संविधान की बात-पत्रकारों के साथ एक दिवसीय कार्यशाला में देश के गंभीर मुद्दों पर हुआ चर्चा-विमर्श
वॉयस ऑफ़ मीडिया के प्रदेशाध्यक्ष पवन देव ने मीडिया को बताया कि पत्रकार और मीडिया लोकत्रंत के चौथे स्तभ के रूप में देश के मजबूत स्तम्भ हैं।
जयपुर। देश की वर्तमान परिस्थितियों में यह सवाल अब आम हो रहा हैं कि संविधान खतरें में हैं, लेकिन क्या हमें सच में लगता हैं कि हमारे देश का संविधान जो विभिन्नताओं से भरे देश को एक सूत्र में बंधुत्त्व के भाव के माध्यम से जोड़ रखा हैं, वह खतरें में हैं इन सभी सवालों के जवाब देश में संविधान जागरूकता का कार्य कर रहे वक्ता प्रवीन (वी, द पीपुल अभियान) ने युवा पत्रकार साथियों सवालों के जबाब में दियें।
वॉयस ऑफ़ मीडिया के प्रदेशाध्यक्ष पवन देव ने मीडिया को बताया कि पत्रकार और मीडिया लोकत्रंत के चौथे स्तभ के रूप में देश के मजबूत स्तम्भ हैं। आज के युवा पत्रकार साथियों को भारत के संविधान में वर्णित मूल्यों और अधिकारों की गहरी समझ होनी आवश्यक हैं।
पत्रकारों का मुख्य कार्य राज्यों व केंद्र सरकारों से उनके कार्यशेली पर सवाल जवाब करना चाहिए, लेकिन आज कुछ पत्रकार भारत के आम आदमी के प्रति अपनी जबाबदेही भूल चुके हैं और सिर्फ नेताओं और पार्टी विशेष पत्रकार हो चुके हैं यह एक मजबूत लोकत्रंत के लिए सही नहीं हैं हमारा संगठन पत्रकारों के हित के साथ ही देश की प्रत्येक व्यक्ति के संवेधानिक अधिकारों की रक्षा की लिए प्रतिबन्ध हैं और आज इसी कड़ी में युवा पत्रकार साथियों के साथ भारत संविधान पर चर्चा विमर्श सत्र का आयोजन किया गया हैं, जिसमें में 40 से अधिक युवा पत्रकार साथियों ने भारत के संविधान के प्रति गहरी समझ विकसित की हैं जिससे आम व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की रक्षा हो सके और लोकत्रंत में भी उसकी मजबूत भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
वी, द पीपल अभियान से संविधान प्रचारक प्रवीन ने बताया कि संविधान की मूल आत्मा ही आम नागरिक से जुडी हैं हम संविधान के मूल उदेश्य को आमजन तक पहुँचाने का कार्य कर रहें हैं और आज युवा पत्रकार साथियों के साथ चर्चा सत्र बहुत ही शानदार रहा हैं आज की पीढ़ी संविधान के प्रति समझ बना रही हैं और संविधान सभा में देश के भविष्य के लियें जो सपना देखा था वह आज युवा पीढ़ी उस दिशा में अग्रसर हैं और देश दुनिया में जो मुद्दे उठ रहें हैं वह उन पर बारीकी से विश्लेषण कर रही हैं और आम जन उससे किस प्रकार प्रभावित हो रहा हैं उसका मूल्याकंन कर रही हैं जिसमें व्यक्ति की गरिमा सुरक्षित हो सके। जो की सकरात्मक दिशा में प्रयास हैं।
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