के लिए लगातार कार्य कर रही है जिससे आने वाली पीढ़ियों को ऐसे शौर्य स्थलों से देश की सुरक्षा की प्रेरणा मिलती रहे। उन्होंने कहा कि अब इस स्मारक पर प्रत्येक शहीद के नाम पर कार्यक्रमें किए जायेंगे। उन्होंने कहा कि खानुआ में वर्षभर पर्यटक एवं देश के युवा आएं। इस मौके पर पूर्व विधायक एवं महारणा सांगा के वंशज रणधीर सिंह भिण्डर ने मेवाड के 77वें वंशज महाराणा विश्वनाथ का संदेश पढ़कर सुनाया।
इन वंशजों का हुआ सम्मान
समारोह में गोकुल सिंह परमार के वंशज मृत्युंजय सिंह, राणा सांगा के वंशज राव रणधीर सिंह भिंडर, माणकचन्द चौहान के वंशज महेश प्रताप सिंह और मृगराज सिंह, झाला के वंशज करण सिंह झाला और पुण्डराक्ष्य सिंह, राव रतन सिंह मेड़ता के वंशज पुष्पेन्द्र सिंह कुड़की और हरेन्द्र सिंह कुड़की, राव जोगा जी कानोड के वंशज राव शिवसिंह सारंगदेव, चन्द्रभान सिंह के वंशज करण विजय सिंह मैनपुरी को सम्मानित किया गया।
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