2000 से 2500 साल पुरानी है मुहर और सीलिंग, इनसे भी पुराने पंचमार्क के सिक्के
डीग जिले के बहज गांव में उत्खनन में मिला ब्राह्मी मुहरों और पंचमार्क सिक्कों का भंडार
पुराविदों के अनुसार उत्खनन में विभिन्न काल खंड के सिक्कों की प्राप्ति विभिन्न पुरातात्विक स्तर से मिली हैं, जिनमें प्राचीनतम चांदी एवं ताम्बे के पंचमार्क सिक्के मिले हैं।
जयपुर। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के जयपुर मंडल की ओर से डीग जिले के बहज गांव में उत्खनन कार्य के दौरान कई पुरा वस्तुएं प्राप्त हुई हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के जयपुर सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद विनय गुप्ता के निर्देशन में हो रहे उत्खनन कार्य में मौर्य काल की ब्राह्मी की मुहर और सीलिंग मिली है जो 2000 से 2500 साल पुरानी बताई जा रही है। इनका निर्माण जेस्पर से किया गया है। पुरातत्वविद पवन सारस्वत ने बताया कि इस पर ब्राह्मी लिपि के साथ स्वास्तिक व पंच जीवों का अंकन है। जिसमें मोर, मछली, कछुआ आदि शामिल हैं। इनमें मोर का अंकन अति विशिष्ट है।
राजकीय प्रमाण की हो सकती हैं मुहर: एएसआई के अधिकारियों के अनुसार ये अति दुर्लभ मुहर है जो राजकीय प्रमाण की हो सकती है। वहीं अन्य मुहरों की प्राप्ति मुख्यत शुंग-कुषाण काल के जमाव से हुई है। जिसमे ब्राह्मी खरोस्ठी दोनों लिपि की सीलिंग है। खरोस्ठी लिपि की सीलिंग ब्रज क्षेत्र से प्राप्त होना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि बताई जा रही है। अधिकांश मुहरों पर स्वास्तिक, नंदीपद, त्रिरत्न आदि अंकित हैं।
मुहरों के अतिरिक्त कुछ टेराकोटा पात्र, टेक्सटाइल (कपड़े), स्टोन कास्केट और रिंग स्टोन इत्यादि पर भी लिपि का अंकन मिला है। पुराविदों को 4 मिट्टी की सीलिंग मिली है जिन पर दो सीलिंग पर ब्राह्मी लिपि का अंकन हैं। इन पर अभी शोध कार्य जारी है। पुराविदों का दावा है कि यह भारतीय उपमहाद्वीप में ब्राह्मी लिपि के प्राचीनतम प्रमाण हो सकते हैं।
चांदी, ताम्बे के मिले पंचमार्क सिक्के
पुराविदों के अनुसार उत्खनन में विभिन्न काल खंड के सिक्कों की प्राप्ति विभिन्न पुरातात्विक स्तर से मिली हैं, जिनमें प्राचीनतम चांदी एवं ताम्बे के पंचमार्क सिक्के मिले हैं। कुछ पुरातात्विक स्तरों से ताम्बे एवं चांदी के पंचमार्क सिक्के साथ मिले हैं जो इनके प्राचीनतम होने के प्रमाण हैं। इनके अतिरिक्त शुंग कुषाण काल स्तरों से अनेक ताम्बे के सिक्के भी मिले हैं। इन सिक्कों में हाथी, मेरु पर्वत, वृषभ, कुषाण-शासकों व देवियों का अंकन है। पुराविदों को कुछ सिक्कों के समूह पर टेक्सटाइल के प्रमाण भी प्राप्त हुए हैं।

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