जाम से प्रभावित हो रहा कारोबार, व्यापारियों, किसानों और ग्राहकों को करना पड़ता है परेशानी का सामना
थोक फलसब्जी मंडी : माल की अधिक आवक से छोटा पड़ने लगा मंडी परिसर
शहर के बीच में स्थित थोक फल सब्जी मंडी में सुबह से शाम तक बार-बार जाम लगता रहता है।
कोटा। शहर में एरोड्राम के पास स्थित थोक फल सब्जीमंडी में माल की ज्यादा आवक होने के कारण रोजाना जाम की स्थिति बनने लगी है। माल की अधिकता से मंडी परिसर छोटा पड़ने लगा है। शहर के बीच में स्थित थोक फल सब्जी मंडी में सुबह से शाम तक बार-बार जाम लगता रहता है। ऐसे में फल सब्जी व्यापारियों, किसानों और ग्राहकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस मंडी के विस्तार के लिए वर्ष 2018 में प्रयास किए गए थे, लेकिन वन विभाग से एनओसी प्रमाण पत्र नहीं मिलने के कारण मामला अटक गया है।
विभिन्न राज्यों से आते हैं फल व सब्जियां
मंडी के व्यापारियों के अनुसार मंडी में महाराष्टÑ, गुजरात, मध्यप्रदेश, पुणे, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, बैंगलुरु से विभिन्न तरह के फल बिक्री के लिए आते हैं। इसके अलावा कोटा सहित हाड़ौती के जिलों से काफी मात्रा में सब्जियों की आवक होती है। माल की आवक लगातार बढ़ने के कारण अब मंडी परिसर छोटा पड़ने लगा है। मंडी में माल से भरे ट्रक, मिनी ट्रक और अन्य वाहनों के कारण दिनभर में कई बार जाम लगा रहता है। इससे एरोड्राम चौराहे के आसपास व डीसीएम रोड पर वाहनों की लंबी कतार लग जाती है। बाहर से फलों और सब्जियों से भरे वाहन शाम को ही आना शुरू होते हैं। जो देर रात तक आते रहते हैं। सुबह फल और सब्जी बेचने का काम होता है। इसके बाद वाहन माल बेचकर वापस लौट जाते हैं।
लहसुन का भी हो रहा कारोबार
शहर में भामाशाहमंडी के अलावा थोक फलसब्जी मंडी में भी लहसुन की खरीद-फरोख्त की जाती है। ऐसे में यहां पर भी काफी संख्या में किसान लहसुन बेचने के लिए आते हैं। वर्तमान में यहां पर पांच से छह हजार कट्टे लहसुन की आवक हो रही है। किसान अपने माल को बड़े वाहनों में लेकर आते हैं। इस दौरान सब्जी के वाहनों के कारण जाम लगने से किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कई बार लहसुन की नीलामी में भी देरी हो जाती है। किसानों का कहना है कि मंडी परिसर छोटा पड़ने से आवागमन में दिक्कत आती है। इसका समाधान होना चाहिए।
ठंडे बस्ते में मंडी शिफ़्ंिटग का मामला
थोक फल सब्जीमंडी को दूसरी जगह शिफ्ट करने के प्रयास 2018 में हुए थे। उस समय चन्द्रेसल के पास मंडी स्थापित करने के लिए 72 बीघा जमीन चिहिन्त की गई थी, लेकिन जमीन घड़ियाल अभयारण्य क्षेत्र में होना बताकर वन विभाग ने स्वीकृति जारी नहीं की। इस मामले में यूआईटी ने मंडी समिति से 19 करोड़ की डिमांड राशि मांगी थी, लेकिन मंडी प्रशासन ने इतनी राशि जमा कराने में असमर्थता जताई थी। इसके बाद पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया। ऐसे में वर्तमान मंडी परिसर छोटा होने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
थोक फल सब्जीमंडी में माल की आवक बढ़ने लगी है। जिससे मंडी परिसर छोटा पड़ने लगा है। बाहर से माल लेकर आने वाले वाहन जाम में फंस जाते हैं। इससे व्यापारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस मंडी को विस्तार की दरकार है। तभी समस्या का समाधान हो सकेगा।
- शब्बीर वारसी, प्रमुख व्यापारी
थोक फल सब्जीमंडी के आसपास के क्षेत्र को जाम से बचाने के लिए चन्द्रसेल में शिफ्ट करने के लिए पूर्व में प्रयास हुए थे, लेकिन वन विभाग घड़ियाल अभयारण्य क्षेत्र बताकर एनओसी नहीं दी। अभी मंडी को शिफ्ट करने के कोई प्रयास नहीं चल रहे हैं। मंडी शहर के बीच में होने के कारण रोजाना जाम की समस्या होती रहती है।
- विश्वजीत सिंह, सचिव, थोक फल सब्जीमंडी कोटा
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