संस्कारों से प्रेम कर उन्हें आचरण में उतारें, प्रतिकूल परिस्थितियों से निकालने का काम किया है श्रीमद्भगवत गीता ने : भारद्वाज
जीवन से बड़ा कोई विद्यालय नहीं होता
मोटिवेशनल स्पीकर व ऐक्टर नीतीश भारद्वाज का कहना है कि हर माता-पिता अपने बच्चों से कहते है सुसंगति में रहे और कुसंगति से दूर रहे।
जयपुर। मोटिवेशनल स्पीकर व ऐक्टर नीतीश भारद्वाज का कहना है कि हर माता-पिता अपने बच्चों से कहते है सुसंगति में रहे और कुसंगति से दूर रहे। जीवन से बड़ा कोई विद्यालय नहीं होता। इससे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। जीवन हमारी कई तरह से परीक्षाएं लेता रहता है। भारद्वाज ने कहा कि जब-जब मैं विकट परिस्थितियों में रहा, तब तब मैंने भगवतगीता पढ़ी, उससे मुझे उस विकट परिस्थितियों से निकलने का मार्ग मिला। भारद्वाज ने कहा कि पुस्तकीय ज्ञान से कुछ नहीं होता, उस ज्ञान को हमें अपने आचरण में उतारना पड़ता है। संस्कारों से प्रेम कर इसे आचरण में लाना होगा। केवल रोल करने से ही सब कुछ नहीं आ जाता। इसके लिए रीयल लाइफ में मेहनत करते रहने की जरूरत है। भारद्वाज ने कहा कि आजकल हिन्दुत्व के बारे में बहुत चर्चाएं हो रही हैं, जहां पर हिन्दू, सनातन ये बड़े शब्द बोले जा रहे हैं, पूछा जा रहा है, सनातन क्या है।
जो परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है, वो ही सनातन है। ये धर्म सनातन है। हिन्दू शब्द सनातन नहीं है। हिन्दू शब्द दिया गया शब्द है। जो कि तीन हजार साल पहले दिया गया शब्द है। ये सभ्यता सनातन अवश्य है, जिसे अंग्रेजी में हम कल्चर कहते है। जब हम संस्कृति या कल्चर कहें तो ऐसा होना चाहिए कि हमारे बच्चे और उपजाऊ और योग्य बनें। भारद्वाज ने कहा कि पहले वेदों, उपनिषदों का भारत था। यहीं काल है जो सनातन से चला आ रहा है। हिन्दु धर्म का सही नाम वैदिक धर्म है। आज के परिवेश में हमारे सामने इतने बड़े लक्ष्य हैं और भारत इनमें ऊपर न आ जाए, ऐसी भी गतिविधियां यहां चल रही है। इसलिए अब समय आ गया है कि पूरे समाज को एकत्र होने की जरूरत है। इन्हें भारत शब्द से प्रेम करना होगा, ना कि इंडिया शब्द से। भारत में बडे-बडे महापुरुषों ने जन्म लिया है। ये हमारे प्रेरणा स्रोत है। लोग बोलते है मैं राजनीति में आ गया, लेकिन राजनीति ने ही मुझे भारत दिखाया है।
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