आरएएस अधिकारी विश्नोई की मौत का मामला : चिकित्सकों के खिलाफ दर्ज मुकदमा रद्द
हाउसिंग बोर्ड थाने में दर्ज एफआईआर को चुनौती
किसी पूर्वानुमेय खतरे की अनदेखी की या किसी ऐसी विधिक जिम्मेदारी को नहीं निभाया जिसे टाला नहीं जा सकता था।
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने आरएएस अधिकारी प्रियंका विश्नोई की मौत के मामले में निजी अस्पताल के चिकित्सकों के खिलाफ उपचार में लापरवाही बरतने के आरोप के साथ दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता डॉ. संजय मकवाना, डॉ. रेनू मकवाना, डॉ. विनोद शैली और जितेन्द्र खेतावत की ओर से हाउसिंग बोर्ड थाने में दर्ज एफआईआर को चुनौती दी। आरएएस अधिकारी प्रियंका विश्नोई की मृत्यु होने पर उनके ससुर सहीराम विश्नोई की ओर से उपचार में लापरवाही का आरोप लगा मुकदमा दर्ज करवाया गया था। न्यायाधीश फरजंद अली की एकल पीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता धीरेन्द्रसिंह,अधिवक्ता मुक्तेश माहेश्वरी एवं प्रियंका बोराणा की ओर से पैरवी की गई।
उन्होने कोर्ट को बताया, मामले में राज्य स्तरीय एवं जिला स्तरीय चिकित्सा विशेषज्ञ समितियों की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा, कि मृतका का उपचार स्वीकृत चिकित्सीय मापदंडों के भीतर किया गया था और उपचार से संबंधित कोई भी प्रथम दृष्टया आपराधिक लापरवाही नहीं पाई गई। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया, कि मृत्यु के पीछे चिकित्सीय जटिलताएं थीं जो स्वाभाविक जोखिम की श्रेणी में आती हैं। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा, किसी निजी अस्पताल या उसके प्रशासनिक पदाधिकारियों पर आपराधिक उत्तरदायित्व थोपना केवल तभी संभव है जब यह सिद्ध हो कि उन्होंने जानबूझकर गलत कार्य किया। किसी पूर्वानुमेय खतरे की अनदेखी की या किसी ऐसी विधिक जिम्मेदारी को नहीं निभाया जिसे टाला नहीं जा सकता था। जबकि इस मामले में ऐसा कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं था।

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