एडीजे कोर्ट हिंडौन : चिकित्सक को टैंडर दिलाने का झांसा देकर 70 लाख रुपए हड़पने का मामला
जीएसटी बिजनेस ऑडिट विंग का उपायुक्त गिरफ्तारी वारंट से तलब
घनिष्ठता का लाभ उठा उसने परिवादी को आरएमएससीएल में मेडिकल उपकरण सप्लाई का टेंडर दिलाने का झांसा देकर 70 लाख रुपए हड़प लिए।
हिंडौन सिटी। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने निजी अस्पताल संचालक चिकित्सक के साथ हुई 70 लाख रुपए की धोखाधड़ी के पांच साल पुराने प्रकरण में पुलिस की ओर से पेश अंतिम प्रतिवेदन को अस्वीकार कर सैल टैक्स विभाग के एक बड़े अफसर सहित दो आरोपियों को गिरफ्तारी वारंट से तलब किया है। उल्लेखनीय है कि पारस हॉस्पिटल संचालक डॉ. नबाब बेनीवाल ने लगभग पांच वर्ष पूर्व कोविड-19 के फर्स्ट फेज के दौरान वाणिज्यिक कर विभाग जयपुर में पदस्थापित कैलाश चंद मीणा और साजिश में उसके सहयोगी जयपुर निवासी अक्षय कुमार शर्मा के विरुद्ध टेंडर दिलाने के बहाने 70 लाख रुपए को धोखाधड़ी का मामला हिंडौन के नई मंडी थाने में 8 नवम्बर 2023 को दर्ज कराया था। इसमें परिवादी ने बताया कि वाणिज्यिक कर विभाग में ज्वाइंट कमिश्नर पद पर पदस्थापित कैलाश चंद मीणा उसके पडौसी गांव का है।
घनिष्ठता का लाभ उठा उसने परिवादी को आरएमएससीएल में मेडिकल उपकरण सप्लाई का टेंडर दिलाने का झांसा देकर 70 लाख रुपए हड़प लिए। इसमें दूसरा आरोपी अक्षय कुमार शर्मा उसका सहयोगी था। दोनों के झांसे में आकर परिवादी ने तीन बार टेंडर दाखिल किए लेकिन तीनों ही बार टनिरस्त हो गए। टेंडर निरस्त होने पर परिवादी ने इनसे 70 लाख रुपए वापस मांगे तो इन्होंने रकम लौटाने से इंकार कर दिया। परिवादी चिकित्सक नबाब बेनीवाल ने एफआईआर के साथ वाट्सएप चेटिंग, कॉल रिकार्डिंग एवं 70 लाख रुपए दिए जाने से सम्बंधित कई वीडियो भी बतौर सबूत पुलिस को सौंपे, लेकिन पुलिस ने अनुसंधान के दौरान प्रकरण को सिविल नेचर का मान न्यायालय में अंतिम प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया।
कोर्ट में एफआर पेश किए जाने से आहत परिवादी डॉ. नबाब बेनीवाल ने पुलिस द्वारा पेश किए गए अंतिम प्रतिवेदन को असत्य बताते हुए अदालत में प्रोटेस्ट पिटीशन पेश की, जिस पर एडीजे ने बहस सुनने के बाद पुलिस की एफआर को नामंजूर कर दिया, बल्कि वाणिज्यिक कर विभाग के अधिकारी कैलाश चंद मीणा और धोखाधड़ी में उसके सहयोगी रहे अक्षय कुमार शर्मा को जरिए गिरफ्तारी वारंट तलब करने का आदेश दिया।
इनका कहना है
मेरे पड़ोसी गांव के निवासी होने और पढ़ाई में बैचमेट होने के कारण डॉ. नबाब सिंह बेनीवाल से पुराना परिचय है, लेकिन अनैतिक मामलों में लिप्त होने की जानकारी मिलने पर मैने डॉ. बेनीवाल से दूरी बना ली। बाद में मुझे ब्लैकमेल करने के लिए झूठा षड्यंत्र रच मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी, जिसमें पुलिस ने निष्पक्ष जांच कर एफआर अदालत में पेश कर दी। अदालत की ओर से मेरे खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने की मुझे जानकारी नहीं है। मुझे झूठा फंसाया जा रहा है।
-कैलाश चंद मीणा, उपायुक्त, जीएसटी बिजनेस ऑडिट विंग, राजस्थान-2, जयपुर।

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