स्पेस पर भी छिड़ सकती है कब्जे की लड़ाई, क्या यूएन अंतरिक्ष नीति बनाएगा
कानूनी रूप से पूरा स्पेस कॉमन हेरिटेज
कई संस्थान चांद पर जमीन बेचने का दावा करता है यह कानूनी रूप से मान्य नहीं।
कोटा । जब हम आसमान में ऊपर देखते हैं, तो एक सवाल उठता है कि अंतरिक्ष का मालिक कौन है? विभिन्न मिशन और लोग बाहरी अंतरिक्ष में गए हैं, केवल ग्रहों, तारों का पता लगाने और भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण की संभावनाओं को देखने के लिए। लेकिन फिर भी, कुछ लोगों ने अंतरिक्ष में अपनी संपत्ति होने का दावा किया है। जब चांद पर बेस बनाने की बात आती है तो चीजें अस्पष्ट हो जाती हैं। क्या किसी भी व्यक्ति के पास अंतरिक्ष में संपत्ति रखने का मौलिक अधिकार है? कोई भी व्यक्ति चंद्रमा पर घर बना सकता है, या जमीन खरीद कर अपना दावा कर सकता है? क्या कोई स्पेस पॉलिसी बनी है? चांद या किसी भी ग्रह पर जीवन बसता है तो वह उस देश के नाम से या पृथ्वीवासी के नाम से जाना जाएगा? ऐसे ढेरों सवाल मस्तिष्क में कौंधते हैं। चीन 2028 से 2035 तक अंतरराष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन का निर्माण करेगा। चीन अगले कुछ दशकों में अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम का विस्तार करने के लिए मानवयुक्त चंद्र मिशन शुरू करने, चंद्र अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण करने और रहने योग्य ग्रहों तथा पृथ्वी के अतिरिक्त अन्य जगहों पर जीवन का पता लगाने की योजना की घोषणा की है। भारत साल 2035 तक अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजना बना रहा है। अमेरिका की भी मार्स पर स्पेस स्टेशन बनाने की योजना है। इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री और लूना सोसायटी इंटरनेशनल जैसी कंपनियां चांद पर प्लॉट बेचने का दावा करती हैं। क्या ये सच में संभव है? स्पेस से जुड़े ऐसे कई सवालों के जवाब टटोलने के लिए नवज्योति ने विशेषज्ञों से बातचीत की। प्रस्तुत हैं उसके अंश
इसरो के पूर्व चेयरमैन ए. एस. किरण कुमार
सवाल - क्या कोई स्पेस पॉलिसी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी है?
जवाब - संयुक्त राष्ट्र स्पेस के शांतिपूर्वक इस्तेमाल की इजाजत देती है। साथ ही स्पेस में मिलीट्री के बनाए हुए हथियार के इस्तेमाल पर रोक लगाती है। जिसके पास कैपेसिटी है वो स्पेस में डोमिनेट करेगा। पॉलिसी तो पहले से भी बनी हुई है और आगे भी बनने की कोशिश चल रही है लेकिन उसको सख्ती से लागू करने वाला कोई नहीं है।
सवाल - अंतरिक्ष का मालिक कौन है। चांद या किसी भी ग्रह पर भविष्य में जीवन बसता है तो वह उस देश के नाम से जाना जाएगा या किसी और नाम से जाना जाएगा।
जवाब - अंतरिक्ष का मालिक कोई नहीं है। स्पेस एक कॉमन हेरिटेज है। स्पेस पर किसी ने पहली बार जाकर पैर रख दिया। इसका ये मतलब नहीं है कि वह ग्रह उसका हो गया। ये बात जरूर है कि जो देश पहले पहुंचेगा, उसका दबदबा ज्यादा रहेगा। वह देश आगे रहेगा। अगर चांद पर रहने वालों की बात करें तो उन्हें चांदवासी कहा जाएगा।
सवाल - यदि किसी ग्रह पर कोई डेवलपमेंट होता है या कोई कॉलोनी बनती है तो क्या कोई भी देश उसका उपयोग कर सकेगा या सिर्फ वहीं देश उपयोग करेगा जिसने रिसर्च और डेवलपमेंट किया है?
जवाब - जो देश डेवलपमेंट करेगा, वहीं उसका फायदा उठाएगा। पहले के समय में पृथ्वी पर भी ऐसा ही होता था। जहां पर भी सोना या खजाना मिलता था, उस खजाने पर इलाके के राजा का कब्जा होता था। संयुक्त राष्ट्र के नियम के अनुसार ऐसा नहीं होना चाहिए। कई देश ने ग्रहों और क्षुद्रग्रहों पर माइनिंग करने के लिए लाइसेंस जारी कर रही है। अगर माइनिंग में कुछ मिलता है तो उस देश और संस्थान का पहला हक होगा।
सवाल - अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून के आधार पर किसी भी ग्रह पर जमीन खरीदना क्या कानूनी तौर पर मान्य है?
जवाब - कई संस्थान चांद पर जमीन बेचने का दावा करती है। लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है। यह कानूनी रूप से मान्य नहीं।
सवाल - यदि चांद पर जमीन खरीदना संभव नहीं है। चांद का कोई मालिक नहीं है तो जमीन बेची कैसी जा सकती है? चांद पर जमीन की बिक्री कैसे जायज है।
जवाब - जमीन बेचना और खरीदना दो लोगों के आपस की बात है। कानूनी रूप से पूरा स्पेस कॉमन हेरिटेज है। इस पर किसी एक इंसान या देश का स्वामित्व नहीं है। कोई भी इंसान, संस्था या देश चांद पर कानूनी रूप से जमीन नहीं बेच सकती है। चांद पर जमीन खरीदने और बेचने का जो खेल चल रहा है यह एक स्कैम है।
सवाल - भारत ही नहीं बल्कि दूसरे कई देशों के लोग चांद पर जमीन खरीद चुके हैं। मीडिया रिपोटर््स के मुताबिक दुनिया में दो संस्थाएं लूना सोसाइटी इंटरनेशनल और इंटरनेशनल लूनर लैंड्स चांद पर जमीन बेचने का दावा करती है। उनका दावा है कि कई देशों ने चांद पर जमीन बेचने के लिए आॅथराइज किया है। क्या कोई देश मान्यता दे सकता है?
जवाब - चांद का जमीन कोई नहीं बेच सकता है। कुछ संस्थाएं 25 डॉलर की रकम लेकर चांद पर जमीन बेचने का दावा करती है। साथ ही प्रतीकात्मक प्रमाण पत्र जारी करती है। यह कानूनी रूप से वैध नहीं है। यह मनोरंजन के लिए किया जा रहा है।
सवाल - क्या भविष्य में चांद पर बस्ती बसने वाली है? अगर कॉलोनी बनती है तो क्या जिसने प्लॉट खरीदा है वह चांद पर मकान बनवा सकता है?
जवाब - चांद पर कॉलोनी बसने वाली है। इसमें कोई संदेह नहीं है। चांद के बाद मंगल ग्रह पर भी कॉलोनी बसना संभव है। लेकिन जिसने प्लॉट खरीद लिया है वह चांद पर मकान नहीं बनवा सकते है। यह तो स्कैम है। यहां जमीन की खरीद कानूनी रूप से मान्य नहीं है।
सवाल - क्या चाइना या अमेरिका अगर कोई पर ग्रही स्पेस कॉलोनी बनाते हैं तो क्या उसपर उनका हक माना जायेगा?
जवाब - अंतरिक्ष क्षेत्र और ग्रहों की संपत्ति किसी देश की नहीं हो सकती कोई भी देश किसी ग्रह, उपग्रह, या अन्य खगोलीय पिंड पर अपनी सम्पत्ति का दावा नहीं कर सकता। कोई भी देश या व्यक्ति निजी संपत्ति का दावा नहीं कर सकता यदि कोई देश या उसकी कंपनी किसी ग्रह पर कॉलोनी बनाती है, तो उस गतिविधि की जिम्मेदारी उस देश की होगी। हालांकि, कॉलोनी का उपयोग सार्वजनिक भलाई के लिए किया जाना चाहिए, न कि केवल निजी या राष्ट्रीय लाभ के लिए।
गोविन्द यादव सीईओ (व्योमिका स्पेस एजेन्सी)
सवाल - क्या कोई स्पेस पॉलिसी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी है?
जवाब - हां, संयुक्त राष्ट्र ने अंतरिक्ष के उपयोग और उससे संबंधित मुद्दों पर कुछ स्पेस पॉलिसी बनाई है, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है आउटर स्पेस ट्रीटी (अंतरिक्ष समझौता) जो 1967 में लागू हुआ था। इसके अतिरिक्त और भी कई अंतरराष्ट्रीय समझौतों का उद्देश्य अंतरिक्ष का शांतिपूर्ण और सहयोगात्मक उपयोग सुनिश्चित करना है।
सवाल - अंतरिक्ष का मालिक कौन है। चांद या किसी भी ग्रह पर भविष्य में जीवन बसता है तो वह उस देश के नाम से जाना जाएगा या किसी और नाम से जाना जाएगा।
जवाब - अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, स्पेस का कोई मालिक नहीं है। यह पूरी मानवता के लिए है और इसकाउपयोग शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए। अभी के नियमों के अनुसार, कोई भी देश या व्यक्ति चंद्रमा का मालिक नहीं बन सकता। अगर चंद्रमा पर संसाधनों का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है, तो संयुक्त राष्ट्र या अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं नए कानून बना सकती हैं।अगर चांद या किसी अन्य ग्रह पर जीवन बसता है, तो उस जीवन का नामकरण बहुत से कारकों पर निर्भर करेगा। यदि वहां के निवासी पृथ्वी से आए लोग होंगे, तो हो सकता है कि उन्हें पृथ्वीवासी कहा जाए। लेकिन यदि उस ग्रह पर स्वदेशी जीवन विकसित होता है, तो वे वहां के ग्रह या उपग्रह के नाम पर आधारित किसी नाम से जाने जा सकते हैं। वास्तव में, यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करेगा कि कौन सा समाज या सभ्यता वहां बस रही होगी और वह किस तरह से अपने पहचान का निर्धारण करेगी।
सवाल - यदि किसी ग्रह पर कोई डेवलपमेंट होता है या कोई कॉलोनी बनती है तो क्या कोई भी देश उसका उपयोग कर सकेगा या सिर्फ वहीं देश उपयोग करेगा जिसने रिसर्च और डेवलपमेंट किया है?
जवाब - साझा उपयोग और सहयोग बाह्य अंतरिक्ष संधि में इस बात पर जोर दिया गया है कि अंतरिक्ष का अन्वेषण और उपयोग सभी देशों के लिए खुला है। यदि कोई देश किसी ग्रह पर रिसर्च या डवेलपमेंट करता है, तो उसकी जिम्मेदारी है कि वह अन्य देशों के साथ सहयोग और जानकारी साझा करे।
सवाल - अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून के आधार पर किसी भी ग्रह पर जमीन खरीदना क्या कानूनी तौर पर मान्य है?
जवाब - चंद्रमा पर जमीन खरीदना संभव नहीं है, कानूनी रूप से यह अवैध है। हालांकि, चांद पर जमीन बेचने के दावे कुछ निजी कंपनियों द्वारा किए गए हैं, लेकिन यह पूरी तरह से धोखाधड़ी है।
सवाल - यदि चांद पर जमीन खरीदना संभव नहीं है। चांद का कोई मालिक नहीं है तो जमीन बेची कैसी जा सकती है? चांद पर जमीन की बिक्री कैसे जायज है।
जवाब - चंद्रमा पर जमीन खरीदना संभव नहीं है, और कानूनी रूप से यह अवैध है। जो कंपनियां चंद्रमा की जमीन बेचने का दावा करती हैं, वे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हुए अपनी कल्पना के आधार पर लोगों को नकली प्रमाणपत्र बेचती हैं। चंद्रमा और अंतरिक्ष से जुड़े सभी मामलों में संयुक्त राष्ट्र की बाहरी अंतरिक्ष संधि लागू होती है, जो स्पष्ट रूप से किसी भी निजी स्वामित्व पर रोक लगाती है।
सवाल - भारत ही नहीं बल्कि दूसरे कई देशों के लोग चांद पर जमीन खरीद चुके हैं। मीडिया रिपोटर््स के मुताबिक दुनिया में दो संस्थाएं लूना सोसाइटी इंटरनेशनल और इंटरनेशनल लूनर लैंड्स चांद पर जमीन बेचने का दावा करती है। उनका दावा है कि कई देशों ने चांद पर जमीन बेचने के लिए आॅथराइज किया है। क्या कोई देश मान्यता दे सकता है?
जवाब - लूना सोसाइटी इंटरनेशनल और इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री के पास चंद्रमा की जमीन बेचने का कोई कानूनी अधिकार या मान्यता नहीं है। इनके दावे पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हैं। कोई भी देश, संयुक्त राष्ट्र (वठडडरअ), या अंतरराष्ट्रीय संस्था ने इन्हें चंद्रमा की जमीन बेचने की अनुमति या मान्यता नहीं दी है।
सवाल - क्या भविष्य में चांद पर बस्ती बसने वाली है? अगर कॉलोनी बनती है तो क्या जिसने प्लॉट खरीदा है वह चांद पर मकान बनवा सकता है?
जवाब - चांद पर मकान बनवाना वर्तमान में न केवल कानूनी रूप से, बल्कि वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टिकोण से भी एक जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य है। निजी कंपनियां, जैसे कि स्पेस एक्स और ब्लू ओरिजिन, भी भविष्य में चंद्रमा पर मानव बस्ती बनाने की योजना बना रही हैं।
सवाल - क्या चाइना या अमेरिका अगर कोई पर ग्रही स्पेस कॉलोनी बनाते हैं तो क्या उसपर उनका हक माना जायेगा ?
जवाब - अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए नियम और समझौते बनाए जा सकते हैं। अभी के नियमों के अनुसार, कोई भी देश या व्यक्ति चंद्रमा का मालिक नहीं बन सकता।अगर चंद्रमा पर संसाधनों का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है, तो संयुक्त राष्ट्र या अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं नए कानून बना सकती हैं। सवाल - क्या संयुक्त राष्ट्र को वर्त्तमान में ऐसी अंतरिक्ष निति बनानी चाहिए की अर्थ की तरह लड़ाई झगड़े नहीं हो सके ?
जवाब - सभी देशों को अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग का समान अधिकार है।इससे यह सुनिश्चित होता है कि किसी विशेष देश को अंतरिक्ष के उपयोग में कोई विशेष अधिकार नहीं मिलेगा।अंतरिक्ष मिशनों को लेकर देशों को एक-दूसरे के साथ पारदर्शिता बनाए रखनी होती है, ताकि किसी भी प्रकार की संप्रभुता या सुरक्षा का उल्लंघन न हो।
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