अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस: नोखा की 92 साल की दादी पानी देवी की खेलों में दादागिरी

अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस: नोखा की 92 साल की दादी पानी देवी की खेलों में दादागिरी

छह महीने पहले मैदान देखा और खेलों में ऐसी रमी कि पुणे मास्टर्स मीट में तीन गोल्ड जीत लाई, पर मदद न मिलने से वर्ल्ड चैंपियनशिप में रुके कदम

जयपुर। पोते के साथ पहली बार खेल का मैदान देखा और 92 साल की दादी का मन खेलों में ऐसा रमा कि छह महीने बाद ही पुणे मास्टर्स मीट में एक नहीं तीन गोल्ड मेडल जीत लाई। दादी ने स्वीडन वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए भी क्वालीफाई कर लिया लेकिन पैसे की तंगी में कहीं से कोई मदद न मिलने के कारण कदम रुक गए और दादी स्वीडन नहीं जा सकी।

ये कहानी है बीकानेर की नोखा तहसील के गांव अणखीसर की बुजुर्ग महिला एथलीट पानी देवी गोदारा की। पानी देवी वर्ल्ड चैंपियनशिप में देश का झंडा बुलन्द नहीं कर पाने से निराश तो हैं लेकिन हार मानने वाली नहीं हैं। पानी देवी अब नवम्बर में जयपुर में होने वाली मास्टर्स स्टेट चैंपियनशिप की तैयारी में जुटी हैं। पानी देवी इस उम्र में खेल के मैदान पर दुनिया के चैंपियन स्प्रिंटर यूसेन बोल्ट की तरह तेजी तो दिखाती हैं लेकिन अपनी उपलब्धि पर बातचीत में उन्हें बड़ा संकोच रहता है। पानी देवी के पोते जयकिशन गोदारा खुद राष्ट्रीय स्तर के एथलीट रहे हैं और अब कोचिंग करते हैं। जयकिशन ने बताया कि खेल में दादी की शुरुआत बड़े अनूठे अन्दाज में हुई। मैं दादी को ग्राउण्ड पर घुमाने ले गया। वहां देखा दादी बच्चों के साथ ट्रेक पर चक्कर लगा रही थी। दादी ने तीन चक्कर लगाए लेकिन कहीं कोई थकान नहीं। बाद में बच्चों के साथ दौड़ लगाई तो आसानी से ट्रेक का चक्कर पूरा कर लिया। और यहीं से दादी की खेलों में शुरुआत हो गई। 

बनीं मिसाल
पांच बेटों और तीन बेटियों की मां पानी देवी गांव की महिलाओं और युवा खिलाड़ियों के लिए मिसाल बनी हैं। वे गांव की महिलाओं को भी खेलों में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करती हैं और अपने बच्चों और विशेषकर लड़कियों को भी खिलाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

पुणे मास्टर्स में जीते तीन गोल्ड
जयकिशन ने बताया कि दादी को ग्राउण्ड का ऐसा चस्का लगा कि बच्चों के साथ रोज दौड़ने लगी और फिर इसी साल अप्रैल में पुणे में हुई मास्टर्स एथलेटिक्स में पहली बार प्रतिस्पर्धा में उतरी। पानी देवी ने 100 मीटर दौड़ के साथ ही शॉटपुट और डिस्कस थ्रो स्पर्धा में भी गोल्ड मेडल जीत लिया। 

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ये है दादी की सेहत का राज
92 साल की उम्र में भी दादी की सेहत का राज पूछे जाने पर वे कहती हैं कि सुबह जल्दी उठना, घर का काम खुद करना, अच्छा खाना यही उनकी सेहत का राज है। दादी बताती हैं कि उन्होंने कभी बाहर का खाना (फास्ट फूड) नहीं खाया, ठण्डे पानी से परहेज रखा और अपना काम खुद किया। जयकिशन ने बताया कि दादी घर में मवेशियों की देखभाल के बाद सुबह दो घंटे ग्राउण्ड पर प्रैक्टिस करती हैं। दोपहर खाने के बाद कुछ देर आराम करना और फिर शाम को ग्राउण्ड पर प्रैक्टिस करना, यही उनकी दिनचर्या बनी है। 

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77 साल की फूल कंवर भी कई सालों से बनी हैं चैंपियन
जयपुर की 77 साल की फूल कंवर चौधरी बचपन में कबड्डी की खिलाड़ी रहीं। उम्र बढ़ी लेकिन खेलों से नाता नहीं टूटा। घर गृहस्थी की जिम्मेदारी पूरी कर फूल कंवर फिर से खेलों में लौटीं और पिछले तीन साल से वे एक नहीं चार स्पर्धाओं में स्टेट चैंपियन बनी हैं। फूल कंवर शॉटपुट, डिस्कस थ्रो और जेवेलिन थ्रो के साथ सौ मीटर दौड़ में भी अव्वल बनी हैं। उन्होंने पिछले साल कोलकाता में नेशनल मास्टर्स मीट में भी हिस्सा लिया।

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