मिर्धा अपहरण कांड : हरनेक सिंहको स्थाई पैरोल पर रिहा करने के आदेश
अदालत ने पैरोल कमेटी के गत 14 जुलाई के उस आदेश को रद्द कर दिया है।
जयपुर। राजस्थान हाइकोर्ट ने प्रदेश के चर्चित राजेन्द्र मिर्धा अपहरण कांड के आरोप में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हरनेक सिंह को स्थाई पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही अदालत ने पैरोल कमेटी के गत 14 जुलाई के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें कमेटी ने हरनेक सिंह को पैरोल पर रिहा करने से इनकार कर दिया था। न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता और न्यायाधीश उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश हरनेक सिंह की पैरोल याचिका पर दिए। अदालत ने कहा की स्थाई पैरोल के दौरान यदि याचिकाकर्ता किसी अवांछित गतिविधि में शामिल होता है तो स्थाई पैरोल को वापस लेकर उसकी सजा पूरी कराई जा सकती है। याचिका में कहा गया की मामले में उसे गत 6 अक्टूबर 2017 को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। वहीं वह करीब 15 साल पांच माह से जेल में बंद है। उसे प्रथम और द्वितीय पैरोल के अलावा कोरोना में स्पेशल पैरोल पर भी रिहा किया गया था। पैरोल की रिहाई का उसने कोई दुरुपयोग नहीं किया और तय समय पर वापस जेल में समर्पण भी किया था। वहीं जेल में उसका चाल चलन भी संतोषजनक है। याचिकाकर्ता की ओर से पैरोल कमेटी के समक्ष स्थाई पैरोल के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया था, लेकिन कमेटी ने सिर्फ इस आधार पर पत्र को निरस्त कर दिया की उसे मिर्धा अपहरण कांड में सजा हुई थी। ऐसे में उसे स्थाई पैरोल पर रिहा किया जाए।
क्या थी घटना : गौरतलब कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामनिवास मिर्धा के बेटे राजेन्द्र मिर्धा का गत 17 फरवरी 1995 को सी-स्कीम स्थित घर से अपहरण हो गया था। आतंकियों ने मिर्धा का अपहरण खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के मुखिया देवेन्द्रपाल सिंह भुल्लर को रिहा करने के लिए किया था। मामले में दयासिंह को आजीवन कारावास और उसकी पत्नी सुमन को पांच साल की सजा हुई थी। वहीं पंजाब पुलिस ने हरनेक सिंह को वर्ष 2004 में गिरफ्तार कर फरवरी 2007 में राजस्थान पुलिस को सौंपा था। अदालत ने 7 अक्टूबर 2017 को हरनेक सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जबकि एक आरोपी नवनीत कादिया की मौके पर एनकाउंटर में मौत हुई थी।
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