World Suicide Prevention Day: अवसाद के कारण बढ़ रही आत्महत्याएं, इसलिए भावनाएं साझा करें, तनाव मुक्त रहें और होड से बचें

World Suicide Prevention Day: अवसाद के कारण बढ़ रही आत्महत्याएं, इसलिए भावनाएं साझा करें, तनाव मुक्त रहें और होड से बचें

चौंकाने वाली बात यह है कि 15 से 29 वर्ष की आयु में यह मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है। आजकल युवा विशेष रूप से स्टूडेंट्स आगे बढ़ने की होड़ में तनाव से गुजर रहे हैं और कई बार आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं।

जयपुर। अवसाद एक प्रकार का मनोदशा विकार है जो अपने जीवनकाल में लगभग 20 में से 1 व्यक्ति को प्रभावित करता है। अवसाद के कारण बढ़ती आत्महत्या एक अत्यंत चिंता का विषय है और डब्ल्यूएचओ की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार हर साल लगभग 7 लाख 20 हजार आत्महत्याएं होती हैं। यानी लगभग हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या से अपना जीवन गंवा देता है।

चौंकाने वाली बात यह है कि 15 से 29 वर्ष की आयु में यह मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है। आजकल युवा विशेष रूप से स्टूडेंट्स आगे बढ़ने की होड़ में तनाव से गुजर रहे हैं और कई बार आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं। मनोरोग विशेषज्ञों का कहना है कि दिन प्रतिदिन बढ़ते कॉम्पिटिशन के चलते आज का स्टूडेंट बुद्धिमान और सक्षम होते हुए भी चाहे अनचाहे तौर पर एक प्रकार का तनाव महसूस करने लगता है जिसका असर ना केवल उसकी तैयारी बल्कि शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। 

क्या हैं आमजन और स्टूडेंट्स में आत्महत्या के कारण: सफलता पाने की होड़ तनाव को अप्रत्यक्ष रूप से और बढ़ा देती है। अधिकांश छात्र परिवार के सीधे संपर्क से दूर छात्रावासों में रहते हैं, इसलिए जब कुछ मानसिक तनाव होता है तो परिवार के सदस्यों की गैर मौजूदगी जो ऐसे समय में एक भावनात्मक सपोर्ट दे सकती है, कहीं न कहीं खलती है। कई बार व्यक्ति नशे का भी सहारा ले सकता है जो ज्यादा घातक है। इस उम्र में तनाव, अवसाद आदि जैसी मानसिक समस्याओं का होना और उनकी समय पर पहचान ना हो पाना भी ऐसी परिस्थितियों को पैदा कर सकता है । 

ऐसी स्थिति में कैसे करें मैनेज: पढ़ाई के साथ साथ सोशल और मनोरंजक गतिविधियों में शामिल होने के लिए छात्रों को बढ़ावा देना चाहिए। मित्रों एवं परिजनों से सकारात्मक संवाद बनाए रखें। अपनी भावनाओं को साझा करें। किसी भी प्रकार की भावनात्मक परेशानी होने पर मदद मांगना बिल्कुल सामान्य माना जाना चाहिए, इसे किसी कमजोरी के रूप में ना देखें। परिजन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बच्चों पर अपनी अपेक्षाओं का बोझ ना डालें। 

Read More केंद्र की मोदी सरकार और गहलोत के बीच कई मुद्दों पर रही खींचतान 

सोशल मीडिया भी आत्महत्या के लिए बन रहा जिम्मेदार
 मनोरोग विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया अच्छा है लेकिन इसका सही इस्तेमाल जरूरी है। इसका ज्यादा उपयोग मानसिक तनाव को बढ़ावा दे सकता है। फोन नहीं उठाना, स्टेटस नहीं देखना, पोस्ट पर लाइक्स नहीं आना, शेयर नहीं किया जाना, पोस्ट पर कमेंट्स ना आना आदि चीजें भी आजकल युवाओं को तनाव दे रही हैं।

Read More रोडवेज परिचालक हरविंद की सतर्कता से बची कई लोगों की जान

आत्महत्या के कुछ चेतावनी संकेत
उन चीजों को करना बंद कर देना, जिनका उन्हें आमतौर पर आनंद आता है। नकारात्मक बातें करना, चिड़चिड़े हो जाना या भावनात्मक रूप से उग्र हो जाना। अत्यधिक उदास एवं अलग अलग रहना या अनावश्यक रूप से ज्यादा खुश दिखाई देना। दोस्तों, परिवार या नियमित गतिविधियों से दूर हो जाना। जीवन समाप्त करने की बातें करना एवं उसके लिए तरीकों की जानकारी करना ।

Read More पुलिस उपायुक्त दुर्गाराम चौधरी ने दिलाई सड़क सुरक्षा की शपथ

आज के समय में अवसाद काफी बढ़ गया है, जिससे आत्महत्याएं बढ़ रही है। खासकर युवा वर्ग में यह ज्यादा हो रहा है। इसलिए बच्चों और युवाओं से अपील है कि आपको मानव जीवन मिला है, यह स्वयं एक वरदान है। हर कोई अद्वितीय है और उसकी अपनी क्षमता है। इसलिए खुश रहें, संवाद करें, अपनी भावनाएं साझा करें, दिनचर्या बनाए रखें और मदद मांगने में कभी संकोच न करें। 
-डॉ. अखिलेश जैन, वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ

Post Comment

Comment List

Latest News

तेलंगाना के माधापुर में सॉफ्टवेयर कंपनी में भीषण आग तेलंगाना के माधापुर में सॉफ्टवेयर कंपनी में भीषण आग
पुलिस ने कहा कि इस सिलसिले में मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है।
वीकेंड पर उमड़े विजिटर्स, जे जे एस शो के दुसरे दिन आगंतुकों का लगा तांता
एसएमएस अस्पताल में मौत को हराने के लिए जिंदगी की जंग लड़ रहे लोग, अब तक 14 लोगो की मौत 
पुलिस उपायुक्त दुर्गाराम चौधरी ने दिलाई सड़क सुरक्षा की शपथ
युवा कांग्रेस के प्रदर्शन पर लाठी चार्ज
जयपुर एलपीजी टैंकर ब्लास्ट : गायत्री परिवार कल बारह स्थानों पर करेगा हुतात्मा शांति महायज्ञ   
उत्तराखंड में महसूस किए गए भूकंप के हल्के झटके