जयपुर मिलिट्री स्टेशन को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, एक हजार करोड़ रुपए की जमीन होगी अतिक्रमण मुक्त

अतिक्रमियों को बेदखल किया जाए

जयपुर मिलिट्री स्टेशन को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, एक हजार करोड़ रुपए की जमीन होगी अतिक्रमण मुक्त

खंडपीठ के समक्ष मिलिट्री का कहना था कि मिलिस्ट्री से संबंधित भूमि के संबंध में राजस्व न्यायालय में दावा पेश नहीं किया जा सकता।

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने झोटवाड़ा इलाके में साल 1950 में रक्षा विभाग को दी करीब एक हजार करोड़ रुपए की 260 बीघा जमीन पर अतिक्रमण से जुडे मामले में जयपुर मिलिट्री स्टेशन को बड़ी राहत दी है। इसके साथ ही अदालत ने मामले में अतिक्रमियों के पक्ष में राजस्व अदालत की ओर से दिए आदेशों और एकलपीठ के आदेश को निरस्त कर दिया है। अदालत ने माना की राजस्व अदालतों ने बिना क्षेत्राधिकार आदेश पारित किए थे। जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस प्रमिल कुमार माथुर की खंडपीठ ने यह आदेश भारत सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए दिए। अपील में केन्द्र सरकार की ओर से एएसजी आरडी रस्तोगी एवं अधिवक्ता चन्द्रशेखर शर्मा ने बताया कि 1950 में रक्षा विभाग को तत्कालीन जयपुर रियासत की फौज राजपुराना लांसर की करीब 3600 बीघा जमीन हस्तांतरित की गई थी।

यह जमीन मिलिट्री के रिकॉर्ड में भी दर्ज हो गई और इसका कब्जा लेने के दस्तावेज भी मिलिट्री के पक्ष में तैयार हो गए। वहीं इस जमीन में से 260 बीघा जमीन पर खातीपुरा व जगन्नाथपुरा के लोगों ने अतिक्रमण कर लिया। इस दौरान रक्षा संपदा अधिकारी, जयपुर ने अतिक्रमियों को जमीन खाली करने के लिए कई नोटिस दिए, लेकिन उन्होंने नोटिस का कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। इस पर साल 1972 में उन्हें बेदखल करने का आदेश दिया और 28 दिसंबर, 1972 को मिलिट्री ने जमीन का कब्जा भी ले लिया। अतिक्रमियों ने इस आदेश की अपील जिला न्यायाधीश के समक्ष नहीं कर इसे एसडीएम जयपुर के यहां चुनौती दी। राजस्व न्यायालय को इस दावे को सुनने का अधिकार नहीं होते हुए भी सुनवाई कर अतिक्रमियों के पक्ष में दावा मंजूर किया। मिलिट्री ने इसे अपीलीय अधिकारी, राजस्व बोर्ड व हाईकोर्ट की एकलपीठ में चुनौती दी, लेकिन कहीं से भी उन्हें राहत नहीं मिली। इस पर खंडपीठ में अपील पेश की गई। 

खंडपीठ के समक्ष मिलिट्री का कहना था कि मिलिस्ट्री से संबंधित भूमि के संबंध में राजस्व न्यायालय में दावा पेश नहीं किया जा सकता। इसलिए राजस्व अदालतों के आदेश को निरस्त कर अतिक्रमियों को बेदखल किया जाए और जमीन का कब्जा उन्हें दिलवाया जाए।

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