सरकारी कार्मिक को बिना कारण बताए नहीं किया जा सकेगा एपीओ, हाईकोर्ट ने याचिकाओं की सुनवाई के बाद एपीओ आदेश किए निरस्त
स्थगन आदेश जारी कर राज्य सरकार को जवाब तलब किया था
सभी समान एपीओ आदेशों को चुनौती वाली रिट याचिकाओ की प्रारंभिक सुनवाई पर हाइकोर्ट की एकलपीठ ने एपीओ आदेश पर अलग-अलग स्थगन आदेश जारी कर राज्य सरकार को जवाब तलब किया था।
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट न्यायाधीश अरूण मोंगा की एकल पीठ ने कहा, एपीओ आदेश केवल राजस्थान सेवा नियमों में उल्लेखित आकस्मिक कारणों या समान कारणों में ही पारित किया जा सकेगा। कार्मिक को एपीओ करने का कारण भी लिखित में बताना जरूरी होगा। अन्यथा आदेश विधि विरुद्ध होगा। जस्टिस मोंगा की बैंच में याचिकाकर्ता डॉ. दिलीपसिंह चौधरी व अन्य की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने पैरवी की। ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी याचिकाकर्ता डॉ. दिलीप सिंह चौधरी व अन्य ने बताया कि 2015 से चिकित्सा अधिकारी पद पर नियुक्त होकर छह साल की सेवा पूर्ण करने के बाद उसे वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी पद पर नियुक्त करते हुए बीसीएमओ भोपालगढ़ के पद पर नियुक्त किया गया। लेकिन तीन साल की सेवावधि वाले जूनियर अयोग्य चिकित्सक को उक्त वरिष्ठ पद पर नियुक्त करने के मकसद से याचिकाकर्ता को आदेश 19 फरवरी 2024 से एपीओ कर दिया गया।
सभी समान एपीओ आदेशों को चुनौती वाली रिट याचिकाओ की प्रारंभिक सुनवाई पर हाइकोर्ट की एकलपीठ ने एपीओ आदेश पर अलग-अलग स्थगन आदेश जारी कर राज्य सरकार को जवाब तलब किया था। वहीं सभी 56 रिट याचिकाओं की अंतिम सुनवाई करने के बाद समस्त एपीओ आदेशों को निरस्त करते भविष्य में एपीओ आदेश जारी करने के लिए दिशा निर्देश जारी किए। राज्य के मुख्य सचिव को इस संबंध में प्रशासनिक निर्देश जारी करने को भी आदेशित किया है।
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