Rakshabandhan 2023: बहनें, जिन्होंने भाइयों की रक्षा की
करणी जी शेखा को रिहा करवाने मुल्तान गईं और वहां के पीरों को राखी बांधी
करणीमाता और पीरों का यह रिश्ता इतना मजबूत रहा कि 1947 तक यानी सरहद बनने तक मुलतान से मुस्लिम पीर मामा की सिलाड़ के रूप में करणी माता के भक्तों के लिए प्रसाद भेजते थे। करणी माता के भक्त उन्हें मामा कहकर सम्बोधित करते हैं।
जयपुर। राजस्थान में बहन और भाई के रिश्तों की गरमाहट वर्तमान से इतिहास के पन्नों तक पर मौजूद है। आइए रूबरू हों ऐसी तीन कहानियों से।
करणी माता के भाई मुस्लिम पीर
पंद्रहवीं सदी। बीकानेर का देशनोक। करणी माता। मुलतान के शासक हुसैन खां लंगा ने करणी माता के धर्मभाई पूगल के राव शेखा को युद्ध में हराने के बाद गिरफ्तार कर मुल्तान ले गया। करणी जी शेखा को रिहा करवाने मुल्तान गईं और वहां के पीरों को राखी बांधी। इसके बाद पीरों ने हुसैन खां लंगा से राव शेखा को रिहा करवाया। हुसैन खां ने राव को रिहा किया और उनके साथ सैनिक भी भेजे। वे शेखा को पूगल छोड़ जाने लगे तो राव ने दोनों को वहीं आजीवन रहने को कहा। उनकी मृत्यु हुई तो राव शेखा ने उनके सम्मान में खानकाहें बनवाई, जहां आज भी उनके सम्मान में पूजापाठ और कव्वालियां होती हैं। करणीमाता और पीरों का यह रिश्ता इतना मजबूत रहा कि 1947 तक यानी सरहद बनने तक मुलतान से मुस्लिम पीर मामा की सिलाड़ के रूप में करणी माता के भक्तों के लिए प्रसाद भेजते थे। करणी माता के भक्त उन्हें मामा कहकर सम्बोधित करते हैं।
जीण और भाई हर्ष की कहानी
जीण माता की याद में रैवासा सीकर का मंदिर प्रसिद्ध है। जीण का भाई हर्ष की पत्नी से विवाद हुआ तो वह तपस्या करने लगी। यह तपस्या सिर्फ भाई के लिए नहीं, सबके लिए हुई और जीण एक जाति विशेष के बजाय सभी धर्म और जातियों के लिए पूजनीय हो गई। जीण माता आज भी हर भाई के रक्षा के लिए तत्पर है।
अनजान बहन के घर भर दिया भात
नागौर में दो चौधरी थे। बासट गांव के गोपाल जी और खिंयाला के धर्मा जी। दोनों दिल्ली लगान जमा करवाने जा रहे थे। हरमाड़ा पहुंचे एवं विश्राम के लिए रुके तो एक महिला लिछमा रोती मिली। उसकी बेटी का विवाह था लेकिन लिछमा के पीहर में कोई भाई न था। भात कौन भरता? लिछमा की सास, देवरानी और जेठानी ने तंज कसा। वह कुएं पर रोने लगी। दोनों चौधरियों ने पूरी व्यथा सुनी और बोले : आज से हम तेरे भाई। तू क्यों रोती है बहन। चौधरियों ने अगले दिन 22,000 अशर्फियों का भात भरा। सुबह जब गांव वालों को पता चला कि लिछमा के धर्म के भाई आए हैं और भात भी भरेंगे तो सभी आश्चर्यचकित रह गए। दोनों चौधरियों ने लिछमा को नौरंगी चुनरी उड़ाई और सभी गांव वालों को उपहार दिए और लगान की पूरी राशि का भात भर दिया।
और यह पंक्तियां गाई जाती है-
बीरा तू बन जे जायल रो जाट
बनजे खियाला रो चौधरी
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