राजस्थान का पानी पीने वाला किसी के दबाव में काम नहीं करता : राजनीति में बढ़ रहा तापमान, धनखड़ बोले– न मैं झुकता हूं, न ओम बिड़ला

धनखड़ ने कहा कि राज्यपाल बागड़े की बातों में सटीकता

राजस्थान का पानी पीने वाला किसी के दबाव में काम नहीं करता : राजनीति में बढ़ रहा तापमान, धनखड़ बोले– न मैं झुकता हूं, न ओम बिड़ला

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष के दबाव में काम करने के आरोपों पर कहा कि राजस्थान का पानी पीने वालाकिसी के दबाव में काम नहीं कर सकता है

जयपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष के दबाव में काम करने के आरोपों पर कहा कि राजस्थान का पानी पीने वालाकिसी के दबाव में काम नहीं कर सकता है। धनखड़ सोमवार को कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में राजस्थान प्रगतिशील मंच पूर्व विधायक संघ के स्नेह मिलन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। समारोह में धनखड़ सहित राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली का भी सम्मान किया गया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि राज्यपाल बागड़े की बातों में सटीकता है। राज्यपाल जब प्रान्त में होता है तो सब कुछ आसान नहीं होता। अब तो उपराष्ट्रपति भी इस दायरे में लाए जाते हैं। मैं किसी के दबाव में नहीं आता हूं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला भी दबाव में नहीं आ सकते। राजस्थान का पानी पीने वाला व्यक्ति कभी दबाव में आ ही नहीं सकता।

राजस्थान से बलराम जाखड़ के बाद ओम बिड़ला ऐसे दूसरे अध्यक्ष हैं, जिनको लगातार दूसरी बार अध्यक्ष बनने का मौका मिला है। प्रतिपक्ष का बहुत बड़ा योगदान रहता है। अभिव्यक्ति, वाद विवाद हो, लेकिन अभिव्यक्ति कुंठित हो जाती है तो वातावरण दूषित होता है। अभिव्यक्ति की पहल सार्थक होनी चाहिए। पूर्व विधायकों की मांगों को लेकर धनखड़ ने कहा कि 26 साल पहले बनी आचार समिति में इसके लिए नियम बने थे। जनसेवा से जुड़े रहने के कारण इनको सम्मान मिलना चाहिए। राजनीतिक वातावरण को लेकर कहा कि आज प्रजातंत्र के लिए चिंता और चिंतन का विषय है। भैरोसिंह शेखावत का कोई दुश्मन नहीं मिलेगा, क्योंकि हरिदेव जोशी और शेखावत जैसे नेता क्रोध की राजनीति की सीख नहीं देते थे। नेता इधर उधर पार्टियां बदलते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि दुश्मनी हो जाये। आज राजनीति का तापमान बढ़ रहा है। हमारी 5 हजार साल की संस्कृति बेजोड़ है। आज विधानमण्डलों को सर्वश्रेष्ठ आचरण का पालन करना होगा। उम्मीद है कि हम सब इस ओर ध्यान देंगे। धनखड़ ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कहा कि हमारी मिसाइलों ने सटीक निशाना लगाकर आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया, जबकि आतंकियों के साथ वंहा की सरकार भी खड़ी थी। आज विश्व में लोगों को कितना पीड़ित होना पड़ रहा है। इजराइल-ईरान,यूक्रेन रसिया जैसे युद्ध चल रहे हैं, लेकिन गांधी के देश की कूटनीति अलग ही पहचान रखती है। युद्ध से अर्थव्यवस्था को चोट लगती है। हर कालखंड में व्यवस्थाएं बदलती हैं। आज भारत दुनिया की 4 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। पिछले 10 साल में भारत दुनिया की अर्थव्यवस्था में रफ्तार वाला देश बना है। यह हमारे लिए बड़ी छलांग है। 

राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा कि मैं भी पूर्व विधायक हूं। मज़ाकिया अंदाज में पूर्व विधायकों ने अपनी पेंशन को 35 हजार से बढ़ाकर 45 हजार करने की मांग की है। शायद राज्य सरकार केखजाने के बारे में सोचकर कम पैसे बढ़ाने के लिए मांग रखी है। अखबारों में खबरें छप रही हैं कि सीएम और राज्यपाल दबाव में काम कर रहे हैं। ऐसा कुछ नहीं है, हम तो केवल संविधान के दबाव में है। किसी के दबाव में आकर हम काम नहीं करेंगे। दबाव की बात करें तो पीओके लार्ड माउंट बेटन के दबाव में बना, जिसकी टीस हमको आज तक है। धारा 356 को लेकर भी राज्यपाल पर दबाव होने की बातें की जाती हैं। देश में 51 बार 356 का प्रयोग हुआ है। संविधान के प्रस्ताव में कभी बदलाव नहीं होता, लेकिन एक बार किया गया। बागड़े ने शिक्षा पर फोकस करने का आग्रह करते हुए कहा कि आदिवासी क्षेत्रों के बच्चों सहित सभी बच्चों को शिक्षा से जोड़ें तो राष्ट्र का विकास होगा।

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि विधायकी का पद जनहित करने का एक अनुबंध है। हमारी जवाबदेही सिर्फ विधानसभा तक ही सीमित नहीं है। आज राजनीति विचारधारा की जगह आक्षेपों पर चल पड़ी है। इस दूषित राजनीति पर हम सबको ध्यान देना होगा। राजस्थान में विधानसभा के 15 सत्र में कई बार चुनौतियां मिली है। 

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नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि पूर्व विधायकों का अपने आप में एक अनुभव है। राजनीति में उगते को सलाम है मगर छिपते को कोई नहीं पूछता। पूर्व विधायकों का लोकतंत्र में बड़ा योगदान रहा है। आज सत्तापक्ष और विपक्ष के लोगों में लोकतांत्रिक मूल्यों की कमी सामने आ रही है। आज मंहगाई को देखते हुए पूर्व विधायकों की मांगों का समर्थन करता हूं। राजस्थान विधानसभा में जिम्मेदारों को इनकी मांगों पर विचार होना चाहिए। राजस्थान प्रगतिशील मंच के सरंक्षक विधायक हरिमोहन शर्मा ने मंच की मांगें रखते हुए कहा कि पूर्व विधायकों को प्रशासन कार्यक्रमों में नहीं बुलाते। पूर्व विधायकों के लिए केंद्र सरकार की गाइड लाइन की राज्य सरकारों को पालन करना चाहिए, ताकि पूर्व विधायकों को सम्मान मिल सके।

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