हाईकोर्ट ने ऑनलाइन ठगी के आरोपियों को जश्न नहीं मनाने की शर्त पर दी जमानत
सुनवाई पूरी होने में समय लगने की संभावना
जमानत याचिकाओं में अदालत को बताया कि प्रकरण में आरोपियों को झूठा फंसाया है।
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने ऑनलाइन ठगी के आरोप में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे दो आरोपियों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने दोनों आरोपियों पर शर्त लगाई है कि वे जमानत पर रिहा होने के बाद सार्वजनिक रूप से जश्न नहीं मनाएंगे। अदालत ने कहा यदि आरोपी सार्वजनिक रूप से जश्न करते मिले तो राज्य सरकार उनकी जमानत को रद्द कराने के लिए याचिका दायर कर सकती है। जस्टिस गणेश राम मीणा की अवकाशकालीन एकलपीठ ने यह आदेश सौरभ और सौरभ गोस्वामी की जमानत याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए दिए। जमानत याचिकाओं में अदालत को बताया कि प्रकरण में आरोपियों को झूठा फंसाया है।
याचिकाकर्ता बीते 25 मार्च से न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे हैं। पुलिस ने प्रकरण में विस्तृत जांच कर आरोप पत्र भी संबंधित अदालत में पेश कर दिया है। जिसकी सुनवाई पूरी होने में समय लगने की संभावना है। ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए। इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ताओं पर ऑनलाइन ठगी करने का गंभीर आरोप है। अदालत के सामने आया कि यदि आरोपियों को जमानत दी गई तो ये सार्वजनिक रूप से अपनी रिहाई का जश्न मनाएंगे। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आरोपियों को जमानत पर रिहा करने के आदेश देते हुए उन्हें सार्वजनिक रूप से जश्न नहीं मनाने को कहा है। गौरतलब है कि करौली निवासी इन आरोपियों पर गत मार्च माह में स्थानीय थाने में आॅनलाइन ठगी का मामला दर्ज कराया गया था।

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