जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित 3 दिवसीय जयपुर नाट्य समारोह के अंतिम दिन : शिक्षा का संदेश, भू्रण हत्या पर कटाक्ष
जावेद हुसैन और डॉ. बबीता ने सजाया गजलों का गुलदस्ता
जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित तीन दिवसीय ‘सुमिरन’ कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
जयपुर। जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित तीन दिवसीय जयपुर नाट्य समारोह के अंतिम दिन नाटक ‘गुड्डी एंड द सिटी ऑफ अनबॉर्न किड्स’ खेला गया। प्रस्तुत नाटक में नाटककार तपन भट्ट की दो अलग-अलग कहानियों और लघु नाटकों को मिलाकर किया गया एक अनूठा प्रयोग है। जिसे दर्शकों ने काफी सराहा। नाटक का निर्देशन डॉ.सौरभ भट्ट ने किया। नाटक के आरम्भ में शिक्षा और बचपन नामक दो पात्र आते हैं और आपस में बात करते हुए दोनों एक दूसरे को एक-एक कहानी सुनाते हैं। पहली कहानी गांव की एक सीधी-सादी लड़की गुड्डी की है, जो पढ़ना चाहती है। लेकिन उसे पढ़ाया नहीं जाता। नाटक में कम से कम प्रॉप्स और सेट का प्रयोग किया गया। नाटक की खूबसूरती यह रही कि इस नाटक में दो अलग-अलग कहानियों में अलग-अलग दृश्य बने किन्तु एक बार भी फेडआउट का प्रयोग नहीं किया गया। साथ ही ये नाटक ने सशक्त उदाहरण पेश किया कि हम समाज को ‘थिएटर इन एजुकेशन’ के माध्यम से किस तरह शिक्षित कर सकते हैं और सही मायनों में थिएटर इन एजुकेशन यानि शिक्षा में रंगमंच को आधुनिक शिक्षा के साथ क्यूं जोड़ना आवश्यक है।
जावेद हुसैन और डॉ. बबीता ने सजाया गजलों का गुलदस्ता
जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित तीन दिवसीय ‘सुमिरन’ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। मध्यवर्ती में मशहूर गजल गायक जावैद हुसैन और डॉ.बबीता ने अपनी सुरीली आवाज में विभिन्न रचनाएं पेश की। जावेद ने ‘बाल निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी’ गजल के साथ प्रस्तुति की शुरुआत की। शाम से आंखों में नमीं सी है और देस में निकला होगा चांद... गजल पेश कर उन्होंने विरह के दर्द को जाहिर किया।
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