रेयर डिजीज इंडिया फाउंडेशन की ओर से आयोजित सेमिनार में एक्सपर्ट्स ने दी जानकारी, देश की चार प्रतिशत आबादी किसी न किसी दुर्लभ बीमारी से ग्रसित
बच्चों में हमेशा के लिए अपंगता का खतरा कहीं अधिक बढ़ जाता है
इस समय दुनिया में हर साल चार लाख बच्चे नए म्यूटेशन के साथ पैदा हो रहे हैं।
जयपुर। इस समय दुनिया में हर साल चार लाख बच्चे नए म्यूटेशन के साथ पैदा हो रहे हैं। जागरूकता के अभाव के कारण हर साल जन्मजात विकार के साथ पैदा होने वाले 79 लाख बच्चों में से 50 प्रतिशत में विकार का सही कारण पता नहीं लग पाता। ऐसे में बच्चों में हमेशा के लिए अपंगता का खतरा कहीं अधिक बढ़ जाता है।
सिर्फ भारत देश की बात करें तो हमारी चार प्रतिशत आबादी किसी न किसी दुर्लभ बीमारी से ग्रसित है। रेयर डिजीज इंडिया फाउंडेशन की ओर से रेयर डिजीज डे के मौके पर जागरुकता बढ़ाने के लिए एक सेमिनार आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं जेके लोन हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. कैलाश मीणा ने कहा कि दुर्लभ बीमारियों के इलाज को और बेहतर बनाने के लिए सरकार की ओर से पूरी सहायता दी जा रही है। राज्य सरकार ने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना के लिए 22 करोड़ रुपए और बाल संबल योजना के तहत 50 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया है। इससे दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों को उचित उपचार मिल सकेगा। नोडल सेंटर फॉर रेयर डिजीज जेके लोन हॉस्पिटल के इंचार्ज डॉ. प्रियांशु माथुर ने बताया कि देश में जन्मजात विकार नवजात बच्चों की मृत्यु का पांचवां सबसे बड़ा कारण है। इसकी सही पहचान के लिए हाई रिस्क स्क्रीनिंग, कोर फंक्शनल एनबीएस, हियरिंग स्क्रीनिंग, सीसीएचडी जैसे टेस्ट करवाने चाहिए। अस्पताल में हर गुरुवार को रेयर डिजीज क्लिनिक लगाया जाता हैए जहां दुर्लभ बीमारियों से ग्रसित बच्चों को समुचित उपचार दिया जाता है। रेयर डिजीज इंडिया फाउंडेशन के निदेशक डॉ. सौरभ सिंह ने बताया कि इसी कड़ी में वाक फॉर रेयर का भी आयोजन किया गया।
Comment List