भूमिहीन कृषि मजदूरों की सामाजिक आर्थिक स्थिति पर आरयू में कार्यशाला, छात्रों को नवाचारी समाधान प्रस्तुत करने के लिए किया प्रेरित
भारत की लगभग 30 फीसदी आबादी भूमिहीन
राजस्थान विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग एवं राजस्थान ह्यूमन रिसोर्सेज डेवलपमेंट फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में भूमिहीन कृषि मजदूरों का सामाजिक-आर्थिक स्तर विषयक कार्यशाला का आयोजन सीनेट हॉल में किया गया
जयपुर। राजस्थान विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग एवं राजस्थान ह्यूमन रिसोर्सेज डेवलपमेंट फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में भूमिहीन कृषि मजदूरों का सामाजिक-आर्थिक स्तर विषयक कार्यशाला का आयोजन सीनेट हॉल में किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए प्रो. एस.एस. सोमरा ने बताया कि भारत में लगभग 14-15 करोड़ भूमिहीन कृषि मजदूर हैं, जिन्हें समावेशित विकास की मुख्यधारा में लाना अत्यंत आवश्यक है। मुख्य अतिथि प्रो. कन्हैयालाल बैरवाल, कुलाधिपति, हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर (म.प्र.) एवं पूर्व आईपीएस अधिकारी ने राजस्थान में भूमिहीनता को गंभीर सामाजिक-आर्थिक समस्या बताया और समाधान हेतु सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।
मुख्य वक्ता श्यामाप्रसाद ने बताया कि ग्रामीण भारत की लगभग 30 फीसदी आबादी भूमिहीन है, जिसमें से आधे अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग से आते हैं। उन्होंने छात्रों को नवाचारी समाधान प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. अल्पना कटेजा ने कहा कि ऐसे आयोजन शैक्षणिक अध्ययन और जमीनी अनुभवों के बीच सेतु का कार्य करते हैं। उन्होंने 2011 की जनगणना के आंकड़ों के माध्यम से विषय की लैंगिक संवेदनशीलता को भी रेखांकित किया।

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