शिव, सिद्ध और त्रिपुष्कर योग में 18 को मनेगी निर्जला एकादशी
24 एकादशी का पुण्य मिलता है व्रत रखने से
ठाकुरजी के मंदिरों में विशेष झांकियां सजने के साथ शहरभर में दान-पुण्य होगा। जगह-जगह फल, जूस, पानी, शिकंजी, खाने पीने की स्टॉल्स लगाई जाएगी।
जयपुर। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत रखने से साधक को 24 एकादशी का फल प्राप्त होता है। अधिक मास या मलमास लगने पर इनकी संख्या 26 हो जाती है। इस बार 18 जून को वैष्णव धर्मावलम्बी एकादशी का व्रत रखेंगे। एक दिन पहले स्मार्त धर्मावलम्बी व्रत रखेंगे। एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपसना करने और निर्जल रहकर उपवास रखने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस व्रत को महिला एवं पुरुष श्रद्धालु दोनों करेंगे। निर्जला एकादशी पर आराध्यदेव गोविंददेवजी मंदिर में मंगला
झांकी का समय साढ़े 4 से सवा 5 बजे तक रहेगा। मंदिरों में सजेगी झांकियां, भोग में तुलसी दल होगा अर्पित
ठाकुरजी के मंदिरों में विशेष झांकियां सजने के साथ शहरभर में दान-पुण्य होगा। जगह-जगह फल, जूस, पानी, शिकंजी, खाने पीने की स्टॉल्स लगाई जाएगी। स्कंद पुराण के विष्णु खंड में एकादशी महात्म्य के अध्याय में है कि सालभर की एकादशी का पुण्य निर्जला एकादशी को करने से मिलता है। महाभारत काल में पांडव पुत्र भीम ने भी इस एकादशी भी कहते हैं। पौराणिक शास्त्रों में इसे भीमसेन एकादशी, पांडव एकादशी और भीम एकादशी के नाम से भी जानते हैं।
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि निर्जला एकादशी पर शिवयोग रात 9.39 बजे तक रहेगा। इसके बाद सिद्ध योग लग जाएगा। दोपहर में 3.56 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 5.24 तक त्रिपुष्कर योग है। भगवान विष्णु की पूजा अर्चना कर भोग में तुलसी दल अर्पित किया जाएगा।
कथा
भीमसेन को अधिक भूख लगती थी, जिसके कारण वे कभी व्रत नहीं रखते थे। भीमसेन चाहते थे कि मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति हो और उनको पुण्य मिले। तब उन्होंने निर्जला एकादशी व्रत रखा था। इस व्रत के प्रभाव से वे पाप मुक्त हो गए और अंत में मोक्ष को प्राप्त हुए।

Comment List