कोटा थर्मल पर फिर मंडराए खतरे के बादल

5 दिन बाद बंद हो सकती है 39 साल पुरानी 2 इकाइयां

कोटा थर्मल पर फिर मंडराए खतरे के बादल

उर्जा विभाग ने कोटा थर्मल की इकाई-1 व 2 को 31 दिसंबर,2022 तक ही चालू रखने के लिखित निर्देश दिए थे। ऐसे में इन इकाइयों को आगे चालू रखने के अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं। इससे जहां बिजली संकट गहराएगा वहीं, थर्मल में कार्यरत 2500 से अधिक ठेका श्रमिकों पर रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा।

कोटा। राजस्थान का गौरव कोटा सुपर थर्मल पावर प्लांट की पहली व दूसरी इकाई से विद्युत उत्पादन निरंतर जारी है, इसके बावजूद उर्जा विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, दोनों इकाइयों को 31 दिसंबर,2022 तक ही चालू रखा जाएगा। इसके बाद पर्यावरण विभाग की अनुमति के बिना इससे विद्युत उत्पादन नहीं किया जा सकेगा। ऐसे में दोनों इकाइयों को बंद कर दिया जाएगा। एक ओर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली संकट चल रहा है तो दूसरी ओर कोटा थर्मल की दोनों  इकाइयों पर भी बिजली गिरने जैसे आसार दिखाई दे रहे हैं। दरअसल, उर्जा विभाग ने कोटा थर्मल की इकाई-1 व 2 को 31 दिसंबर,2022 तक ही चालू रखने के लिखित निर्देश दिए थे। ऐसे में इन इकाइयों को आगे चालू रखने के अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं।  इससे जहां बिजली संकट गहराएगा वहीं, थर्मल में कार्यरत 2500 से अधिक ठेका श्रमिकों पर रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। 

पहले भी हुए थे उच्चस्तरीय प्रयास
खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के उपाध्यक्ष पंकज मेहता ने पिछले वर्ष मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उर्जा मंत्री एवं नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल को पत्र लिखकर 30 जून से दो यूनिटों को बंद करने के निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था। उसके बाद मंत्री धारीवाल ने कोटा सुपर थर्मल की यूनिट-1 एवं 2 को 31 दिसंबर तक चालू रखने के लिखित आदेश जारी करवाए थे। मेहता ने कहा कि भाजपा सरकार ने कोटा में आईएल सहित अन्य उद्योगों को बंद करने का ही प्रयास किया है जबकि गहलोत सरकार ने छोटे-बड़े सभी उद्योगों को चालू रखते हुए कोटा की अर्थव्यवस्था को बनाए रखने का प्रयास किया। इसके अलावा श्रमिकों को कोई नुकसान नहीं होने दिया।  

नगरीय विकास मंत्री पर टिकी नजरें  
वर्तमान में 1240 मेगावाट क्षमता वाले कोटा सुपर थर्मल की 7 में से 6 इकाइयों से रोजाना पूरी क्षमता से विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। छठी इकाई इन दिनों वार्षिक मरम्मत के लिए बंद है। पिछले वर्ष जून 2021 में कोटा थर्मल की इकाई-1,2,3 व 4 को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के आदेश जारी किए गए थे। उस वक्त इकाई-1 व 2 को 31 दिसंबर, 2021 तक चलाने की अनुमति थी। लेकिन, थर्मल के अभियंताओं, कर्मचारियों तथा ठेका श्रमिकों ने आंदोलन कर चालू इकाइयों को बंद करने का कड़ा विरोध किया था। तब नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने थर्मल गेट पर एक सभा में थर्मल कार्मिकों को आश्वासन दिया था कि कांग्रेस शासन के दौरान कोटा थर्मल की इकाइयों को किसी भी सूरत में बंद नहीं होने दिया जाएगा। इसके बाद उन्होंने जयपुर में मुख्यमंत्री, ऊर्जामंत्री व उर्जा विभाग के अधिकारियों से वार्ता कर थर्मल की इकाई 1 व 2 को 31 दिसंबर, 2022 तक चालू रखने के आदेश निकलवाये थे। वर्तमान में यह अवधि मात्र 4 दिन बाद पूरी होने वाली है। ऐसे में सभी अधिकारी फिलहाल वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं। अधिकारियों का कहना है कि जैसे लिखित आदेश मिलेंगे, उसके अनुसार ही कदम उठाए जाएंगे। 
 
39 साल से बिजली उत्पादन कर रही इकाई 1 व 2
राजस्थान में 1983 में सबसे पहले बिजलीघर की स्थापना कोटा थर्मल के रूप में हुई थी, तब प्रथम चरण की पहली व दूसरी इकाई से विद्युत उत्पादन शुरू हुआ था। तब से लेकर अब तक करीब 39 साल से दोनों यूनिट द्वारा लगातार बिजली उत्पादन किया जा रहा है। इसके बावजूद कोयला प्रदूषण के नाम पर पुरानी चालू इकाइयों को बंद करने की कोशिश कर रही है, जबकि करोड़ों रुपए की लागत से निर्मित कोटा थर्मल पर अब कोई कर्जा बाकी नहीं है। चंबल नदी से पर्याप्त पानी मिलने से सस्ती दरों पर बिजली पैदा हो रही है।      

सौर ऊर्जा का घटा उत्पादन 
विद्युत वितरण विभाग के अधिकारियों का मानना है कि अचानक चालू इकाइयों को बंद करने जैसा कदम उठाने पर प्रदेश में बिजली संकट और बढ़ सकता है, क्योंकि इन दिनों कड़ाके की सर्दी में सौर उर्जा का उत्पादन मांग की तुलना में बहुत कम है। दूसरी ओर कुछ दिनोंं से उद्योगों एवं कृषि क्षेत्र में बिजली की मांग बढ़ जाने से उर्जा विभाग अन्य प्रदेशों के निजी बिजलीघरों से 10 से 18 रू यूनिट दर से महंगी बिजली खरीदने पर मजबूर है। जबकि, कोटा थर्मल से लगभग 4.30 रुपए प्रति यूनिट की दर से सस्ती बिजली पैदा हो रही है।

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पर्यावरणीय सहमति के लिए नहीं किया आवेदन
कोटा थर्मल की पहली दो इकाइयों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से केवल 31 दिसंबर,2022 तक चलाने की पर्यावरणीय सहमति है। थर्मल प्रशासन ने इकाई- 5, 6 व 7 को चालू रखने को पर्यावरणीय सहमति के लिए आवेदन भी कर दिया लेकिन अभी तक इकाई- 1,2,3 व 4 के लिए पर्यावरणीय सहमति के लिए आवेदन तक नहीं किया है। जिससे असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। दो इकाइयां बंद होने पर थर्मल में कार्यरत 2500 से अधिक ठेका श्रमिकों को नौकरी से हाथ धोना पड सकता है।  

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अभी कोई दिशा निर्देश नहीं मिले
थर्मल की ईकाई 1 व 2 को बंद करने को लेकर अभी कोई दिशा निर्देश नहीं मिले हैं। हालांकि इस संबंध में हमने उच्चाधिकारियों को पत्र भेजकर मार्गदर्शन मांगा है। नई यूनिट का प्रस्ताव भी चल रहा है। इस बारे में ज्यादा जानकारी हैड आॅफिस से ही मिल सकती है। 
- एके आर्य, चीफ इंजीनियर, कोटा थर्मल सुपर पावर प्लांट

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बिना पैनल्टी इकाई चलाने की मिले परमिशन
वर्तमान में जो परिस्थितियां चल रही हैं, उसमें नेशनल और स्टेट लेवल पर बिजली की कमी है। (पावर क्राइसिस) ऐसी स्थिति में हम इकाई 1 व 2 को बंद करने की सोच भी नहीं सकते। यदि, हमें पैनल्टी देकर भी इकाइयां चलानी पड़े तो उसके लिए राज्य सरकार से परमिशन लेंगे, सरकार को पुटअप करेंगे। संबंधित मंत्रालय के साथ पत्राचार कर रहे हैं कि देश व राज्य की जो अभी आवश्यकताएं हैं, उसे देखते हुए इसे बंद करना सही नहीं है, जो पैनल्टी हैं उनको भी गिवअप करना चाहिए। हम नई यूनिट ला रहे हैं, तब तक हमें बिना पैनल्टी के ईकाई चलाने की परमिशन दी जानी चाहिए। हमारी तरफ से पूरी कोशिश की जा रही है, मामला केंद्र सरकार का है, अब देखना होगा कि उनका निर्णय क्या रहता है। हालांकि, राज्य सरकार का जो भी निर्णय होगा वह हमें मान्य होगा। 
- आर के शर्मा, सीएमडी, राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम जयपुर

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