महिला महापंचायत : जन्म, परण और मरण की कुरीतियां दूर करने का संकल्प
पहले स्वयं के घर-परिवार में लागू करें संकल्प
मृत्यु के बाद शीशी पूजन पर केवल स्वर्गवासी पुरूष के ससुराल और स्वर्गवासी महिला के पीहर पक्ष से केवल एक ही जोड़े के कपड़े लेने का निर्णय।
जयपुर। आदिवासी मीणा महिला विकास संघ के बैनर तले हुई ‘महिला पंचायत’ में महिलाओं ने जन्म, परण और मरण संस्कारों से जुड़े कई कुरीतियों पर प्रतिबंध लगाने, अंधविश्वासों और पाखंड पर रोक लगाकर शिक्षा को आगे बढ़ाने के संकल्प लिए गए। जवाहर सर्किल के पास इन्द्रलोक गार्डन में राज्य के विभिन्न हिस्सों से अपनी परम्परागत वेशभूषा में आई महिला शक्ति ने समाज की विसंगतियों को दूर करने के प्रस्ताव पारित किए गए। महिला संघ प्रदेशाध्यक्ष मंजू जेफ ने पंचायत के सर्वसम्मत निर्णयों के बारे में कि दशोटन, छुछक, दहेजप्रथा, सामाजिक आयोजनों में शराब उपलब्ध नहीं कराने और अनावश्यक खर्च पर रोक लगाने सहित आयोजन में व्यंजनों की संख्या 11 से अधिक नहीं रखने और बिठाकर भोजन कराने की परम्परा को पुन: शुरू करने की बात कही गई। जनाना हॉस्पिटल अधीक्षक डॉ.कुसुमलता मीणा ने पंचायत की अध्यक्षता की। महिला संघ की सभी पदाधिकारियों ने पंचायत में लिए गए सभी निर्णयों को अपने घर-परिवार से लागू करने की शपथ ली। वैवाहिक विवादों की आदिवासी परम्परा से सुनवाई सक्षम एवं अनुभवी महिला काउंसलर की उपस्थिति में करने में ही सलाह दी गई और महिला काउंसलर की अनुपस्थिति में लिए जाने वाले फैसले को नहीं मानने का निर्णय लिया गया। पंचायत में प्रकृति संरक्षण में वृक्षारोपण अभियान चलाने तथा आदिवासी समाज की ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण संकल्प पारित किया।
ये महत्वपूर्ण फैसले हुए
मृत्यु के बाद शीशी पूजन पर केवल स्वर्गवासी पुरूष के ससुराल और स्वर्गवासी महिला के पीहर पक्ष से केवल एक ही जोड़े के कपड़े लेने का निर्णय।
मृत्युभोज पर पूरी तरह रोक लगाने के साथ ही छमाही, बरसी पर बड़े भोज को मृत्यभोज ही मानते हुए उस पर पूरी तरह रोक। स्त्रीधन के रूप में दिए जाने वाले गहने और वर को अंगूठी को छोड़कर किसी भी प्रकार के आभूषण, नगदी, कार, प्लाट को दहेज मानते शादी का बहिष्कार करने का निर्णय।
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