सरिस्का देश का पहला टाइगर रिजर्व : जहां भालुओं को किया ट्रांसलोकेट
बाघों के साथ अब भालुओं की निगरानी भी सैटेलाइट कॉलर से
इनमें से एसटी 29 और एसटी 30 के सैटेलाइट कॉलर लगे हैं। वहीं एसटी 9 और एसटी 10 के लगाए कॉलर खराब हो गए हैं, जिन्हें जल्द हटाने की बात वन विभाग कर रहा है।
जयपुर। पिछले दिनों दो नर और एक मादा भालू को ट्रांसलोकेट कर सरिस्का टाइगर रिजर्व लाया गया। ऐसा करने पर सरिस्का टाइगर रिजर्व देश का पहला ऐसा टाइगर रिजर्व बन गया है, जहां भालुओं को ट्रांसलोकेट कर बसाया है। इसके अतिरिक्त यहां बाघों के बाद भालू दूसरे ऐसे वन्यजीव हैं, जिन्हें सैटेलाइट कॉलर पहनाए हैं। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार एक मादा और एक नर भालू को सैटेलाइट कॉलर लगाया हैं। कॉलर का वजन करीब तीन किलो बताया जाता है। साथ ही एक कॉलर की कीमत करीब 5 लाख रुपए है। इससे पहले साल 2013-14 सरिस्का से 35 किमी दूर छाजू रामपुरा से भालू को रेस्क्यू कर यहां छोड़ा गया था। जो करीब डेढ़ साल नहीं दिखा था। गौरतलब है कि यहां 8 नर, 14 मादा और 6 शावकों सहित बाघों की संख्या 28 है। इनमें से एसटी 29 और एसटी 30 के सैटेलाइट कॉलर लगे हैं। वहीं एसटी 9 और एसटी 10 के लगाए कॉलर खराब हो गए हैं, जिन्हें जल्द हटाने की बात वन विभाग कर रहा है।
बाघ भी लाए थे ट्रांसलोकेशन के जरिए
अधिकारियों के अनुसार सरिस्का साल 2004-05 में बाघ विहीन हो गया है। इसके बाद साल 2008 में रणथम्भौर से चॉपर के जरिए ट्रांसलोकेट कर बाघ और बाघिन को यहां लाया गया।
बाघों को ट्रांसलोकेशन कर बसाने के मामले में भी सरिस्का देश का पहला टाइगर रिजर्व बना था। इसे देख पन्ना टाइगर रिजर्व में भी बाघों को ट्रांसलोकेट कर बसाया गया था।
सरिस्का देश का पहला ऐसा टाइगर रिजर्व है, जहां भालूओं को ट्रांसलोकेट कर बसाया गया है। इससे पहले यहां बाघों को भी ऐसे ही बसाया था।
-डीपी जागावत, उप वन संरक्षक, सरिस्का टाइगर रिजर्व
सरिस्का ऐसा टाइगर रिजर्व बन गया है, जहां बाघों के बाद भालूओं के भी सैटेलाइट कॉलर लगाए हैं। यहां भालू को बसाने के लिए लम्बे समय से मांग की जा रही थी।
-दिनेश दुर्रानी, फाउंडर सेके्रटरी, सरिस्का टाइगर फाउंडेशन

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