हाथी मालिकों ने कहा- उनके काम नहीं आ रहा हाथी कल्याण कोष का पैसा, 3 साल से न हाथियों को झूलें मिले और न महावतों को पोशाक
हाथी मालिकों से बातचीत के दौरान ये बात भी सामने आई
पुराने झूलों से चला रहें काम, कई हाथी मालिकों ने अपने स्तर पर की इनकी व्यवस्था, हाथी गांव में रह रहे 70 से अधिक हाथी और इतने ही महावत
जयपुर। जयपुर के दिल्ली रोड स्थित हाथीगांव में हर साल हजारों पर्यटक हाथी सवारी का लुत्फ उठाते हैं। आमेर महल के बाद जयपुर में पर्यटक को सुविधाएं मिलती हैं। इस बीच हाथी मालिकों और महावतों की एक समस्या सामने आई। उनका कहना है कि वन विभाग की ओर से हर साल हाथी कल्याण कोष के जरिए हाथियों के लिए नए झूले और महावतों को नई पोशाक दी जाती है, लेकिन पिछले तीन साल से ये चीजें हमें नहीं मिली हैं। साल 2022 से साल 2024 तक इन्हें हर साल पत्र लिखकर निवेदन किया जाता है, परंतु अधिकारियों की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। पुरानी झूलों से ही काम चलाया जा रहा है। वहीं कुछ हाथीमालिकों ने अपने पैसों से इनकी व्यवस्था की है।
ये चीजें दी जाती हैं
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार हाथीगांव में 70 से अधिक हाथी हैं। वहीं महावतों की संख्या भी लगभग इतनी ही है। हर साल हाथी कल्याण कोष की ओर से नववर्ष पर हाथियों के लिए झूले और महावतों को पोशाक के रूप में साफा, कोट, पायजामा, चादर सहित अन्य चीजें दी जाती हैं। जो पिछले तीन साल से इन्हें नहीं दी गई हैं। हाथी मालिकों का कहना है कि हर बार अधिकारियों से मिलने और पत्र लिखकर मांग करने पर हमें केवल आश्वासन ही मिलता है।
इनका कहना...
एलिफेंट वेलफेयर फंड के लिए ही पैसा एकत्रित किया जाता है। लेकिन वही पैसा हमारे काम नहीं आ रहा है। पिछले तीन सालों से वन विभाग के अधिकारियों को हाथियों की झूलें, हाथी महावतों की पोशाक हाथी कल्याण कोष की ओर से दिए जाने के लिए पत्र लिखे जा चुके हैं, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया गया है।
-अब्दुल अजीज, अध्यक्ष,
हाथी मालिक विकास समिति
हाथी मालिकों से बातचीत के दौरान ये बात भी सामने आई थी। उच्च अधिकारियों से स्वीकृति मिलने के बाद जल्द आगे की कार्यवाही की जाएगी।
-प्राची चौधरी, प्रावैधिक सहायक एवं सहायक वन संरक्षक, चिड़ियाघर जयपुर
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