डर्माकॉन -2025 में अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने चर्म रोगों के वैज्ञानिक पद्धति से इलाज पर की चर्चा
600 से अधिक भारतीय और 21 अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने साझा किए अनुभव
त्वचा की देखभाल पर चर्चा करते हुए विशेषज्ञों ने बताया कि यदि एटोपिक डर्माटाइटिस बीमारी में यदि सही लोसन के उपयोग से चर्म रोग से निजात पा सकता है।
जयपुर। इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट्स वेनेरियोलॉजिस्ट्स और लेप्रोलॉजिस्ट्स के 53वें राष्ट्रीय सम्मेलन डर्माकॉन-2025 का सफ ल आयोजन हुआ। इसमें 600 से अधिक भारतीय और विदेशी विशेषज्ञों ने भाग लिया। डर्माकॉन नेशनल कॉन्फ्रेंस के चौथे दिन बच्चों में होने वाली एलर्जी एटोपिक डर्माटाइटिस दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट से आई विशेषज्ञ डॉ नीना खन्ना ने बताया कि एटोपिक डर्माटाइटिस के मरीजों के अंदर नई दवा सीक्लोजिबमैब से मरीजों को राहत मिली है, इस बीमारी का उपचार अब आसनी से होने लगा है। दूसरे सत्रों में त्वचा की देखभाल पर चर्चा करते हुए विशेषज्ञों ने बताया कि यदि एटोपिक डर्माटाइटिस बीमारी में यदि सही लोसन के उपयोग से चर्म रोग से निजात पा सकता है।
आयोजन अध्यक्ष डॉ.यूएस अग्रवाल ने बताया की चार दिनों तक चले डर्माकॉन 53वें राष्ट्रीय सम्मेलन में चर्म रोगों पर वैज्ञानिक पद्धति पर 80 सत्रों में चर्म रोगों पर गहन चर्चा हुई। बच्चों से लेकर बुजर्गों के लिए चर्म रोगों पर 1200 शोध पत्रों में नई तकनीक पर चर्चा हुई। आयोजन सचिव डॉ. दीपक के माथुर, कोषाध्यक्ष डॉ. विजय पालीवाल, वैज्ञानिक समिति के अध्यक्ष डॉ असित मित्तल ने बताया की इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट्स वेनेरियोलॉजिस्ट्स और लेप्रोलॉजिस्ट्स का आयोजन सफ लतापूर्वक किया गया। मेक्सिको से आए डॉ जॉर्ज ने बताया कि एआई के उपयोगिता अब चर्म रोगों में बहुत उपयोगी हो गई है और इसका उपयोग करना मरीजों के लिए बहुत ही लाभप्रद रहा है। एआई के उपयोग से अब चर्म रोगों की पहचान करना और उस का इलाज खोजना भी सुगम हो गया है।
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