दस दिन में 300 लाख यूनिट की बढ़ी डिमांड

दस दिन में 300 लाख यूनिट की बढ़ी डिमांड

कालीसिंध और सूरतगढ़ थर्मल में एक-दो दिन का ही कोयला बचा

जयपुर। कोयले की कमी से बढ़ता बिजली संकट प्रदेश में गहराता जा रहा है। बिजली कटौती के बावजूद बढ़ती डिमांड की तुलना में सप्लाई के आंकड़ों ने ऊर्जा विभाग की चिंता बढ़ा दी है। हालात यह हैं कि प्रदेश में जहां दस दिन में करीब 300 लाख यूनिट बिजली की डिमांड बढ़ गई है, वहीं बिजली उत्पादन इकाइयों में भी कोयला संकट बढ़ता जा रहा है। कालीसिंध थर्मल पावर प्रोजेक्ट और सूरतगढ़ थर्मल में तो महज एक या दो दिन का कोयला ही बचा है। राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश मे एक अक्टूबर को 2153 लाख यूनिट खपत रही तो दस अक्टूबर तक यह आंकड़ा 2478 लाख यूनिट तक पहुंच गया। हालांकि 11 अक्टूबर को डिमांड में कुछ कमी आते हुए यह आंकडा 2395 लाख यूनिट रहा,जबकि उपलब्धता का आंकडा करीब 2232 लाख यूनिट रहा। मांग और आपूर्ति के बीच अभी भी मैनेजमेंट गडबडाया हुआ है, इसलिए प्रदेशभर में बिजली कटौती जारी है। कोयला संकट अगर जल्दी दूर नहीं हुआ तो आगामी दिनों में भी बिजली कटौती जारी रहेगी। बिजली उत्पादन इकाइयों में कोयला स्टॉक की बात करें तो कोटा थर्मल में महज तीन से चार दिन, सूरतगढ़ थर्मल में एक या दो दिन, छबड़ा थर्मल में छह दिन, छबड़ा सुपर क्रिटिकल में तीन से चार दिन, कालीसिंध थर्मल पावर प्रोजेक्ट में एक या दो दिन तथा सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल में तीन से चार दिन का कोयला ही बचा है।

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