राजस्थान में अब कांग्रेस सभी संभागों में नेताओं को करेगी मजबूत, अन्य संभागों के जिलों में करेगी अलग-अलग कार्यक्रम
आगामी दिनों में कांग्रेस अन्य संभागों के जिलों में भी अलग अलग कार्यक्रम करेगी
आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी उपस्थिति मजबूती से दर्ज कराने के लिए अब राजस्थान कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदली है
जयपुर। आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी उपस्थिति मजबूती से दर्ज कराने के लिए अब राजस्थान कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदली है। आलाकमान के निर्देश पर अब सभी संभागों में स्थानीय नेताओं को मजबूत करने की कवायद तेज की जाएगी। बाड़मेर जैसे सीमावर्ती जिले को जय हिंद सभा के लिए चुनना स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को महत्व देने का संदेश देता है। इससे हरीश चौधरी जैसे स्थानीय नेताओं की स्थिति मजबूत हो सकती है, जो सभा में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
यह सभा स्थानीय स्तर पर कांग्रेस की उपस्थिति को मजबूत करने और कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ाने में मदद करेगी, जो हाल के उपचुनावों में हार के बाद जरूरी है। आगामी दिनों में कांग्रेस अन्य संभागों के जिलों में भी अलग अलग कार्यक्रम करेगी, जिसमें सभी दिग्गज नेता भी मौजूद रहेंगे। यह कवायद कांग्रेस को पूरे राजस्थान में मजबूत करने के लिए स्थानीय नेताओं को मजबूत के लिए है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि उपचुनावों में हार के बाद कांग्रेस हाईकमान ने संगठन को मजबूत करने के लिए बदलाव की हरी झंडी दे दी है। पार्टी कार्यकर्ताओं की परफॉर्मेंस की निगरानी और नियमित बैठकों पर जोर दिया जा रहा है।
गहलोत, पायलट और डोटासरा के बीच शक्ति संतुलन का खेल चल रहा है, जिससे संगठन में नई रणनीति और नेतृत्व की संभावनाएं बन रही हैं। राजस्थान कांग्रेस में अगले दो महीनों में संगठन और नेतृत्व में बड़े बदलाव की संभावना है। नए चेहरों को मौका देने, निष्क्रिय पदाधिकारियों को हटाने और बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। हालांकि, गहलोत-पायलट गुटों की खींचतान और आंतरिक एकता की कमी बदलाव की प्रक्रिया को जटिल बना सकती है।

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