शीतला मेले में उमड़ा आस्था का सैलाब, जयकारों से गूंजा शीतला गांव, चाकसू और चंदलाई में गुदरी मेला
बिखरे लोक संस्कृति के रंग
चंदलाई में नाटक, गैर नृत्य, गालीबाजी व संगीत दंगल का आयोजन किया जाएगा।
चाकसू। चाकसू के शीतला में शुक्रवार को आयोजित शीतला माता के मेले में अपार श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। मेले में चाकसू, जयपुर, दत्तवास, बौंली, निवाई, सांगानेर, बस्सी, फागी, लालसोट, दौसा, बगरू, दूदू के आस-पास के साथ ही राजस्थान के विभिन्न जिलों एवं मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली व हरियाणा से आए श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता था। करीब एक किलोमीटर की दूरी में पंक्तिबद्ध खड़े होकर श्रद्धालु माता के जयकारे लगाते हुए दर्शन के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। मेले में आई विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों की श्रद्धालु महिलाएं माताजी से जुड़े विभिन्न लोक गीत गाते हुए मंजीरे व तालियां बजाकर नृत्य कर रही थीं। पूरा वातावरण लोक संस्कृति के रंग में रंगा नजर आया। प्रशासन की ओर से पुलिस के उच्चाधिकारियों ने भी मेला स्थल का दौरा कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। दूसरी ओर चाकसू कस्बे के बाजारों एवं चंदलाई गांव में शनिवार को गुदरी मेला लगाया जाएगा। चंदलाई में नाटक, गैर नृत्य, गालीबाजी व संगीत दंगल का आयोजन किया जाएगा।
दिखा श्रद्धालुओं का रैला : चाकसू कस्बे से मेला स्थल एवं मेला स्थल से शिवदासपुरा कस्बे तक हाईवे पर केवल श्रद्धालुओं का रैला लगा नजर आया। कुछ लोग पैदल, कोई ट्रेक्टर से, कोई ट्रक से, कोई टेम्पो से तो कोई जुगाड़ या अन्य निजी वाहन से या फिर बसों से मेला स्थल की ओर जा रहे थे।
विधायक ने लगाई ढोक : चाकसू विधायक रामवतार बैरवा ने मेले में जाकर माताजी को ढोक लगाई एवं प्रसाद ग्रहण किया और मेला स्थल व नियंत्रण कक्ष में जाकर मेले की व्यवस्थाओं का जायजा भी लिया। उन्होंने मेले में आए श्रद्धालुओं और मेलार्थियों से रामा-श्यामा की और हालचाल भी जाने।
कुम्हार के घर से लाए मिट्टी, ईसर-गणगौर बनाकर किया पूजन :
गणगौर पूजन कर रही महिलाओं और युवतियों ने शीतला सप्तमी को कुम्हार के चाक से मिट्टी लाकर गणगौर और ईसर बनाए। गणगौर, ईसर के अलावा कानीराम, मालन, रोवां बनाकर भक्तिभाव से पूजन किया गया। शाम को गौर बिंदौरी निकाली गई। बास्योड़ा की शाम को राजधानी में हर गली से गाजेबाजे के साथ बिंदौरी निकाली गई। छोटी बच्चियों को बींद-बीनणी बनाकर घुमाया गया। गोविन्द देवजी मंदिर और जयनिवास उद्यान में बड़ी संख्या में बच्चियां बींद-बीनणी बनकर आने से माहौल खुशनुमां हो गया। आसपास के लोगों ने वार फेर किया। दूब लाने, पानी पिलाने की परम्परा के साथ ही बधावा के गीत भी गाए जा रहे हैं। सांगानेर के महावीर नगर में गणगौर पूजन कर रहीं महिलाओं और युवतियों ने शीतला सप्तमी को कुम्हार के चाक से मिट्टी लाकर गणगौर और ईसर बनाए। शाम को गौर बिंदोरी निकाली गई।
बिखरे लोक संस्कृति के रंग :
मेला स्थल पर आए लोक गायकों, कलाकारों व गोठियाओं के कई दल अलग-अलग स्थानों पर अलगोजा, ढोलक व मंजीरे के साथ लोकगीत गाकर नृत्य कर रहे थे। जिससे वहां भारी संख्या में जमा ग्रामीण लोक संस्कृति के साथ ही लोक देवताओं से संबंधित गीतों का न केवल आनंद लेकर सुन रहे थे, बल्कि माता के जयकारों के साथ तालियां बजाकर झूम भी रहे थे। मेला स्थल पर लगे चकरी व झूलों पर भी बच्चों व महिलाओं की खासी भीड़ लगी हुई थी।
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