कागजों में गल गई सस्ती दाल, रसोई तक नहीं पहुंची

योजना के सम्बंध में नहीं मिले दिशा-निर्देश

कागजों में गल गई सस्ती दाल, रसोई तक नहीं पहुंची

राशन की दुकानों पर मिलनी थी भारत दाल।

कोटा। आमजन को महंगाई से राहत देने के लिए सरकार की ओर से राशन की दुकानों पर सस्ते दाम पर चना दाल वितरण करने की योजना कागजों में ही दफन हो गई। गत वर्ष सरकार ने इसके लिए एसओपी जारी कर राशन की दुकानों पर भारत दाल कम दाम में उपलब्ध कराने का निर्णय किया था। इस सम्बंध में प्रदेश के सभी जिला रसद अधिकारी से वहां की आवश्यकतानुसार प्रस्ताव मांगे गए थे। इसके बाद प्रत्येक जिले से दाल वितरित करने वाले राशन डीलरों की सूची तैयार करवा कर खाद्य विभाग जयपुर को भिजवाई गई थी। सूची भेजने के बाद खाद्य विभाग से योजना के बारे में कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए है। इस कारण आमजन को सस्ती दर पर चना दाल उपलब्ध कराने की योजना खटाई में पड़ गई। 

ये थी वितरण की योजना
योजना के तहत प्रदेश में राशन की दुकानों के माध्यम से चना दाल की बिक्री के लिए राजस्थान राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड जयपुर (आरएसएफसीएससी) को नोडल एजेन्सी बनाया गया था। सबसे पहले आरएसएफसीएससी की ओर से मांग के अनुसार खाद्य विभाग (राज.) के माध्यम से भारत सरकार से चना दाल का आवंटन होना था। इसके बाद रसद विभाग की ओर से जिले की राशन की दुकानों पर भारत दाल की आपूर्ति करनी थी।  एसओपी के अनुसार चना दाल 1 किलोग्राम और 30 किलोग्राम के पैकेट में बेचनी थी। एक किलो की कीमत 60 रुपए और 30 किलो के पैकेट की कीमत 55 रुपए प्रति किलो निर्धारित की गई थी। प्रथम चरण में एफपीएस के माध्यम से भारत दाल ( चना दाल ) के वितरण का कार्य प्रारभ किया जाना था।

बाजार में महंगी बिक रही दालें
जानकारी केअनुसार पिछले कुछ सालों से बाजार में दालों की कीमतों में लगातार उछाल आ रहा है। इस कारण आमजन का घरेलू खर्च बढ़ता जा रहा है। इन दिनों किराना बाजार में चना दाल का भाव 85 से 90 रुपए किलो बीच बना हुआ है। वहीं कुछ दालों की कीमतें तो सौ रुपए को पार कर चुकी है। ऐसे में महंगाई के कारण आमजन का घरेलू बजट गड़बड़ा जा रहा है। लोगों को महंगाई से राहत दिलाने के लिए ही सरकार ने सस्ती चना दाल व्तिरण करने की योजना बनाई थी, लेकिन यह दाल आमजन की रसोई तक पहुंचती उससे पहले ही कागजों में ही घुल गई। अब लोगों को बाजार से महंगी दर पर दालें खरीदनी पड़ रही है।

कमीशन की आस रह गई अधूरी
जानकारी के अनुसार कोटा जिले में राशन की 522 दुकानें हैं, जिन पर उपभोक्ताओं को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया जाता है। चना दाल बेचने के इच्छुक डीलरों से विभाग की ओर से आवेदन मांगे गए थे। चना दाल बेचने की एवज में राशन डीलरों को कमीशन मिलना था। ऐसे में कोटा जिले के अधिकांश डीलरों ने इसमें रूचि लेते हुए आवेदन कर दिया था। विभाग की ओर से स्थानीय डीलरों की सूची तैयार जयपुर भिजवा भी दी गई थी, लेकिन बाद में इस सम्बंध में वहां से दाल की आपूर्ति और वितरण के सम्बंध में कोई गाइड लाइन जारी नहीं की गई। इस कारण राशन डीलरों के कमीशन की आस भी अधूरी ही रह गई।  

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इनका कहना है
बाजार में दालों की कीमतों में लगातार इजाफा होता जा रहा है। इससे घरेलू बजट गड़बड़ा रहा है। राशन की दुकानों पर सस्ती दाल बेचने से लोगों को काफी राहत मिलती। सरकार को जल्द से जल्द इसका वितरण शुरू करना चाहिए। 
- ग्यारसी बाई, उपभोक्ता

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राशन की दुकानों पर सस्ती दाल वितरण करने की योजना बनाई गई थी। इस सम्बंध में जिले के राशन डीलरों की सूची तैयार कर जयपुर भिजवा दी ्रगई थी। इसके बाद योजना के सम्बंध में कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं। 
- कार्तिकेय, जिला रसद अधिकारी  

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