राजस्थान उपचुनाव: कांग्रेस को 3 सीटों पर भीतरघात का खतरा, झुंझुनूं में ओला परिवार की साख दाव पर

बागियों का मामले से ज्यादा कांग्रेस को भीतरघात करने वालों की चिंता बनी हुई है।

जयपुर। प्रदेश की सात सीटों पर विधानसभा उपचुनाव में सजी चौसर के बावजूद कांग्रेस को तीन सीटों पर भीतरघात का डर सता रहा है। झुंझुनूं, देवली-उनियारा और सलूम्बर सीट पर सता रहे इस खतरे में झुंझुनूं सीट पर ओला परिवार की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है। कांग्रेस ने भीतरघात की आशंका वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं की गतिविधियों की मॉनिटरिंग करने के लिए कई नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है। 

पर्चा दाखिल के बाद कांग्रेस की बागियों और भीतरघात पर नजर बनी हुई है। बागियों का मामले से ज्यादा कांग्रेस को भीतरघात करने वालों की चिंता बनी हुई है। इसमें झुंझुनूं, देवली-उनियारा और सलूम्बर सीट को लेकर कांग्रेस रणनीतिकार मंथन करने में जुटे हुए हैं। भीतरघात करने वालों की पहचान और उनकी गतिविधियों की निगरानी के लिए पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को कमान सौंपी है। विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे बागी और भीतरघात वालों से नुकसान के डेमेज कंट्रोल के लिए चुनावी कमान संभाल रहे नेताओं को निर्देश दिए जा रहे हैं, ताकि वे मौके पर ही स्थितियों को संभाल सकें। 

तीन विधानसभा क्षेत्रों में यह है कांग्रेस की स्थिति
झुंझुनूं:
भीतरघात करने वाले कामयाब रहे तो ओला परिवार के साथ ही यहां पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा और कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट की साख पर भी असर आएगा। बागियों के कारण कांग्रेस ने यहां पिछले चार चुनाव त्रिकोणीय मुकाबले में जीते। कांग्रेस नेता एमडी चौपदार की नाराजगी और पूर्व मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा की वजह से कांग्रेस को नुकसान की आशंका है। 

देवली-उनियारा:
कांग्रेस के नरेश मीणा के बागी होकर चुनावी मैदान में उतरने के बाद यह सीट कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण बनी है। विधायक से सांसद बने हरीशचन्द्र मीणा के बेटे हनुमंत मीणा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री और भाई नमोनारायण मीणा भी यहां दावेदार थे। पार्टी ने यहां केसी मीणा को टिकट दिया तो अन्य दावेदारों से भीतरघात का डर पार्टी को सता रहा है। 

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सलूम्बर:
इस सीट पर लंबे समय से भाजपा का कब्जा रहने के कारण कांग्रेस ने पूर्व में बगावत कर चुकी रेशमा मीणा पर दाव खेला है। पूर्व सांसद रघुवीर मीणा की नाराजगी की वजह से यहां भीतरघात का खतरा बना हुआ है। रघुवीर मीणा कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन तक में नहीं पहुंचे थे,क्योंकि वे खुद और उनकी पत्नी बसंती मीणा दावेदार थे और रेशमा मीणा उनके सामने निर्दलीय चुनाव लड़कर उनको एक बार हरवा चुकी थी।

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