गंभीर रोगियों के लिए प्रदेशभर में शुरू होगी योजना : अब घर जाकर करेंगे डॉक्टर बुजुर्गों का इलाज
अस्पताल से चिन्हित होंगे मरीज डॉक्टर-नर्सिंग कर्मी मोबाइल वैन से पहुंचेंगे
चिकित्सा विभाग के जरिए बुजुर्गों को घर बैठे इलाज उपलब्ध कराने वाला राजस्थान पहला राज्य बन रहा है।
जयपुर। प्रदेश में सरकार अब 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को घर पर इलाज की चिकित्सा सेवाएं शुरू करने जा रही है। गंभीर बीमारियों से ग्रसित बुजुर्गों को इसके बाद रूटीन इलाज, दवा और चिकित्सकीय परामर्श के लिए अस्पताल नहीं आना पडेगा। उनके इलाज के लिए चिकित्सा विभाग की टीम खुद उनके घर पहुंचेगी। राजस्थान में वर्तमान में 15 जिलों में छोटे स्तर पर प्रायोगिक रूप से मरू प्रकाश होम बेस पेलिएटिव केयर नाम से यह प्रोजेक्ट अप्रैल माह में शुरू किया गया था। अगस्त माह से प्रदेशभर में यह सेवा वृहदस स्तर पर सीएमएचओ की देखरेख में चलेगी। देश में राजस्थान ऐसा पहला राज्य होगा, जहां घर पर बीमार बुजुर्गों को चिकित्सा विभाग होम केयर मेडिकल सर्विस मिलेगी। तमिलनाडु में एनजीओ के माध्यम से यह काम हो रहा है।
सेवाएं क्यों शुरू हो रही
1 करोड़ से अधिक 60 उम्र पार के लोग हैं। हालांकि इनके इलाज के लिए सरकार ने अस्पतालों में अलग से रामाश्रय वार्ड बनाएं हैं, लेकिन गंभीर बीमारियों से जूझ रहे बुजुर्ग अस्पताल आने में असक्षम होते हैं। अस्पताल में भीड़ और सेवाओं में लगने वाले समय उनके लिए पीड़ादायी होता है। ऐसे में सरकार केन्द्र सरकार के राष्ट्रीय पैलिएटिव केयर कार्यक्रम के तहत उन्हें घर पर ही इलाज की सेवाएं दे रही है। इसके लिए एम्स में 90 नर्सिंग ऑफिसर्स को विशेष ट्रेनिंग दी जा चुकी है। मेडिकल कॉलेज के सीनियर रेजीडेंट डॉक्टरों को टीम में शामिल किया है। फिजियोथैरेपिस्ट भी टीम में शामिल करने का प्लान है।
ऐसे होंगे बीमार बुजुर्ग चिन्हित ऐसे मिलेगी सेवाएं
अस्पतालों में पहुंचने वाले ऐसे बुजुर्ग मरीजों को डॉक्टर और स्टॉफ चि्ह्तित करेगा। उनका ब्यौरा सीएमएचओ ऑफिस को भेजेगा। यहां से मोबाइल चिकित्सकीय टीम मरीज के घर पहुंचेगी। उन्हें आवश्यक चिकित्सा सेवाएं देंगी। जरूरत होने पर मौजूद डॉक्टर बीमारी संबंधित एक्सपर्ट डॉक्टर से मोबाइल पर वीडियो कॉल के जरिये संपर्क करेगा। बीमारी संबंधित दवाईयां भी उपलब्ध कराई जाएंगी। गंभीर स्थिति होने पर अस्पताल भी शिफ्ट कराया जाएगा। टीम मौके पर क्षेत्रीय पीएचसी-सीएचसी की सीएचओ, आशा, एएनएम को भी बुलाएगी। ड्रेसिंग, ड्रिप, कैथरेटर्स इत्यादि लगाने के लिए मरीज इनसे संपर्क कर इन्हें बुला सकेगा। साथ ही आशा-एएनएम आसपास के सभी गंभीर मरीजों का घर-घर सर्वे कर चि्ह्किकरण करेगी। बीमारी सहित उसकी आवश्यक चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने का सभी ब्यौरा सीएमएचओ ऑफिस भेजा जाएगा। क्षेत्रीय ओल्ड एज होम में भी ये सेवाएं दी जाएंगी।
गांवों में वॉलेंटियर्स भी जोड़े जाएंगे
चिकित्सा विभाग की टीम की मदद के लिए ग्रामीण इलाकों में क्षेत्रीय लोगों को भी बीमार और असहाय बुजुर्गों की मदद के लिए प्रेरित किया जाएगा। उन्हें वॉलेंटियर्स बनाया जाएगा। जो चिकित्सकीय टीमों की उसके इलाज में मदद करेंगे। आवश्यकता होने पर उन्हें अस्पताल लाने और इलाज में सहारा बनने का काम करेंगे।
इनका कहना है...
चिकित्सा विभाग के जरिए बुजुर्गों को घर बैठे इलाज उपलब्ध कराने वाला राजस्थान पहला राज्य बन रहा है। क्रोनिक डिजीज के ग्रसित मरीजों के लिए सिस्टम तैयार कर लिया है। रियल टाइम मोनिटरिंग को मोबाइल एप भी तैयार किया जा रहा है।
-डॉ.रवि प्रकाश शर्मा, निदेशक, जनस्वास्थ्य, चिकित्सा विभाग।

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