जेकेके में शुरू हुआ 10 दिवसीय रंगरीत कला महोत्सव : प्राकृतिक रंगों की महक और देश के नामी कलाकारों की उपस्थिति
युवा कलाकारों को आमंत्रित किया गया
इस महोत्सव की खास बात ये थी कि इसमें शिरकत करने के लिए कला की तीन पीढ़ियों बुजुर्ग, वरिष्ठ और युवा कलाकारों को आमंत्रित किया गया है।
जयपुर। जवाहर कला केन्द्र की अलंकार कला दीर्घा सुबह पारंपरिक रीति से बने प्राकृतिक रंगों की महक और देश के नामी कलाकारों की उपस्थिति से मुखरित हो उठी। यहां जगह जगह कलाकारों की पेन्टिंग बनाने के लिए एजल नहीं थे। आयोजकों ने महोत्सव की परंपरागत प्रकृति को देखते हुए विभिन्न जगह सफेद आसन और लकड़ी से बनी चौकियां लगाईं जिन पर बैठकर कलाकार अपनी अपनी सोच से चित्रों की पारंपरिक अंदाज में रचना कर रहे थे। मौका था जेकेके की ओर से शुरू किए गए दस दिवसीय रंगरीत कला महोत्सव के पहले दिन का। इस महोत्सव की खास बात ये थी कि इसमें शिरकत करने के लिए कला की तीन पीढ़ियों बुजुर्ग, वरिष्ठ और युवा कलाकारों को आमंत्रित किया गया है।
इस मौके पर प्रदेश के 75 वर्षीय नामी चित्रकार समंदर सिंह खंगारोत सागर ने कहा कि उन्होंने जवाहर कला केन्द्र के बैनर पर पहली बार कला का ऐसा महोत्सव देखा है जिसमें कला की तीन पीढ़ियों को आमंत्रित किया गया है। चित्रकार समंदर सिंह खंगारोत ने पारंपरिक वसली पेपर पर सूर्य पुत्र अश्विनी कुमार के चित्र की रचना शुरू की है। डेढ़ गुणा दो फुट आकार की इस पेन्टिंग को खंगारोत जापानी टैम्परा कलर से बना रहे हैं। समारोह में कलाकर्म शुरू होने से पहले जेकेके की अतिरिक्त महानिदेशक अलका मीणा, रंगरीत कला महोत्सव के समन्वयक वैदिक चित्रकार रामूरामदेव, कला गुरू समंदर सिंह खंगारोत सागर सहित अन्य गण्यमान्य लोगों ने दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का उद्घाटन किया।
Comment List