प्रदेश की अदालतों में 2.24 लाख महिलाओं के मुकदमे न्याय के इंतजार में, सिविल प्रकरण ज्यादा
कई मुकदमे सालों से अदालतों में लंबित चल रहे हैं
हाईकोर्ट में महिलाओं की ओर से दायर हुए मुकदमों में सिविल प्रकरणों की संख्या अधिक है। इनमें से कई मुकदमे सालों से अदालतों में लंबित चल रहे हैं।
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट सहित प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में आधी आबादी न्याय का इंतजार कर रही है। प्रदेश की अदालतों में महिलाओं की ओर से दायर 2 लाख 24 हजार से अधिक मामले लंबित चल रहे हैं। ये वो प्रकरण हैं, जिन्हें दायर करने वाली महिलाएं हैं। यदि इसमें उन मामलों को भी जोड़ दिया जाए, जिनमें विपक्षी महिला पक्षकार है तो लंबित मुकदमों की संख्या कई गुणा बढ़ जाएगी। आंकडों के आधार पर बात की जाए तो जहां निचली अदालतों में महिलाओं ने आपराधिक मामले अधिक दर्ज कराए हैं, वहीं हाईकोर्ट में महिलाओं की ओर से दायर हुए मुकदमों में सिविल प्रकरणों की संख्या अधिक है। इनमें से कई मुकदमे सालों से अदालतों में लंबित चल रहे हैं।
क्या कहते हैं विधि विशेषज्ञ
जिस तरह महिला उत्पीड़न और पॉक्सो प्रकरण के मामलों की सुनवाई के लिए अलग से विशेष न्यायालय स्थापित किए गए हैं, उसी तरह महिला परिवादियों के प्रकरणों की सुनवाई के लिए अलग से विशेष न्यायालय स्थापित होने चाहिए।
- अधिवक्ता राजकुमार गुप्ता, राकेश दाधीच, अनुराधा गुप्ता, भवानी सिंह और अधिवक्ता दिग्विजय सिंह
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