राजस्थान में जन विश्वास विधेयक नहीं बना ड्राफ्ट : एमपी, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्यों ने बनाया कानून

अप्रचलित और अनावश्यक प्रावधान हटेंगे, कानून बनने के बाद छोटी सी गलतियों पर नहीं होगी जेल?

राजस्थान में जन विश्वास विधेयक नहीं बना ड्राफ्ट : एमपी, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्यों ने बनाया कानून

विधि विभाग का राजस्थान जन विश्वास विधेयक को लेकर संबंधित विभागों को तीसरा स्मरण-पत्र

जयपुर। सबकुछ ठीकठाक रहा तो राजस्थान में भी छोटी-मोटी गलतियां अपराध की श्रेणी में नहीं आएंगी अर्थात छोटी सी गलती पर जेल की सलाखों के पीछें नहीं डाल सकेंगे। हालांकि दूसरे राज्यों मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, यूपी, गुजरात जैसे राज्यों ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए जन विश्वास विधेयक पारित कर चुके हैं, लेकिन राजस्थान में इसका ड्राफ्ट भी तैयार नहीं हो सका है। विधि विभाग की ओर से विभागों को तीसरा स्मरण-पत्र दिया गया है। हालांकि ये विधेयक केन्द्र के जन विश्वास अधिनियम 2023 से प्रेरित है, जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर 42 केन्द्रीय अधिनियमों में 183 प्रावधानों को अपराध मुक्त किया गया हैं।

राजस्थान में विधेयक की क्या स्थिति
विधि (संहिताकरण एवं प्रकाशन) विभाग की विशिष्ट शासन सचिव अल्का गुप्ता की ओर से दिए गए तीसरे स्मरण पत्र में बताया गया है कि जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) अधिनियम 2023 के अनुरूप राज्य सरकार की ओर से प्रस्तावित राजस्थान जन विश्वास विधेयक के प्रारूप को तैयार किए जाने के संबंध में प्रशासनाधीन अधिनियमों का परीक्षण करवाकर प्रशासनिक अनुमोदन उपरांत प्रस्ताव आठ मई 2025 तक विधि विभाग में भिजवाने के लिए लिखा गया था, लेकिन कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ हैं। ऐसे में पुन: स्मरण है कि जन विश्वास विधेयक के प्रारूप तैयार किए जाने के लिए आपके प्रशासनाधीन अधिनियमों के संबंध में प्रस्ताव तैयार करवाकर 31 मई 2025 तक विधि विभाग को भिजवाएं, ताकि विधेयक को रूप दिया जा सके।

जन विश्वास विधेयक का उद्देश्य
न्यायपालिका पर बोझ कम करना।
यह विधेयक व्यापार के माहौल को बढ़ावा देने और देश में व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने वाला हैं।
छोटी-मोटे अपराधों का अपराध मुक्तिकरण: अपराध की श्रेणी में आने वाले छोटे तकनीकी और प्रक्रियात्मक उल्लंघनों को अपराधमुक्त करना।
नागरिक दंड और प्रशासनिक कार्रवाई: तकनीकी और प्रक्रियात्मक त्रुटियों के लिए आपराधिक कार्रवाई के बजाय नागरिक दंड और प्रशासनिक उपायों को प्रोत्साहन देना।
अप्रासंगिक और पुरानी प्रावधानों का उन्मूलन: अप्रचलित और अनावश्यक प्रावधानों को हटाना।

01: महाराष्ट्र
महाराष्ट्र सरकार ने इस अधिनियम के अनुरूप विधेयक तैयार करने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है। यह समिति विभिन्न विभागों के कानूनों का विश्लेषण कर रही है और सुधारों के लिए सुझाव प्रस्तुत कर रही है। महाराष्ट्र ने छोटे अपराधों को गैर-अपराध बनाने और प्रक्रियात्मक दोषों के लिए नागरिक दंड प्रणाली लागू करने के कई मसौदे तैयार किए हैं।

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02: कर्नाटक
कर्नाटक सरकार ने उद्योगों और व्यापार के लिए आसान नियम लागू करने के उद्देश्य से विधेयक का मसौदा तैयार किया है। इसमें विशेष रूप से अप्रासंगिक कानूनों को हटाने पर जोर दिया है।

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03: गुजरात
गुजरात सरकार ने इस विधेयक को डिजिटल शासन और पारदर्शिता बढ़ाने के माध्यम के रूप में देखा है। वे नागरिकों और व्यापारिक समुदाय के साथ परामर्श कर रहे हैं। गुजरात का जोर पारदर्शिता और तकनीकी समाधान पर है।उत्तरप्रदेश उत्तर प्रदेश सरकार ने जन विश्वास विधेयक के तहत अधिकाधिक जनसुनवाई और छोटे-मोटे अपराधों के मामलों को फास्ट ट्रैक पर निपटाने का प्रस्ताव रखा है।

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04: मध्यप्रदेश
एमपी में जन विश्वास विधेयक विधानसभा में पारित हो चुका है। इसमें छोटे अपराधों को थाने में ही निपटाने का प्रावधान किया गया है, ताकि न्यायालयों का बोझ कम हो सके।

उदाहरण
ट्रेन या रेलवे स्टेशन पर बिना परमिट के सामान बेचते हुए पकडे जाने पर दोषी को अब जेल नहीं होगी। किसी वस्तु को ग्रेड चिह्न के साथ अनाधिकृत रूप से चिह्नित करने और उसकी बिक्री के लिए जेल की सजा हटा दी जाएगी और इसके बजाय पांच लाख का जुर्माना लगाया जाएगा। भ्रामक या गलत जानकारी देने पर किसी व्यक्ति को केवल जुर्माना देना होगा, जो बढ़ाकर दस लाख रुपए तक होगा।

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