बाल श्रम निषेध दिवस पर वेबिनार, गहलोत बोले- राजस्थान में 23 लाख बाल श्रमिक, यह चिंताजनक
बाल श्रम की बड़ी समस्या है। यह देश और प्रदेश के सामने बड़ी चुनौती है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि प्रदेश में यह आंकड़ा 23 लाख है।
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को बाल श्रम निषेध दिवस पर वेबिनार में कहा कि बाल श्रम की समस्या बहुत बड़ी है और यह देश और प्रदेश के सामने बड़ी चुनौती हैं। राजस्थान में यह आंकड़ा 23 लाख है। राजस्थान उन 3 राज्यों में आता है, जहां बाल श्रम अधिक है। इनके लिए 'राज्य में निदेशालय, बाल आयोग बना दिया और बाल श्रमिकों के पुनर्वास का कानून भी बन गया। उन्होंने कहा कि बालश्रम एक बहुत बड़ा विषय हैं', इस पर जितनी रिसर्च करें उतनी कम है और जब तक जड़ तक नहीं जाएंगे, तब तक यह खत्म नहीं हो सकती। बाल विवाह भी एक बड़ी समस्या है। बाल श्रम खत्म करने में एनजीओ की भी बड़ी भूमिका है। जब तक परिवार समर्थ नहीं होगा तो बाल श्रम को बढ़ावा मिलेगा।
श्रम राज्यमंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि बाल श्रम मुक्त कराने के लिए राजस्थान में पिछले 2 वर्षों में लक्ष्य बनाकर काम किया गया है। बाल श्रम कराने में अभिभावकों की सहमति रहती है। बाल श्रम को किसी भी हालात में रोकने के लिए अभी यह तय करना होगा और बाल श्रम वाले कारखाने को बंद करने के लिए कानून बनाना होगा। सीएस निरंजन आर्य ने कहा कि सरकार बल श्रम को रोकने के लिए विशेष प्रयास करेगी। इसके लिए विशेष बजट का प्रावधान किया जाएगा। एडीजी राजीव शर्मा ने कहा कि राजस्थान पुलिस की ओर से त्रिस्तरीय व्यवस्था की गई है। प्रत्येक जिले में मानव तस्करी विरोधी यूनिट का गठन किया गया है, सभी थानों में बाल कल्याण पुलिस अधिकारी की भी तैनाती की गई है।
समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि बाल मजदूरों को मुक्त कराने के बाद पुनर्वास बहुत जरूरी है। बाल मजदूरी कराने वाले को आजीवन कारावास की सजा हुई है, राजस्थान ऐसा करने वाला पहला राज्य है। राजस्थान बाल श्रम के प्रति गंभीर है और इसका निराकरण किया जाता है। उन्होंने कहा कि कोरोना का प्रत्यक्ष और परोक्ष प्रभाव बच्चों पर पड़ा। राज्य बाल आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने कहा कि ग्रामीण भारत के बच्चे अधिक प्रभावित हुए हैं। पिछले एक साल से कोरोना महामारी से लड़ रहे हैं। कोरोना ने बड़ों के साथ बच्चों को भी प्रभावित किया।
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