संभाग के चारों जिलों से आने वाले डीएनए की होगी जांच

समय पर मिल सकेगी जांच रिपोर्ट : डीएनए रिसर्च लैब तैयार

संभाग के चारों जिलों से आने वाले डीएनए की होगी जांच

डीएनए जांच लैब में स्टाफ लगते ही जांच का काम शुरू हो जाएगा, फिलहाल लैब पर ताला लगा हुआ है।

कोटा। डीएनए जांच के लिए सैम्पलों को अब कोटा से बाहर नहीं भेजना पड़ेगा। उनकी जांच कोटा में ही हो सकेगी। यह संभव हुआ है कोटा में डीएनए रिसर्च लैब बनने से। लैब तो बनकर तैयार हो गई है। स्टाफ लगते ही इसमें काम शुरू हो जाएगा। संभाग के सबसे बड़े एमबीएस अस्पताल के पुराने आउटडोर में फोरेंसिक रिसर्च लैब तैयार की गई है। इसमें विशेष रूप से डीएनए सैम्पलों की जांच की जाएगी। यह जांच न केवल कोटा की वरन् सभांग के चारों जिलों से आने वाले सैम्पलों की हो सकेगी। कोटा में श्रीनाथपुरम् इलाके में फोरेंसिक लैब है लेकिन वहां डीएनए सैम्पलों के अलावा अन्य सैम्पलों की ही जांच होती है। 

5 करोड़ की लागत से हुई तैयार
एमबीएस के पुराने आउट डोर के नए ओपीडी में शिफ्ट होने के बाद से ही यहां के कमरे खाली पड़े हुए थे। उन कमरों का उपयोग करते हुए यहां डीएनए जांच लैब बनाई गई है। करीब 4 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से यहां कमरों का रिनीवेशन कर उन्हें लैब के हिसाब से तैयार किया गया है। साथ ही करीब 50 लाख रुपए से अधिक की लागत से मशीनें मंगवाई गई है। पिछले काफी समय से चल रहा काम पूरा हो गया है और मशीनरी भी फिट हो गई है। ऐसे में अब स्टाफ लगते ही इस लैब में जांच का काम शुरू हो जाएगा। फिलहाल लैब पर ताला लगा हुआ है। 

जयपुर या अन्य स्थानों पर नहीं भेजे जाएंगे सैम्पल
अभी तक एमबीेएस अस्पताल की मोर्चरी में होने वाले शवों में से हत्या समेत कई गम्भीर मामलों में डीएनए जांच के लिए सैम्पलों को जयपुर व अन्य बड़े शहरों में भेजा जा रहा है। जिनकी रिपोर्ट आने में भी काफी समय लग रहा है। जिससे मामलों की जांच में भी देरी हो रही है। लेकिन यहां लैब बनने से न केवल कोटा के वरन् संभाग के चारों जिलों से आने वाले सैम्पलों की जांच यहीं हो सकेगी। ऐसे में जांच रिपोर्ट भी कम से कम समय में मिल जाएगी। 

कोटा से हर सप्ताह 5 से अधिक सैम्पल
कोटा में होने वाले पोस्ट मार्टम में से कई मामले ऐसे आते हैं जिनमें डीएनए जांच की आवश्यकता महसूस होती है। ऐसे सप्ताह में 4 से 5 सैम्पलों  को जांच के लिए भेजा जाता है। जिनकी रिपोर्ट आने में कई बार तो 5 से 6 महीने तक का समय लग जाता है। 

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तकनीकी स्टाफ स्वीकृत, लगने का इंतजार
डीएनए लैब में राज्य सरकार ने पूर्व में ही स्टाफ तो स्वीकृत कर दिया है। जिसमें सीनियर साइंटीफिक आॅफिसर व जूनियर साइंटीफिक आॅफिसर,चार प्लस दो सूचना सहायक दो और गार्ड समेत पर्याप्त स्टाफ के पद स्वीकृत किए हैं। लेकिन अभी तक स्टाफ नहीं लगा। जिससे यहां काम शुरू नहीं हो सका है। 

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इनका कहना है
कोटा में डीएनए लैब नहीं होने से अभी तक सैम्पलों को जयपुर व अन्य शहरों में भेजा जा रहा है। जहां से जांच रिपोर्ट आने में 5 से 6 महीने तक का समय लग जाता है। ऐसे में अब एमबीएस अस्पताल में ही डीएनए जांच लैब बनकर तैयार हो गई है। उसमें मशीनरी भी लग चुकी है। स्टाफ स्वीकृत हो गया था। लेकिन रा’य में सरकार बदल गई है। अब नई सरकार द्वारा लैब में स्टाफ लगाते ही यहां काम शुरू हो जाएगा। जिससे यहां संभाग के चारों जिलों के सैम्पलों की जांच होगी। रिपोर्ट आने में समय कम लगेगा और पुलिस की भागदौड़ भी कम हो जाएगी।
- डॉ. अशोक मूंदड़ा, विभागाध्यक्ष, फोरेंसिक मेडिसन विभाग एमबीएस अस्पताल

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