सम्पन्न को स्कॉलरशिप देना जनता की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग : हाईकोर्ट
हम आंखें मूंदें नहीं रह सकते
स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप स्कीम के तहत 25 लाख रुपए सालाना आय वाले परिवार के अभ्यर्थी को ई3 वर्ग में दी जा रही छात्रवृत्ति पर रोक
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप स्कीम के तहत 25 लाख रुपए सालाना आय वाले परिवार के अभ्यर्थी को ई3 वर्ग में दी जा रही छात्रवृत्ति पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने इस योजना के तहत अब तक लाभ लेने वाले अभ्यर्थियों और उनके माता-पिता की संपूर्ण जानकारी पेश करने को कहा है। अदालत ने कहा कि गत 17 अप्रैल को भी इस संबंध में जानकारी मांगी गई थी, लेकिन जानकारी पेश नहीं करना दर्शाता है कि सरकार उन परिवारों की पहचान छुपाना चाहती है। ऐसे में लगता है कि यह योजना ऐसे लोगों को लाभ देने के लिए ही तैयार की गई है, जिनकी सालाना आय 25 लाख रुपए से अधिक है। जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश मनजीत देवड़ा की याचिका पर दिए। अदालत ने 9 मई तक राज्य सरकार को यह बताने को कहा है कि क्यों ना इस योजना को बंद कर दिया जाए।
क्या कहा कोर्ट ने
अदालत ने कहा कि ऐसी स्कॉलरशिप के नाम पर करोड़ों रुपए ऐसे लोगों को दिए जाते हैं, जिनके माता-पिता धनी है। सरकार स्कॉलरशिप के नाम सरकारी खजाने का दुरुपयोग कर रही है। ऐसे में अदालत सरकार की ऐसी कार्यप्रणाली पर अपनी आंख मूंदकर नहीं बैठ सकती है। अदालत ने कहा कि अपात्र अभ्यर्थियों को योजना का लाभ इसलिए मिल रहा है कि उनके माता-पिता प्रभावशाली पदों पर हैं। स्कॉलरशिप का वास्तविक लाभ जरूरतमंद व गरीबों को नहीं दिया जा रहा है। जबकि वे वास्तव में उत्कृष्ट हैं, लेकिन योजना का लाभ लेने के लिए प्रभावशाली स्थिति में नहीं है।
यह कहा याचिका में
याचिकाकर्ता ने स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप स्कीम में आवेदन किया था। उसका विदेश के विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए चयन किया गया और उसने फरवरी, 2024 को वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय से विज्ञान स्रातक की पढ़ाई आरंभ कर दी। इसके बावजूद उसे स्कॉलरशिप की राशि जारी नहीं की गई। इसके जवाब में राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने कहा कि साल 2021-22 में याचिकाकर्ता के परिवार की वार्षिक आय 13.35 लाख और 2022-23 में 13.55 लाख थी, लेकिन ई1 कैटेगरी में स्कॉलरशिप लेने के लिए याचिकाकर्ता के परिवार की साल 2023-24 की वार्षिक आय 6.96 लाख रुपए दर्शाई गई। इस पर सीए से विशेषज्ञ राय ली गई। जिसमें सामने आया कि याचिकाकर्ता के परिवार की कुल आय 11.32 लाख रुपए थी। ऐसे में उसे स्कॉलरशिप नहीं दी गई।

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