डेकोरेटिव लाइटें हुई चोरी, खम्भे बने ठूंठ
जनता के धन की बर्बादी,चोरों की पौ बारह
शहर की सुंदरता बिगाड़ने के साथ ही शहर को अंधेरे में डुबोने का काम कर रहे हैं।
कोटा । शिक्षा नगरी से स्मार्ट सिटी और पर्यटन नगरी के रूप में विकसित हो रहे कोटा शहर में जहां विकास व सौन्दर्यीकरण के माध्यम से चमकाने का प्रयास किया गया। वहीं उस विकास व सौन्दर्य को चोर व नशेड़ी ग्रहण लगा रहे हैं। लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर शहर में रोशनी के लिए लगाई गई डेकोरेटिव लाइटें चोरी होने से खम्भे ठूंठ बनकर रह गए हैं। पिछली कांग्रेस सरकार के समय में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट व तत्कालीन नगर विकास न्यास के माध्यम से शहर में विकास व सौन्दर्यीकरण के कार्य करवाए गए थे। करीब 6 हजार करोड़ रुपए से अधिक के विकास कार्यों के तहत शहर को रोशन करने के लिए चौराहों व मुख्य मार्गों पर आकर्षक डेकोरेटिव लाइटें लगाई गई थी। शहर के अधिकतर क्षेत्रों में डिवाइडरों के बीच हो या सड़क किनारे पर सभी जगह लगी ये लाइटें रात के समय रोशनी देने के साथ ही अपनी अलग ही आभा भी बिखेरती है। फिर चाहे वह नयापुरा स्थित विवकानंद सर्किल हो या जेडीबी कॉलेज से अंटाघर होते हुए स्टेशन रोड। छावनी व कोटड़ी चौराहा हो या नए कोटा शहर के मुख्य मार्ग। सभी जगह पर आकर्षक के साथ ही महंगी डेकोरेटिव लाइटें लगाई गई थी।
धीरे-धीरे गायब होने लगी लाइटें
शहर में मेन रोड व चौराहों पर लगी ये लाइटें कुछ समय तक तो सही रही। लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे ये गायब होने लगी। शुरुआत में इनके गायब होने की संख्या कम थी। लेकिन बाद में ये बढ़ती गई। हालत यह है कि अधिकतर लाइटें चोरी हो चुकी है। कई जगह पर तो चोरी हुई लाइटों की जगह पर नई लगा दी गई है। जबकि अभी भी आकाशवाणी से लेकर बड़ तिराहे तक और कई अन्य जगहों पर इन लाइटों की जगह पर सिर्फ खम्भे ही रह गए हैं। जबकि लाइटें नजर ही नहीं आ रही है। जिस तरह से पेड़ के पत्ते व तने कटने पर वहां ठूंठ रह जाता है उसी तरह की हालत इन लाइटों की हो रही है।
नीचे होने से चोरी करना आसान
शहर में वैसे तो कई जगह पर इन लाइटों को काफी ऊंचाई पर लगाया हुआ है। जिससे आसानी से उन्हें चोरी करना मुश्किल है। ऐसी जगह पर ही ये लाइटें सुरक्षित हैं। जबकि कई जगह ऐसी हैं जहां सड़क किनारे इन लाइटों को बहुत कम ऊंचाई पर लगाया गया है। नयापुरा क्षेत्र हो या चम्बल रिवर फ्रंट का क्षेत्र। यहां लाइटें काफी नीची रखी गई है। इसका कारण रोशनी के साथ ही इनकी सुंदरता को भी बताना था। लेकिन उसका फायदा लोगों को तो कम मिला। चोरों व नशेड़ियों को उसका अधिक लाभ हुआ। जनता के धन की बर्बादी और चोरों की पौबारह हो रही है। नशेड़ी व चोर जरा से लालच के लिए इन महंगी लाइटों को चोरी कर कबाडी को या अन्य स्थानों पर बेचकर शहर की सुंदरता बिगाड़ने के साथ ही शहर को अंधेरे में डुबोने का काम कर रहे हैं।
सीसीटीवी कैमरों में कैद चोरी की घटनाएं
शहर में आए दिन हो रही चोरी की घटनाएं आस-पास लगे सीसीटीवी कैमरों में भी कैद हो रही है। डेकोरेटिव लाइटों को दिन दहाड़े व शाम के समय किस तरह सफाई से चोरी किया जा रहा है। वह भी सीसीटीवी कैमरों में स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है। चम्बल रिवर फ्रंट के पास लाइटों के साथ ही बिजली की केबल चोरी तक की घटनाओं को अंजाम देते हुए कई बार लोगों को पकड़ा भी गया है। लेकिन चोरी की घटनाओं पर रोक नहीं लगी। हालांकि कई घटनाओं को तो नाबालिगों के माध्यम से अंजाम दिया जा रहा है।
चोरों का कोई इलाज नहीं, सही करवा रहे
शहर को सुंदर बनाने के साथ ही रोशन करने के लिए केडीए की ओर से मेन रोड व चौराहों पर डेकोरेटिव लाइटें लगवाई गई हैं। लेकिन कई जगह पर लाइटों के चोरी होने की शिकायतें मिली थी। उन जगहों पर संवेदक के माध्यम से नई लाइटें लगवा दी है। चोरों का कोई इलाज भी नहीं है। कई बार लाइटों व अन्य सामान चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज करवा दी गई है लेकिन कुछ नहीं हुआ। सभी जगह पर सुरक्षा कर पाना भी मुश्किल है। फिर भी यदि कहीं और ऐसी जगह हैं जहां लाइटें नहीं है। वहां संवेदक से कहकर नई लाइटें लगवा दी जाएंगी।
- पवन शर्मा, एक्सईएन(विद्युत) कोटा विकास प्राधिकरण

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